मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। एहि ब्लॉग के subscribe करब नहि बिसरब, जाहिसँ समस्त आलेख पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनि के भेटैत रहत।

गुरुवार, 9 जनवरी 2025

गजल

अनलौं करेजा अपन स्वीकार करु

हमरासँ एना   अहाँ नै   बेपार करु

  

गरदनि उठा कनिक हमरा नहि देखबै

हम आब एतेक कोना सिंगार करु

 

सस्ता महग बाढ़ि रौदी सगरो भरल

सोइच गरीबक अहाँ किछु सरकार करु

 

हरलौं कते युगसँ तन मन धन बनि अपन

ऐ आतमा  पर हमर नहि अधिकार करु

 

झूठक बटोरल अहाँकेँ बहुमत रहल

‘मनु’ नहि सड़ल बाँटि जनता बेमार करु

 

(बहरे सगीर, मात्राक्रम - 2212-2122-2212)

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’


शुक्रवार, 27 दिसंबर 2024

गजल

प्रेममे हुनकर जहर चिखने जाइ छी 
सब बुझैए  हम निशा केने जाइ छी
 
जे मजूरक पैँख  पेलौं उपहारमे
प्राण बुझि संगे सगर नेने जाइ छी
 
रोशनाई नै कलममे  बड़ अछि कहब
चीर छाती सोणितसँ लिखने जाइ छी
 
मानतै के देख मुँह पर मुस्की हमर
की करेजाकेँ अहाँ खुनने जाइ छी 
 
बहुत लागल जीवनक ठोकर चारुदिस
सुमरि ‘मनु’केँ चोट सब सहने जाइ छी
 
(बहरे जदीद, मात्राक्रम- 2122-2122-2212)
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

रविवार, 8 दिसंबर 2024

रुबाइ

हमहूँ खेत आइ बोटीकेँ रोपलौं

पोसै लेल पेट झूठक हर जोतलौं

कारी कोटसँ कोटमे निसाफ ककरा

टाका पाबि आँखि बान्हि दफा जोखलौं

                   ✍🏻जगदानन्द झा ‘मनु’


बुधवार, 4 दिसंबर 2024

रुबाइ

तोरा नहि हम छोड़लौं नहि हम बेवफा

तोरा बिन नहि मरलौं नहि हम बेवफा

तोहर प्राण गेल बुझि नहि जीवैत ‘मनु’

बिन काठीए जरलौं  नहि हम बेवफा

                ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

 


शनिवार, 26 अक्टूबर 2024

गजल

तारीमे कतए मद जे चाही जीबै लेल

माहुरमे कुन जीवन चाही जे चीखै लेल 

 

बाँकी नै तारीएटा टूटल मनकेँ लेल

जीवनमे एकर बादो बड़ छै पीबै लेल

  

सिस्टममे फाटल छै मेघसँ धरती धरि कोढ़

एतै कतयसँ दरजी सिस्टम सीबै लेल

 

जीतब हारब सदिखन लगले छै जीवन संग

फेरसँ उठि कोशिश नमहर हेतै जीतै लेल

 

खेती मोनसँ करबै ‘मनु’ जीवनकेँ तैयार

कर्मक बीया सगरो बहुते अछि छीटै लेल

 

(बहरे विदेह, मात्राक्रम- 2222-2222-222-21 सभ पाँतिमे)

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’


शुक्रवार, 5 जुलाई 2024

रुबाइ

पागल हम दुनियामे पियार तकै छी

भलमानुस सब सगर वेपार तकै छी

नै कोनो दाम मनुख मनुखताकेँ

स्वार्थी लोकसँ ‘मनु’ सरोकार तकै छी

                 ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

मंगलवार, 2 अप्रैल 2024

जँ हम मरि जाइ कनिको नै अहाँ कानब - गजल

रुबाइ

एतेक नेहमे लीबैत किएक छी

दुनिया पुछलनि हम जीवैत किएक छी 

सभ बुझला उत्तर ‘मनु’ अहूँ इ जुनि पूछू 

दिन राति एतेक पीबैत किएक छी 

                ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

 


रविवार, 31 मार्च 2024

गजल

हम बनब चाहै छलौं की  कि बनि गेलौं

प्रेममे प्रियतम अहीँ  केर    सनि गेलौं

 
आश जे परिवारकेँ  आब नहि रहलै

जेब खाली देख सब हीन जनि गेलै

 

सुधि रहल नै बोझ लदने अपन हमरा

प्रेम कनिको भेटते हम तँ कनि गेलौं

          

मोनकेँ भीतर घराड़ी  बसल सदिखन

छल लिखल परदेशके  देश मनि गेलौं                  

 

नेह अप्पन आब नै नेह टा रहलै

मोनमे बसि ‘मनु’ हमर साँस गनि गेलौं

 

(बहरे कलीबमात्राक्रम - 2122-2122-1222 सभ पाँतिमे)

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु

 

मंगलवार, 26 मार्च 2024

रुबाइ

घुमि कनखीसँ कनि जे अहाँ ताकि देलहुँ

तन मन अपन एहिपर हम हारि देलहुँ

नहि आब बैकुंठकेँ रहि गेल इच्छा

सगरो अहाँकेँ लेल ‘मनु’ बारि देलहुँ

                  ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

 


शनिवार, 17 फ़रवरी 2024

गजल

पोथीक तर दबि पढ़ुआ सगर मरि गेल

जे प्रेममे  डूबल जीविते तरि गेल 

 

सदिखन जतय मनमे छल डरक आतंक 

अबिते अहाँके नव फूल फल फरि गेल


धरती तपल छल जे पानि बिन तरसैत

हथियाक हँसिते बरखा निमन परि गेल

   

आनक सुखक चिंता बेस अप्पन दुखसँ

डाहसँ कतेको घर तेल बिन जरि गेल 

      

पाथरसँ मनु शाइर बनि रहल अछि आब

तोरासँ जे  मृगनयनी  नजरि लरि गेल 

(बहरे सलीममात्रा क्रम - 2212-2221-2221)

जगदानन्द झा ‘मनु