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सोमवार, 26 मई 2014

भक्ति गजल


हे भोला लिअ अपन शरणमे
नहि किछु भांगट हमर मरणमे

सबतरि घुरि हम आश हारलौं 
नहि छी समरथ अपन भरणमे

मोनक मित सब दूर परल अछि
किछु नहि भेटल पुण्य हरणमे

जीवन भरि हम मुर्ख बनल छी
भेटल सुख भोलाक वरणमे

पापक बोझसँ थाकि गेल छी
‘मनु’केँ लय लिअ अपन चरणमे

(मात्रा क्रम : २२२२-२१-२१२)
जगदानन्द झा ‘मनु’

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