की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

सोमवार, 26 मई 2014

बाल कविता : होली एलै

होली एलै होली एलै
सबहक मोनमे खुशी जगेलै
रंग बिरंगक सपना अछि अनने
वसन्तक हबा संग झूमि एलै।

सीरक तोसक दूर भगा कए
डारि पातकेँ हरियर केलक
अँगना दौढ़ीमे फूल फुला कए
चाहुदिस हँसैत होली एलै।

धिया किनलनि फुचुक्का
नेना रंग आओर गुलाल
हाट बाजारमे हल्ला भेल छै
सबतरि भरल अबीर लाल गुलाब।

केकरो माथमे अबीर भरल अछि
केकरो मुँह मलल अछि रंग
केकरो हाथ मलपुआ भरल
कियो पिबैत भरि लोटा भंग।
©जगदानन्द झा ‘मनु’

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें