“डाँड़ टूटल जाइए भरि राति सूतलहुँ नहि बड़ तंग करै छी, अगिला जन्ममे अहाँ हिजड़ा होएब जे कोनो आओर मौगीकेँ एना तंग नहि कए सकब।”
“ठीक छै ! अगिला जन्म अगिला जन्ममे देखल जेतै, एहि जन्मक आनन्द तँ लए लिअ। आ अगिला जन्ममे ओहि हिजड़ाक ब्याह जँ अहिँक संगे भए गेलहि तँ ।"
“ठीक छै ! अगिला जन्म अगिला जन्ममे देखल जेतै, एहि जन्मक आनन्द तँ लए लिअ। आ अगिला जन्ममे ओहि हिजड़ाक ब्याह जँ अहिँक संगे भए गेलहि तँ ।"
© जगदानन्द झा 'मनु'
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