मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। कृपया एहि ब्लॉगकेँ subscribe/ फ़ॉलो करब नहि बिसरब, जाहिसँ नव पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनिकेँ भेटैत रहत।

रविवार, 1 दिसंबर 2013

गजल


करेजामे अपन हम की बसेने छी
अहाँकेँ नामटा लिख-लिख नुकेने छी

बितैए राति नै  कनिको कटैए दिन
अहाँकेँ बाटमे     पपनी सजेने छी

हमर ठोरक हँसीकेँ    देख नै हँसियौ
अहाँ हँसि लिअ दरद तेँ हम दबेने छी

हमर जीवन अहाँ बिनु नै छलै जीवन
मनुक्खसँ देवता     हमरा बनेने छी

निसा ई गजलमे आँखिक अहीँकेँ ‘मनु’
बुझू नै हम  महग   ताड़ी चढ़ेने छी

(बहरे हजज, मात्रा क्रम – १२२२-१२२२-१२२२)
जगदानन्द झा ‘मनु’                   

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें