धाब जे अहाँ हमर करेजकेँ देलहुँ
ओ सबटा दर्द दुनियाँसँ नुका लेलहुँ
मुस्कीसँ हमर नै बुझू जे हम खुश छी
अहाँक खुशी लेल नोरकेँ पी गेलहुँ
© जगदानन्द झा ‘मनु’
धाब जे अहाँ हमर करेजकेँ देलहुँ
ओ सबटा दर्द दुनियाँसँ नुका लेलहुँ
मुस्कीसँ हमर नै बुझू जे हम खुश छी
अहाँक खुशी लेल नोरकेँ पी गेलहुँ
© जगदानन्द झा ‘मनु’
जखन सगरो दर्द भेटल
अपन सीलौं ठोर रेतल
द’बल अपने हाथ गरदनि
तखन के ई नोर मेटल
घरक बन्हन छोरि दुनिया
सटल जतए नोट गेटल
भरोसा करु आब कोना
लखन भेषे चोर फेटल
दहेजक ‘मनु’ चारिचक्का
बियाहक पहिनेसँ सेटल
(बहरे मजरिअ, मात्राक्रम 1222-2122)
जगदानन्द झा ‘मनु’
जखन मोन कानल गजल कहलौं
रहल कोंढ़ छानल गजल कहलौं
जमाना सुतल छल जखन नींदसँ
तहन राति जानल गजल कहलौं
लगन भेल तीसम बरख धरि नहि
पड़ोसनसँ गानल गजल कहलौं
जुआ छल लदल कांहपर लोकक
पसीनासँ सानल गजल कहलौं
उमर ‘मनु’ बितल आर की करबै
अपन मोन ठानल गजल कहलौं
(मात्राक्रम सभ पाँतिमे 122-122-1222)
जगदानन्द झा ‘मनु’
देख तोरा सुन्नरी सीटी बजैए
बन्द धरकन ई कतेकोकेँ करैए
फालतू परमाणु बम दुनिया बनेलक
तोर कनखीपर मनुख लाखो मरैए
© जगदानन्द झा ‘मनु’
हम जरैत छी की अहाँ प्रकाशित रही
अहाँक सुख लेल खुशीसँ हम आँच सही
बातीकेँ जरैत ई दुनिया देखलक
तेल बनि हम तँ जरलौं दुख कतेक कही
© जगदानन्द झा 'मनु'मिथिलामे जमेएकें भोजन परसैत काल साउस पुछलथिन : "झा जी खीर खेबइ कि हलुआ..??"
जमेए : "किएक घरमे कटोरी एक्के टा छैक की ?''
मैया हमर जगतारनि कल्याणी
सबहक अहाँ सुधि लेलौं महरानी
नै हम मिलब माँ बाटक गरदामे
चिंता किए जेकर माय भवानी
जग ठोकरेलक सदिखन ढेपासन
देलौं शरण निर्बलके हे दानी
दर्शन अपन दिअ हे अम्बे माता
नै सोन झूठक चाही नै चानी
धेलक चरण 'मनु' तोहर हे मैया
नै आब जगमे ककरो हम जानी
(मात्रा क्रम : २२१२-२२२-२२२)
जगदानन्द झा 'मनु'