डूबने बिनु बुझब कोना निशा की छै
प्रेम बिनु केने कि जानब सजा की छै
बसि क’ धारक कात हेलब सिखब कोना
आउ देखी कूदि एकर मजा की छै
नोकरी कय नै कियो धन कमेलक बड़
अपन मालिक बनु तँ एहिसँ भला की छै
आइ अप्पन बलसँ पीएम बनतै ओ
हारि झूठ्ठे ढोल पीटब हबा की छै
रोडपर कोनो करेजक परल टुकड़ा
ओहि छनमे ‘मनु’सँ पुछबै दया की छै
(बहरे कलीब, मात्रा क्रम, २१२२-२१२२-१२२२)
जगदानन्द झा 'मनु'
प्रेम बिनु केने कि जानब सजा की छै
बसि क’ धारक कात हेलब सिखब कोना
आउ देखी कूदि एकर मजा की छै
नोकरी कय नै कियो धन कमेलक बड़
अपन मालिक बनु तँ एहिसँ भला की छै
आइ अप्पन बलसँ पीएम बनतै ओ
हारि झूठ्ठे ढोल पीटब हबा की छै
रोडपर कोनो करेजक परल टुकड़ा
ओहि छनमे ‘मनु’सँ पुछबै दया की छै
(बहरे कलीब, मात्रा क्रम, २१२२-२१२२-१२२२)
जगदानन्द झा 'मनु'
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