रामदेव झाक मूर्ख बेटा विजयदेव झाक फोन नम्बरसँ उमेश मण्डलकेँ पठाओल एस.एम.एस.
"गजेन्द्रक
पोसुआ अपन परतर हमर परिवारसँ जुनि करू बाउ आ फेसबुकपर जे नाटक क' रहल छी
ओइसँ पैघ नाटक हमरा अबैए। कहबी छै फल्लाँ धोबीकेँ लूरिसँ बनल भगता मंडल
अपन बापकेँ परतर आ तुलना ककरासँ क' रहल छी बाउ पहने फल्लाँ धो आउ तखन हमरा
परिवारक योगदानपर चर्चा करब बाउ अपनेक पिताकेँ कोना अकेदमी एवार्ड भेटल
आब ओइपर अहाँ लेख पढ़ब बुरी रे लिखनाइ की होइ छै से हम सीखा देब।"
महेन्द्र
मलंगियाक मूर्ख बेटा ललित कुमार झाक हाथ जे रामदेव झाक मूर्ख बेटा विजयदेव
झाक फोन नम्बरसँ उमेश मण्डलकेँ पठाओल ऐ एस.एम.एस. सँ सिद्ध होइए।
"बहुत-बहुत
धन्यवाद, समदिया पहिल बेर नीक समाचार सुनौलक हमरा, हमर एक हेराएल मित्र
हमरा नाइजीरियासँ फोन केलनि, फूइसक खेती चालू रहय मण्डल"
(+२३४८०३९४७२४५३नाइजिरिया ललित कुमार झा) (विजयदेव झा +९१९४७०३६९१९५)
विजयदेव झाक ड्रग एडिक्ट बला भ्रष्ट-अशुद्ध अंग्रेजीमे पठाओल अभद्र ई-मेल, पैरवीसँ पास करैक निशानी
Vijay Deo Jha
Mar 19
to Gajendra
Dear,
Sri
Gajendra Thakurji I am writing you this mail in response to sustained
campaign by your close group forming E-Samadiya and others including
Umesh Mandal and one ghost lady Priyanka Jha against me that I obtained
assignment from the Sahitya Akademi. I have attached scanned copy of the
reply of Sahitya Akademi in this regard. Dear sir, as your supported E
magazine had published the report of an RTI indicating my name one who
has obtained translation assignment that you people propagated some sort
of Wikileaks. Dear Sir, your energetic team did not apply its mind to
ascertain the fact of the assignment and thereafter. Though during the
debate I found your esteemed literary colleague Priyanka Jha down to the
gutter--she had neither the manner nor mind to enter into a debate of
literary kind. I rest this matter here. But I will like you to publish
this letter and my version with same prominence the way I was targeted.
I don't have mail id and phone number of Shree Umesh Mandal and
Priyanka Jha to reply them. I mailed you also because of the reason that
you have been in touch with these two.
Regards
Vijay Deo Jha
Jun 4
to Gajendra
Dear Sir,
Please
refer to my previous mail along with attachment. I had requested you to
give space to my statement in you E Samadiya blog against libelous
content published against me regarding taking benefit from Sahatiya
Akademi. I understand that you have a busy schedule in politics of
literature apart from your job. I understand that you people are prone
to forget to repair mistakes and nonsense delivery of allegation. Sir
let me be very specific that you had leveled certain charges against me
and I made my reply along with official communication received from SA.
Don't you think that you should act as a gentleman to publish my version
and the letter to clear my stand. Sir I am frivolous and flippant kind
of person rather I am a very no-nonsense kind of people. You must be
wondering that I am chasing you like anything over a petty issue. The
charges you leveled against me could be petty in your consideration but
for me it a serious matter. I am amazed that how person like you who is
calmouring to be maker of Maithili Literature has been behaving
shamelessly. Some two and half month back I had sent you the mail with
the request. I had sent mail to Umesh Ji also. Your silence suggests you
people are standing nowhere on the integrity index and how a so called
intellectual and writer like you can be third rate cheat. I am also
looking for that fantastic lady Priyanka Jha. Hadn't she been a lady I
would have given her piece of my mind. Sorry for being harsh but you
have forced me to be so.
29 AUGUST 2012 09.15 PM
मैं इस बात के लिए खेद प्रकट करता हूँ की मेरी वजह से आपका लीटर भर खून जल
गया होगा. आप और आपके अनुचरों की भाषा उस तिलमिलाहट को दिखाती है वैसे मुझे
बहुत सारे सज्जनों ने फोन पर आपसे मूह न लगाने की सलाह दी क्यूँ की आपने
किसी को नहीं छोड़ा है सब को गाली दी है ऐसे में मैं क्या. छोड़िये इन
बातों को, मेरा मेल आप खूब प्रकाशित कर रहे हैं आप. मैं ने आपको एक और मेल
भेजा था हिंदी में क्यूँ की मेरी अंग्रेजी या तो बुरी है या फिर आपके समझ
से बाहर है. वह मेल भी प्रकाशित करें हाँ लेकिन ईमानदारी होनी चाहिए क्यूँ
की मेरे ड्रग एडिक्टेड टेक्स्ट को आप अपने करप्ट एडिटिंग के द्वारा अपने
लायक बना देते हैं. मूल सवाल यह देखने में आया है की आप मेरे सवालों को
अपने ब्लॉग और साईट पर जगह नहीं देते. अगर आप वह मेल प्रकाशित कर दें तो
मुझ जैसे मुर्ख के असलियत के साथ साथ लोगों को आप जैसे महान इंटरनेटी
फेसबुकिया साहित्यकार के असलियत का भी पता चल जायेगा. आप एक महान फेसबुक
साहित्यकार हैं आपका बस चले तो मैथिली के सारे साहित्यकारों का संहार कर
दें. अपने सभ्य तमीजदार टीम और उसके भाषा में बारे में क्या ख़याल रखते हैं
गजेन्द्र सर. अच्छा है की लोग उन्हें भी पढ़ रहें हैं. एक बात तो है की अगर
साहित्य अकादमी में मैथिली न होता तो आप जैसे पैसा पीटने वाले लोग
साहित्यकार बनने की कोशिश नहीं करते. आप किसी साहित्य की सेवा नहीं कर रहे
हैं. जब आदमी पैसा कमा लेता है तो उसे यश कमाने की भूख लगती है लेकिन वह
पैसे से नहीं कमाया जा सकता है ना सर. मुर्ख हूँ आपके शब्दों में लेकिन है
यह है पते की बात. सर बहुत सीधा सा सवाल पूछता हूँ की आप इतना बड़ा ढोंग
कैसे कर लेते हैं मसलन घोर ब्रामहण विरोधी आदि आदि. यह जो जातिसूचक टाईटिल
आपने लगा रखा है उसे तो पहले हटायें फिर जनेऊ हटायें फिर यह सब बाचन करें.
यह बात मैंने आपको पिछले बार भी पुछा था जब आप प्रियंका झा बन कर हम से
पेंच लड़ा रहे थे. मैं आप के किस रूप की पूजा करू आप कब किस रूप में दर्शन
देते हैं श्रीमान यह बड़ा गंभीर तत्व ज्ञान का विषय हैं. श्रीमान यह बताएं
की जब आपको यह दिव्यज्ञान प्राप्त हुआ था की आपको साहित्य में भी हाथ
आजमाना चाहिए उस वक्त आपकी उम्र क्या थी? क्या मेरे पिताजी के उम्र से अधिक
या उनके बराबर. जबाब देने से पहले सोच लें क्यूँ की मेरे पिताजी (आपके
शब्दों में बाप, यह आपका तमीज है) और आपके पूजनीय पिताजी हमउम्र ही होंगे.
यह आप तय करेंगे की मेरे पिताजी साहित्यकार हैं या नहीं या आपका वह
गुमास्ता आशीष तय करेगा? अच्छा आप एक बात बताएं बुरा न मानें तो क्या आपलोग
अपने पिताजी को बाप ही कहते हैं. एक काम करें अपना मूह उठायें और थूकें और
देखें की थूक कहाँ गिरता है आपके चेहरे पर या सूर्य पर. कौन सा डिबेट आप
कर रहे थे आप? आपको इस बात की जानकारी भी नहीं होगी की मैं आपका बहुत बड़ा
प्रसंशक रहा था मेरे पास आप के द्वारा पंजी प्रथा पर काम किया गया अद्भुत
सीडी है जिसे मैं लोगों को दीखता था. लेकिन आपने अपने टुच्चे हरकत से मुझे
तो ज़लील किया ही मेरा विस्वाश भी तोडा की आप सही में आदरणीय हैं. मुझे
क्या पड़ी है की किसको अवार्ड मिले लेकिन आपने मुझे अपने घटिया राजनीति का
शिकार बनाया. मेरे लिए सारे साहित्यकार बराबर हैं और सम्माननीय क्यूँ की वह
साहित्य की सेवा कर रहें हैं. मैं ने पिछली बार भी आप लोगों को तभी रोका
और टोका था जब आप लोगों ने मायानादं मिश्र को गन्दी गन्दी गलियां दी थी.
लेकिन गाली गलौज करते हुए आप उस सीमा तक चले गए जहां आप जाहिल नज़र आते हैं
और मैं किस जाहिल से बहस कर रहा हूँ? किसी का अपमान ना करें और किसी पर गलत
आरोप न लगायें. आश्चर्य है की आप ने मुझे क्यूँ साहित्य अकादमी के विवाद
में घसीटा जब मुझे पता ही नहीं की क्या हो रहा है ? एक अच्छे और ज़िम्मेदार
व्यक्ति की तरह मैं ने अपनी सफाई दी थी और यह आशा किया की आप मेरी बातों को
भी रखेंगे. लेकिन आप ने ये क्या किया? सर जी घटियापन की एक हद होती है और
आपका वह हद कहाँ ख़तम होता है और कहाँ शुरू वह बस आप बता सकते हैं. यह मेल
मैं आपको उत्तेजित करने के ख़याल से कतई नहीं लिख रहा हूँ. आप इसे पढ़े और
मनन करें की आप कैसे कैसे अपने इज्ज़त का बट्टा खुद ही लगा रहे हैं क्यूँ
की आपके बारे में लोगों के विचार सुन कर मैं सकते में पड़ गया. यह जीवन आपका
है इसके मालिक आप खुद हैं. मैं तो बस आपके लिए प्रार्थना कर सकता हूँ ऊपर
वाला मेरी बात सुने. आप मेरे बड़े भाई की तरह हैं. और हाँ यह सब मैं आपके
चापलूसी के लिए नहीं लिख रहा हूँ. स्वभावतः मैं लड़ाकू नहीं हूँ लेकिन लड़ने
से पीछे नहीं रहता.
सादर चरण स्पर्श आपका अनुज
विजय (हाँ आपको मेरे मोबाईल लोकेसन को ट्रेस करने के लिए मेहनत नहीं करनी
चाहिए आपका मेरे ऊपर आपका स्वाभाविक अधिकार है जो किसी साहित्यिक इज्म से
ऊपर है. यह मेरा आपको,लिखा गया अंतिम मेल है)
आशीष अनचिन्हारकेँ फेसबुक मैसेजपर सेहो ई मूर्ख विजदेव मैसेज केलक
एखने
हमर फेसबुक मैसेजमे रामदेव झाक मूर्ख बेटा विजयदेव झाक मैसेज आएल अछि जे
हम बिना काँट-छाँटकेँ दए रहल छी। ऐ मैसेजसँ अहाँकेँ ई पता लागि जाएत जे
कोना रामदेव झा आ हुनक दूनू बेटा मने विजय देव झा आ शंकर देव झा गारि बलेँ
मैथिलीकेँ बहुत दिन धरि ब्लैकमेलिंग केलकै। संगे-संग हम ईहो कहए चाहब जे ऐ
ब्लैकमेलिंगमे रामदेव झा आ हुनक बेटा संगे मोहन भारद्वाज, महेन्द्र
मलंगिया, चेतना समीति आ आर किछु साहित्यकार सभ अनवरत सहयोगी रहल छथि। मुदा
आब जे विदेह आंन्दोलन भए रहल अछि ताहिसँ घबड़ा कए ई सभ अभद्रता कए रहल अछि।
मुदा आब से चलए बला नै छै। तँ पढ़ू हुनक मूल मैसेज----
हे
रे अशीषवा, गजेन्द्र के पोसुवा, पतचटवा औकात देख क बात कर बालगोविन्द
जनामि क ठाड़ भेलौं ने की कहै जे छै नबका जोगी के गांडी में जट्टा
SATISH
VERMA LIKHAI CHHATHI...Satish Verma Isi Bhagwa Shankardev jha ko maine
bahut pahle apne lekh me khub lapeta tha. Darsal Agnipushp sampadit
samvad patrika me Gujrat danga aur Narendra modi ke role par meri ek
kahani chapi thi,jis par usne badi hi behuda tippani ki thi,jiska jawab
maine rachna,darbhanga,vishwanathjee ke patrika ke jariye diya tha.shunt
ho gaye the shankardev babu,aukat nap gayi thi unki.
VINIT UTPAL..LIKHAI CHHATHI ..
Vinit
Utpal क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पर गरल हो, वह क्या जो दन्तहीन,
विषहीन और अत्यंत सरल हो.गाली देब परम्परा अछि. जिनकर जेहन संस्कार, हुनकर
मुंह से तहिने बोली.रचनात्मकता में जीवन अनुभव के बड़ रास योगदान होयत अछि.
फेर संस्कार ते घर से भेटैत अछि. अशीषवा,पोसुवा, गांडी, जट्टा एहन शब्द
अलंकारक प्रयोग करहिक अर्थ अछि जे अखनो लोक में आदिम संस्कार से जुडल अछि. ई
सब शब्द साहित्य से दूर भ
रहल अछि. ताहि सं विजयदेव झा सहित तमाम
मैथिली से जुडल अहिने प्रबुद्ध लोक सें आग्रह जे अहां सब शब्दक संगे आओर
एहिने शब्दक प्रयोग क मिथिलाक शब्दकोष के समृद्ध करल जाय. कियाकि तथाकथित
ब्राहमणवादी साहित्यकार घर में ते एहन शब्दक प्रयोग करैत छथिन आ अप्पन नेना
सभ के सिखाबैत अछि मुदा अप्पन लेखनी में प्रयोग
नहि करैत अछि.
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रामदेव झा, शंकरदेव झा आ विजयदेव झा:ब्लैकमेलर फैमिलीक आज अखबारमे निकालल न्यूज |
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रामदेव झा, शंकरदेव झा आ विजयदेव झा:ब्लैकमेलर फैमिलीक आज अखबारमे निकालल न्यूज |
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रामदेव झा, शंकरदेव झा आ विजयदेव झा:ब्लैकमेलर फैमिलीक आज अखबारमे निकालल न्यूज |
पूर्वपीठिका:
-रामदेव झाक बेटा विजयदेव झा द्वारा फोन नम्बर +९१९४७०३६९१९५ सँ उमेश मण्डलकेँ धमकी
-उमेश मण्डलकेँ देख लेबाक आ उठा लेबाक धमकी देलक विजयदेव झा
-हालेमे
साहित्य अकादेमी बाल साहित्य पुरस्कारमे प्रौढ़ साहित्यपर पुरस्कार ओकर
पितयौत भाइ मुरलीधर झा केँ देल गेल, जकर घोर विरोध भऽ रहल अछि
-विजयदेव झा गाड़ि-गलौज सेहो केलक
-विजयदेव
झा एक दिससँ सुभाष चन्द्र यादव, प्रियंका झा, प्रीति ठाकुर, प्रबोध नारायण
सिंह, उदय नारायण सिंह नचिकेता, उमेश मण्डल, ज्योत्सना चन्द्रम, विभूति
आनन्द, भीमनाथ झा, उषाकिरण खान, यात्री, शरदिन्दु चौधरी, सुधांशु शेखर
चौधरी सभकेँ गरियेलक
-ओ ईहो कहलक
जे प्रीति ठाकुरकेँ बाल साहित्य पुरस्कार नै देल गेल, तेँ सभ विरोध कऽ रहल
अछि, ऐसँ पहिने ओ फरबरीमे कहने छल जे जगदीश प्रसाद मण्डलकेँ मूल साहित्य
अकादेमी पुरस्कार नै देल गेलै तँइ विरोध भऽ रहल अछि।
-विजयदेव
झा कहलक जे प्रीति ठाकुर, सुभाष चन्द्र यादव, नचिकेता, जगदीश प्रसाद मण्डल
आ गजेन्द्र ठाकुर केँ ऐ जन्ममे ओ सभ साहित्य अकादेमी पुरस्कार नै प्राप्त
करऽ देतै