सगरो मैथिली साहित्य दहकैत अछि
नव नव विधाक आँच आइ पजरैत अछि
कोटी नमन जिनकर बिछल जारैन अछि
बारल आगि विदेहक 'मनु' लहकैत अछि
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित Maithiliputra- Dedicated to Maithili Literature and Language
सगरो मैथिली साहित्य दहकैत अछि
नव नव विधाक आँच आइ पजरैत अछि
कोटी नमन जिनकर बिछल जारैन अछि
बारल आगि विदेहक 'मनु' लहकैत अछि
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
मिथिलामे जमेएकें भोजन परसैत काल साउस पुछलथिन : "झा जी खीर खेबइ कि हलुआ..??"
जमेए : "किएक घरमे कटोरी एक्के टा छैक की ?''
मैया हमर जगतारनि कल्याणी
सबहक अहाँ सुधि लेलौं महरानी
नै हम मिलब माँ बाटक गरदामे
चिंता किए जेकर माय भवानी
जग ठोकरेलक सदिखन ढेपासन
देलौं शरण निर्बलके हे दानी
दर्शन अपन दिअ हे अम्बे माता
नै सोन झूठक चाही नै चानी
धेलक चरण 'मनु' तोहर हे मैया
नै आब जगमे ककरो हम जानी
(मात्रा क्रम : २२१२-२२२-२२२)
जगदानन्द झा 'मनु'