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शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

गजल

भूतलेलौं  किए एना  मन लगा  लिअ

आउ चलि संगमे हमरो अप्पना लिअ

 

नै बचन देब हम नै किछु मोल एकर

संग हमरा लऽ मोनक संसय हटा लिअ

 

जुनि बुझू आन जगमे सपनोसँ  कखनो

बुझि कऽ अप्पन कनी छू ठोरसँ सटा लिअ

 

जीवनक काँट एते   कोना बिछब ई  

छोड़ि सगरो जमानाकेँ वर बना लिअ

 

रूप सुन्नर अहाँकेँ   ओहिपर बदरा

जीब कोना करेजामे 'मनु' बसा लिअ

(बहरे - असममात्राक्रम  : 2122-1222-2122)

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’


मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

गजल



नीक नीक लोकक ई केहन काज अछि
बेटा बेचैत नै कनिको किए लाज अछि

मायाक महिमा सगरो पसरल अछि
जतए देखू आब रुपैयाक राज अछि

धर्म निकलैत अछि पाखण्डमे बोड़ि क'
नवका  आइ  केहन एकर शाज अछि

बैमानी शैतानी बिच्चेठाम पोसाइ छैक
शुद्धाक जीवनमे तँ खसल गाज अछि

अप्पन बड़ाइमे 'मनु' बुड़ाइ करै छी
माथक बनल ई कएहन ताज अछि

(सरल वार्णिक वर्ण, वर्ण - 15)

YOUNG TURKS- MAITHILI POETS मैथिलीक युवा तुर्कक पोथी- "हम पुछैत छी", "अनचिन्हार आखर", "निश्तुकी", "अर्चिस", "वर्णित रस", "मोनक बात", "नव अंशु"

शनिवार, 22 दिसंबर 2012

सभसँ प्रिय बस्तु

दादाजी दिन भरिकेँ थाकल झमारल घरमे अबैत छथि । हुनका बैसति देरी दादीक तेज स्वर गुइज उठै छनि - " आबि गेलहुँ दिन भरि बौवा कए । ई जे दिन भरि छिछियाइत रहै छी से एहि मिथिला मैथिली सँ की घरक चूल्हो जड़त ।" दादाजी शांत गंभीर होइत - "चूल्हा तँ नहि जड़त मुदा हमर सभ्यता संस्कृति हमर माएक भाषा जे हमर सभक हाथसँ छूति रहल अछि एनाहिते छुटैत रहल तँ एक दिन लोप भए जाएत आ एहन अवस्थामे कि जरुड़ी अछि ? घरक चूल्हा जड़ेनाइ की अपन माति पानि सभ्यता आ सरोस्वतीक कंठसँ निकलल मैथिलीक मिझएल आगिकेँ जड़ा कए प्रचंड केनाइ ।" दादीजी हुनकर गप्प सुनि चुप्प । ओ शाइद सभ्यता संस्कृति माएक भाषा माति पानि एहेन भारी भारी शव्दक कोनो अर्थ नहि बूझि पएलि मुदा दादाजीक छोड़ैत साँससँ एतेक तँ अबस्य बूझि गेलि जे हुनकासँ हुनक कोनो सभसँ प्रिय बस्तु दूर भए रहल छ्लनि ।

रुबाइ



साँवरिया पिया अहाँ ई की कएलहुँ   
साउन चढ़ल छोड़ि चलि कोना गएलहुँ
बहए हवा शितल सिहरैए हमर तन 
कोना रहब बिनु अहाँ बुझि नै पएलहुँ  

रुबाइ


सिस्टम आइकेँ किए बबाल बनल अछि 
नेता सभ तँ  एकटा जपाल बनल अछि 
बड़का बड़का बागर सभ राज चलबैए
जनताक प्राणेपर सबाल बनल अछि  

रुबाइ



गामक अधिकारी भेला सैयाँ हमर 
कोना क पकड़तै कियोक बैयाँ हमर 
सभक पेटीक माल आब हमरे छैक 
सैयाँ लएथिन सभटा बलैयाँ हमर 

शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

FARMHOUSE CHICKEN EFFECT-ALL WHITE, BRAHMIN AND IMPOTENT -SAHITYA AKADEMI ANNOUNCES YUVA AWARD IN MAITHILI (REPORT GAJENDRA THAKUR)


साहित्य अकादेमी द्वारा युवा पुरस्कारक भेल घोषणा। हिन्दीमे लिखैबला द्वारा मैथिलीमे मात्र पुरस्कार लेल लिखल जेबाक प्रवृत्तिजे सुखाएल मुख्यधारामे पहिनेसँ रहल अछिआ तकरा (नव) ब्राह्मणवादक अन्तर्गत पुरस्कृत कएल जेबाक प्रवृत्ति ओइमे सेहो रहल अछिआब तकर प्रसार ओ अपन जातिवादी युवा मध्य केलक अछि । चेतना समिति आदि संस्था (नवब्राह्मणवादी कट्टरताकेँ ब्राह्मण युवा वर्ग मध्य पसारैत रहबाक चेष्टा करैत रहैत अछि। पोथीक क्वालिटीक स्थानपर चमचागिरीलेखकीय दायित्वक स्थानपर जातिवादी कट्टरता चलिते रहतस्टेटस कोइस्ट युवाकेँवैज्ञानिक (नवब्राह्मणवादी युवा जे अहाँक जातिवादी विचारधाराकेँ चैलेन्ज केनाइ तँ दूरओइमे सहयोग करएकी ऐ तरहक तत्वकेँ बढ़ावा दऽ अहाँ मैथिली साहित्यक पुनर्जागरण बाधक तत्व नै बनि रहल छी।

"निश्तुकी" कविता संग्रहकेँ पुरस्कार नै भेटए ओइ लेल महेन्द्र झाकेँ सहरसा" सँदेवेन्द्र झाकेँ मधुबनी (संप्रति मुजफ्फरपुर)सँ आ योगानन्द झाकेँ बदनाम कबिलपुर गैंगसँ बजाओल गेल आ ई भार देल गेल। आ ओ सभ चुनलन्हि अरुणाभ "झा" सौरभ केँ। सायास "निश्तुकी" कविता संग्रह साहित्य अकादेमी द्वारा नै मंगाओल गेलजे एकटा इलीगल काज अछि। हरबर-दरबरमे निर्णय कएल गेलआब जएह पोथी आबि सकल ओही मध्यसँ ने निर्णय हएतसे तर्क देल गेल। पूर्ण रूपसँ फार्म हाउस चिकेन (उज्जरब्राह्मण आ नपुंसक) मैथिल ब्राह्मण जूरी चुनल गेल जे कोनो रिस्क नै रहए।
ऐ इलीगल काजकेँ हर स्तरपर चुनौती देल जाएत।
मूल पुरस्कार लेल शेफालिका वर्माकेँ चुनल गेल छन्हि आ अनुवाद पुरस्कार लेल महेन्द्र नारायण रामकेँ- दुनू गोटेकेँ बधाइ। संगमे नचिकेताक "नो एण्ट्री: मा प्रविश"सुभाष चन्द्र यादवक "बनैत बिगड़ैत" आ जगदीश प्रसाद मण्डलक "गामक जिनगी"क विरुद्ध "निश्तुकी" विरोधी तत्व जे तीन सालसँ जान प्राण लगेने अछि जे ऐ पोथी सभकेँ मूल पुरस्कार नै भेटैकसे घोर निन्दनीय अछि। "नो एण्ट्री: मा प्रविश" २००८ मे प्रकाशित रहै आ ई किताब अगिला सालसँ पुरस्कारक रेसमे नै रहतऐ पोथीकेँ मूल साहित्य अकादेमी नै भेटि सकत। मुदा की एकर स्थान मैथिलीक पहिल आ एखन धरिक एकमात्र पोस्टमॉडर्न ड्रामाक रूपमे बरकार नै रहतकी ब्राह्मणवादी विचारधारा ई स्थान ऐ पोथीसँ छीनि सकतसुभाष चन्द्र यादवक "बनैत बिगड़ैत" आ जगदीश प्रसाद मण्डलक "गामक जिनगी" अगिला साल सेहो रेसमे रहत। मुदा तारानन्द वियोगी आ महेन्द्र नारायण राम किए (नव वैज्ञानिकब्राह्मणवाद द्वारा स्वीकृत छथि आ सुभाष चन्द्र यादव आ मेघन प्रसाद अस्वीकृत ओइ आलोकमे सुभाष चन्द्र यादवक "बनैत बिगड़ैत" क विरुद्ध रामदेव झा- योगानन्द झा- महेन्द्र मलंगिया-मोहन भारद्वाज-मायानन्द मिश्र आदिक षडयंत्र सफल भैयो जँ जाए तँ की सुभाष चन्द्र यादवक मैथिली पाठकक हृदए मे जे स्थान छैसे की कम कऽ सकत ई षडयंत्रकारी सभजगदीश प्रसाद मण्डलक "गामक जिनगी"क स्थान मैथिलीक आइ धरिक सर्वश्रेष्ठ लघुकथा संग्रहक रूपमे बनि गेल अछिकी ओ स्थान कियो दोसर छीनि सकत?
पढ़ू निश्तुकी आ चमेटा मारू महेन्द्र झादेवेन्द्र झा आ योगानन्द झाकेँ -
निश्तुकी
नीचाँमे युवा पुरस्कारक साहित्य अकादेमीक निर्णय तीन पन्ना दऽ रहल छीएकर प्रिंट आउट करू आ मिथिलाक गाम-गाममे जराबू।
विदेहक सम्बन्धमे धीरेन्द्र प्रेमर्षिकेँ एकटा फकड़ा मोन पड़ल छलन्हि- "खस्सी-बकरी एक्कहि धोकरी"। राजा सलहेसक गाथामे जतऽ सलहेस राजा रहै छथि चूहड़मल चोर भऽ जाइ छथि आ जतऽ चूहड़मल राजा रहै छथि सलहेस चोर भऽ जाइ छथि। साहित्यक ब्राह्मणवाद जातिक आधारपर समीक्षा करैएसमानान्तर परम्पराक उदारवाद कट्टरता विरोधी अछि। समानान्तर परम्परा मिथिला आ मैथिलीक उदार परम्पराकेँ रेखांकित करैए तँ ब्राह्मणवादी समीक्षाकेँ मिथिलाक  कट्टर तत्व प्रभावित करै छै। समानान्तर परम्पराक घोड़ा ब्राह्मणवादी समीक्षामे गधा बनि जाइएआ ब्राह्मणवादी साहित्यमे तँ गधा छैहे नैसभ घोड़ाक खोल ओढ़ने छै। आ सएह कारण रहल जे मैथिलीक सुखाएल मुख्य धाराक साहित्य दब अछि। आ सएह कारण रहल जे अतुकान्त कविता हुअए बा तुकान्तबहरयुक्त गजल हुअए बा आजाद गजलरोलादोहा,कुण्डलियारुबाइकसीदानातहजलहाइकूहैबून बा टनका-वाका सभ ठाम समानान्तर परम्परा कतऽ सँ कतऽ बढ़ि गेलनाटक-उपन्यास-समीक्षाविहनि-लघु-दीर्घ कथा सभ क्षेत्रमे अद्भुत साहित्य मैथिलीक समानान्तर परम्परामे लिखल गेल मुदा ब्राह्मणवादी सुखाएल मुख्यधारा आ जातिवादी रंगमंच छल-प्रपंच आ सरकारी संस्थापर नियंत्रणक अछैत मरनासन्न अछि।



नीचाँमे युवा पुरस्कारक साहित्य अकादेमीक निर्णय तीन पन्ना दऽ रहल छी, एकर प्रिंट आउट करू आ मिथिलाक गाम-गाममे जराबू।
















मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

ज्योतिरीश्वर पूर्व गएर ब्राह्मण-परम्पराक महाकवि विद्यापति (चित्र पनकलाल मंडल) -पनक लाल मण्डलकेँ विदेह सम्मान -चित्रकला लेल -भेटल छन्हि।


ज्योतिरीश्वर पूर्व गएर ब्राह्मण-परम्पराक महाकवि विद्यापति (चित्र पनकलाल मंडल) -पनक लाल मण्डलकेँ विदेह सम्मान -चित्रकला लेल -भेटल छन्हि। 


ज्योतिरीश्वर पूर्व गएर ब्राह्मण-परम्पराक महाकवि विद्यापति (चित्र पनकलाल मंडल) -पनक लाल मण्डलकेँ विदेह सम्मान -चित्रकला लेल -भेटल छन्हि। 

ज्योतिरीश्वर पूर्व गएर ब्राह्मण-परम्पराक महाकवि विद्यापति (चित्र पनकलाल मंडल) -पनक लाल मण्डलकेँ विदेह सम्मान -चित्रकला लेल -भेटल छन्हि। 



मैथिलीक आदिकवि विद्यापति

कवीश्वर ज्योतिरीश्वर(लगभग १२७५-१३५०)सँ पूर्व (कारण ज्योतिरीश्वरक ग्रन्थमे हिनक चर्च अछि), मैथिलीक आदि कवि। संस्कृत आ अवहट्ठक विद्यापति ठक्कुरःसँ भिन्न। सम्भवतः बिस्फी गामक बार्बर कास्टक श्री महेश ठाकुरक पुत्र। समानान्तर परम्पराक बिदापत नाचमे विद्यापति पदावलीक (ज्योतिरीश्वरसँ पूर्वसँ) नृत्य-अभिनय होइत अछि।
बोधि कायस्थ

विद्यापति ठक्कुरःक पुरुष परीक्षामे हिनक गंगालाभक कथा वर्णित अछि। महाकवि विद्यापति (ज्योतिरीश्वर पूर्व मैथिली पदावली सभक लेखक) क विषयमे सेहो गंगालाभक ई कथा प्रचलित आ बादमे विद्यापति ठक्कुरक (संस्कृत आ अवहट्ठक लेखक) विषयमे सेहो गंगालाभक ई कथा प्रचलित भेल।
महाराज शिव सिंह

मिथिला नरेश विद्यापति ठक्कुरः (संस्कृत आ अवहट्ठक लेखक)क आश्रयदाता ओइनवार वंशक महाराज शिव सिंह।
उगना महादेव

महादेव (उगनारूपी) विद्यापतिक अहिठाम गीत सुनबा लेल उगना नोकर बनि रहैत छलाह। मैथिलीक आदिकवि विद्यापति (ज्योतिरीश्वर पूर्व) आ विद्यापति ठक्कुरः (संस्कृत आ अवहट्ठक लेखक आ राजा शिवसिंहक दरबारी) दुनूसँ सम्बद्ध कऽ उगनाक ई कथा प्रसिद्ध भेल।
महाकवि विद्यापति ठाकुर 1350-1435

विद्यापति ठक्कुरः 1350-1435 विषएवार बिस्फी-काश्यप (राजा शिवसिंहक दरबारी) आ संस्कृत आ अवहट्ठ लेखक। कीर्तिलता, कीर्तिपताका, पुरुष परीक्षा, गोरक्षविजय, लिखनावली आदि ग्रंथ समेत विपुल संख्यामे कालजयी रचना। ई मैथिलीक आदिकवि विद्यापति (ज्योतिरीश्वर पूर्व)सँ भिन्न छथि।

सोमवार, 17 दिसंबर 2012

विदेह मैथिली शिशु उत्सव

की मैथिली मात्र मैथिल ब्राह्मणक भाषा छी? -(रिपोर्ट गजेन्द्र ठाकुर)



सेन्टर फॉर स्टडी ऑफ  इण्डियन ट्रेडिशन्स- मैथिली साहित्यसँ संस्थाक की सरोकार छै? विद्यापति सेवा संस्थान चेतना समिति राजनैतिक संस्था अछि- पागबला संस्कृत अवहट्ठक विद्यापतिक सालाना विद्यापति पर्व करबाक अतिरिक्त एकर सभक की काज छै? ऑल इण्डिया मैथिली साहित्य समितिक पड़ोसीयोकेँ पता नै छै जे संस्था छैहो बा नै, जयकान्त मिश्रक मृत्युक बाद संस्थाक मान्यता बरकरार किए छै, की जयकान्त मिश्रक मैथिली लेल कएल अहसानक पारिश्रमिक हुनकर बेटी-जमाए लऽ रहल छथि। अखिल भारतीय मैथिली साहित्य परिषद की अछि एम.बी.बी.एस. डॉक्टर, जिनका साहित्यसँ कोनो सरोकार नै छन्हि, किए वोटक अधिकार लेल मुइल संस्थाक पता अपन नामसँ दै लेल तैयार भेल छथि। मिथिला सांस्कृतिक परिषद तँ विद्यापतिकेँ पागबला फोटो पहिरा कऽ विद्यापतिक नै मैथिलीक यज्ञोपवीत संस्कार करबाक दोषी अछिये। तँ की मैथिल ब्राह्मणक खाँटी संस्था सभ मैथिलीकेँ मैथिल ब्राह्मणक भाषा बनबै लेल (साहित्य अकादेमी दिल्लीमे) मात्र वोट कब्जाक राजनीतिक अन्तर्गत साहित्य अकादेमीक मैथिली कन्वीनर चुनबाक लेल संस्थाक रूपमे काज कऽ रहल अछि, तेँ अस्तित्वमे अछि?

की मैथिली मात्र मैथिल ब्राह्मणक भाषा अछि?
साहित्य अकादेमी, दिल्लीक पुरस्कारक बँटवारा (!!!) देखी तँ उत्तर की अछि?
(कुल बँटवारा ४३ बेर- 2011 धरि)
मैथिल ब्राह्मण -३६ बेर!!
कायस्थ-५  बेर
राजपूत-२  बेर
गएर सवर्ण- 0000 बेर!!!!


१९६६- यशोधर झा (मिथिला वैभव, दर्शन) मैथिल ब्राह्मण

१९६८- यात्री (पत्रहीन नग्न गाछ, पद्य) मैथिल ब्राह्मण

१९६९- उपेन्द्रनाथ झा व्यास” (दू पत्र, उपन्यास) मैथिल ब्राह्मण

१९७०- काशीकान्त मिश्र मधुप” (राधा विरह, महाकाव्य) मैथिल ब्राह्मण

१९७१- सुरेन्द्र झा सुमन” (पयस्विनी, पद्य) मैथिल ब्राह्मण

१९७३- ब्रजकिशोर वर्मा मणिपद्म” (नैका बनिजारा, उपन्यास) कर्ण कायस्थ

१९७५- गिरीन्द्र मोहन मिश्र (किछु देखल किछु सुनल, संस्मरण) मैथिल ब्राह्मण

१९७६- वैद्यनाथ मल्लिक विधु” (सीतायन, महाकाव्य) कर्ण कायस्थ

१९७७- राजेश्वर झा (अवहट्ठ: उद्भव ओ विकास, समालोचना) मैथिल ब्राह्मण

१९७८- उपेन्द्र ठाकुर मोहन” (बाजि उठल मुरली, पद्य) मैथिल ब्राह्मण

१९७९- तन्त्रनाथ झा (कृष्ण चरित, महाकाव्य) मैथिल ब्राह्मण

१९८०- सुधांशु शेखर चौधरी (ई बतहा संसार, उपन्यास) मैथिल ब्राह्मण

१९८१- मार्कण्डेय प्रवासी (अगस्त्यायिनी, महाकाव्य) मैथिल ब्राह्मण

१९८२- लिली रे (मरीचिका, उपन्यास) मैथिल ब्राह्मण

१९८३- चन्द्रनाथ मिश्र अमर” (मैथिली पत्रकारिताक इतिहास) मैथिल ब्राह्मण

१९८४- आरसी प्रसाद सिंह (सूर्यमुखी, पद्य) गएर ब्राह्मण- राजपूत

१९८५- हरिमोहन झा (जीवन यात्रा, आत्मकथा) मैथिल ब्राह्मण

१९८६- सुभद्र झा (नातिक पत्रक उत्तर, निबन्ध) मैथिल ब्राह्मण

१९८७- उमानाथ झा (अतीत, कथा) मैथिल ब्राह्मण

१९८८- मायानन्द मिश्र (मंत्रपुत्र, उपन्यास) मैथिल ब्राह्मण

१९८९- काञ्चीनाथ झा किरण” (पराशर, महाकाव्य) मैथिल ब्राह्मण

१९९०- प्रभास कुमार चौधरी (प्रभासक कथा, कथा) मैथिल ब्राह्मण

१९९१- रामदेव झा (पसिझैत पाथर, एकांकी) मैथिल ब्राह्मण

१९९२- भीमनाथ झा (विविधा, निबन्ध) मैथिल ब्राह्मण

१९९३- गोविन्द झा (सामाक पौती, कथा) मैथिल ब्राह्मण

१९९४- गंगेश गुंजन (उचितवक्ता, कथा) मैथिल ब्राह्मण

१९९५- जयमन्त मिश्र (कविता कुसुमांजलि, पद्य) मैथिल ब्राह्मण

१९९६- राजमोहन झा (आइ काल्हि परसू, कथा संग्रह) मैथिल ब्राह्मण

१९९७- कीर्ति नारायण मिश्र (ध्वस्त होइत शान्तिस्तूप, पद्य) मैथिल ब्राह्मण

१९९८- जीवकान्त (तकै अछि चिड़ै, पद्य) मैथिल ब्राह्मण

१९९९- साकेतानन्द (गणनायक, कथा) मैथिल ब्राह्मण

२०००- रमानन्द रेणु (कतेक रास बात, पद्य)कर्ण कायस्थ

२००१- बबुआजी झा अज्ञात” (प्रतिज्ञा पाण्डव, महाकाव्य) मैथिल ब्राह्मण

२००२- सोमदेव (सहस्रमुखी चौक पर, पद्य) कायस्थ

२००३- नीरजा रेणु (ऋतम्भरा, कथा) मैथिल ब्राह्मण

२००४- चन्द्रभानु सिंह (शकुन्तला, महाकाव्य) गएर ब्राह्मण- राजपूत

२००५- विवेकानन्द ठाकुर (चानन घन गछिया, पद्य) मैथिल ब्राह्मण

२००६- विभूति आनन्द (काठ, कथा) मैथिल ब्राह्मण

२००७- प्रदीप बिहारी (सरोकार, कथा)कर्ण कायस्थ

२००८- मत्रेश्वर झा (कतेक डारि पर, आत्मकथा) मैथिल ब्राह्मण

२००९- स्व.मनमोहन झा (गंगापुत्र, कथासंग्रह) मैथिल ब्राह्मण

२०१०-श्रीमति उषाकिरण खान (भामती, उपन्यास) मैथिल ब्राह्मण

२०११- श्री उदयचन्द्र झा "विनोद" (अपक्ष, कविता संग्रह) मैथिल ब्राह्मण

की मैथिली मात्र मैथिल ब्राह्मणक भाषा अछि?
साहित्य अकादेमी, दिल्लीक पुरस्कारक बँटवारा (!!!) देखी तँ उत्तर की अछि?

(कुल बँटवारा ४३ बेर- २०११ धरि)
मैथिल ब्राह्मण -३६ बेर!!
कायस्थ-५  बेर
राजपूत-२  बेर
गएर सवर्ण- 0000 बेर!!!!

साहित्य अकादेमी मैथिली पुरस्कार आ रामदेव झा आ मोहन भारद्वाजक सुभाषचन्द्र यादवक विरुद्ध षडयन्त्र


-मोहन भारद्वाज विद्यानाथ झा विदितक चमचागिरीमे बहुत दिनसँ लागल छथि।

-विद्यानाथ झा "विदित"क निम्न कोटिक उपन्यास "विप्लवी बेसरा"क कएक पन्नाक गदगदी समीक्षा "पक्षधर" नाम्ना पत्रिकामे मोहन भारद्वाज केने रहथि, मैथिली समालोचनाक क्षेत्रमे ई एकटा कारी अध्याय अछि।

-मोहन भारद्वाज रमानाथ झा ग्रन्थावलीमे पी.सी. रायचौधुरीक रचना रमानाथ झाक नामसँ अपन सम्पादकत्वमे छपबा देलन्हि।

-हालेमे विद्यानाथ झा विदितक समधि रामदेव झाक अहिठाम माँछ-भात खा कऽ मोहन भारद्वाज भरतमिलानी केने रहथि।

-टैगोर साहित्य सम्मानमे हिनको पोथी फाइनल धरि पहुँचल रहए, मुदा एकटा गएर ब्राह्मण, गएर कर्ण कायस्थ  जूरी हिनकर लिलसापर पानि फेरि देने रहथि आ पुरस्कार जगदीश प्रसाद मण्डल जीकेँ भेटि गेल छल। तकरा बाद मोहन भारद्वाज विक्षिप्त भऽ गेल रहथि।

-हालेमे चेतना समितिक मुख -पत्र घर-बाहर श्रीमान मोहन भारद्वाजकेँ साहित्य अकादेमी पुरस्कार देबा लेल फतवा जारी केने अछि। ऐ फतवा अन्तर्गत अशोक आ महेन्द्र मलंगियाकेँ सेहो साहित्य अकादेमी पुरस्कार देल जएबाक गप अछि।

-प्रबोध सम्मान लेल महेन्द्र मलंगियाक संग मिलि कऽ जे ई दुष्कर्म केने रहथि आ दुनू गोटेकेँ ओ प्राइज भेटल रहन्हि से जगत ख्यात अछि।

-मोहन भारद्वाजक जातिवादी चेहरा जगत ख्यात अछि, हिनकर असल नाम आनन्द मोहन मिश्र अछि। "विद्यापति टाइम्स" मे योगानन्द झा आ विद्यानाथ झा विदितक जमाए शंकरदेव झा (रामदेव झाक बेटा) संग मिलि कऽ जे ई सुभाष चन्द्र यादवक "बनैत बिगड़ैत" क खिलाफ अभियान शुरू केने रहथि से जगत ख्यात अछि। पहिनहियो राजकमल मोनोग्राफमे रामदेव झा आ मोहन भारद्वाज सुभाषचन्द्र यादवक पीठमे छुरा भोकने छला।
·        राजकमल चौधरी: मोनोग्राफ (सुभाष चन्द्र यादव) download link 
https://sites.google.com/a/videha.com/videha-pothi/Home/Rajkamal_Monograph.pdf?attredirects=0
https://docs.google.com/viewer?a=v&pid=sites&srcid=dmlkZWhhLmNvbXx2aWRlaGEtcG90aGl8Z3g6NDNiMmVhYThlOTNiMDA5Zg
·        
Gangesh Gunjan राजकमल जी (विनिबंध)क प्रकरण कान मे पडल तं छल, से कतोक वर्ख भ गेलै आब| मुदा
से एहन कुरूप छैक से अहींक एहि फेस बुकिया समाद मे स्पष्ट भेलय| तें एकर
धन्यवाद अहीं कें दैत छी गजेन्द्र जी |... ओना वास्तविक तं ई जे सम्पूर्ण
पढबा सं पहिने मोन "विरक्त" भ' गेल | नै पढि भेल आगाँ ! नीक केलौहें नेट पर द'
क'| समकालीन आ आगत पीढ़ी सेहो बुझओ ई कारी-कथा! हमरा सन लोकक विडम्बना देखू
जे पूरा प्रकरण अपन अनुज- मित्र- अग्रज सं जुडल अछि| से एहन ऐतिहासिक दुर्घटना
भ' गेल अछि ! उत्तरदायी व्यक्तिगत हम कतहु सं नै | मुदा साहित्यिक पीढ़ीक
नैतिकता सं "अपराध बोध" सहबा लेल अभिशप्त छी| उपाय ?
सस्नेह,Gangesh Gunjan 


-आब एतेक केलाक बादो जँ ऐ बेरुका साहित्य अकादेमी पुरस्कार मोहन भारद्वाज विद्यानाथ झा विदितक राजमे नै लऽ सकथि वा महेन्द्र मलंगियाकेँ नै दिअबा सकथि तँ से आश्चर्ये हएत।

विद्यानाथ झा विदितक चमचागिरीमे लागल ब्राह्मणवादी समीक्षक मोहन भारद्वाज: मैथिली समालोचनाक कारी अध्याय: चमचागिरी समीक्षाक मोहन भारद्वाज द्वारा स्थापना


विद्यानाथ झा विदितक चमचागिरीमे लागल ब्राह्मणवादी समीक्षक मोहन भारद्वाज: मैथिली समालोचनाक कारी अध्याय: चमचागिरी समीक्षाक मोहन भारद्वाज द्वारा स्थापना

विद्यानाथ झा विदितक चमचागिरीमे लागल ब्राह्मणवादी समीक्षक मोहन भारद्वाज: मैथिली समालोचनाक कारी अध्याय: चमचागिरी समीक्षाक मोहन भारद्वाज द्वारा स्थापना

विद्यानाथ झा विदितक चमचागिरीमे लागल ब्राह्मणवादी समीक्षक मोहन भारद्वाज: मैथिली समालोचनाक कारी अध्याय: चमचागिरी समीक्षाक मोहन भारद्वाज द्वारा स्थापना

ब्राह्मणवादी समीक्षक मोहन भारद्वाज: रामदेव झासँ मिलि कऽ भोंकलनि सुभाष चन्द्र यादवक पीठमे जातिवादी छुरा

ब्राह्मणवादी समीक्षक मोहन भारद्वाज द्वारा पी.सी.रायचौधुरीक रचनाक कॉपीराइट हनन: अपन सम्पादकत्वमे रायचौधुरीक रचना रमानाथ झाक नामसँ छप्लनि: सहयोगी रहल सी.आइ.आइ.एल.