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मंगलवार, 26 जून 2012

TAGORE LITERATURE AWARD 2011 (Report Gajendra Thakur and Durganand Mandal)

TAGORE LITERATURE AWARDS 2011 (Report Gajendra Thakur and Durganand Mandal)
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REPORT BY GAJENDRA THAKUR
साहित्य अकादेमीक टैगोर लिटरेचर अवार्ड २०११ मैथिली लेल श्री जगदीश प्रसाद मण्डल केँ हुनकर लघुकथा संग्रह "गामक जिनगी" लेल देल गेल। कार्यक्रम कोच्चिमे १२ जून २०१२केँ भेल।



मैथिली लेल विवादक अन्तक कोनो सम्भावना नै देखबामे आबि रहल अछि। ऐ पुरस्कारक ग्राउण्ड लिस्ट बनेबा लेल एकटा तथाकथित साहित्यकारकेँ चुनल गेल जे प्राप्त सूचनाक अनुसार जातिक आ संकीर्णताक आधारपर पोथीक नाम देलन्हि जाइमे नहिये नचिकेताक पोथी रहए, नहिये सुभाष चन्द्र यादवक आ नहिये जगदीश प्रसाद मण्डलक; संगहि ई ग्राउण्डलिस्ट बनौनिहार तथाकथित साहित्यकार विदेहक सहायक सम्पादक मुन्नाजीकेँ कहलन्हि जे जगदीश प्रसाद मण्डलकेँ ऐ जिनगीमे टैगोर साहित्य पुरस्कार नै देल जेतन्हि!। रेफरी जखन ७ टा पोथीक नाम पठेलन्हि तखन ओइमे चन्द्रनाथ मिश्र "अमर"क अतीत मंथन सेहो रहए जखन कि ओ पोथी निर्धारित अवधि २००७-२००९ मे छपले नै अछि, तँ की बिनु देखने पोथी अनुशंसित कएल गेल? ऐ तरहक ग्राउण्ड लिस्ट बनेनिहार आ बिनु पढ़ने पोथी अनुशंसित केनिहार रेफरीकेँ साहित्य अकादेमी चिन्हित करए, आ नाम सार्वजनिक कऽ स्थायी रूपसँ प्रतिबन्धित करए, से आग्रह; तखने मैथिलीक प्रतिष्ठा बाँचल रहि सकत। एतए ईहो तथ्य अछि जे साहित्य अकादेमीक मैथिली विभागक संयोजक श्री विद्यानाथ झा विदित अखन धरि ने पुरस्कार भेटबाक सूचने आ ने पुरस्कार लेल बधाइये श्री जगदीश प्रसाद मण्डलजी केँ देलन्हि अछि जखनकि मण्डल जी पुरस्कार लऽ कऽ घुरि कऽ आबियो गेल छथि; संगहि टैगोर साहित्य पुरस्कार मैथिली लेल पहिल बेर श्री जगदीश प्रसाद मण्डल जीकेँ देल जएबा सम्बन्धमे दरभंगा आकाशवाणी कोनो प्रकारक सूचना प्रसारित नै केलक आ दरभंगा, मधुबनी आदिक हिन्दी समाचार-पत्र सेहो ऐ सम्बन्धमे कोनो समाचार प्रकाशित नै केलक जखनकि देशक सभ राष्ट्रीय अंग्रेजी पत्र एकर सूचना बिनु कोनो अपवादक प्रकाशित केलक। साहित्य अकादेमीक मैथिली विभागक, आकाशवाणी दरभंगाक आ दरभंगा-मधुबनीक हिन्दी समाचार पत्रक पत्रकार लोकनिक संकीर्ण जातिवादी चेहरा नीक जेकाँ सोझाँ आबि गेल। मुदा ई तँ मात्र प्रारम्भ अछि। साहित्य अकादेमीक मैथिली विभागक असली चेहरा तखन सोझाँ आओत जखन ऐ बर्खक मूल साहित्य अकादेमी पुरस्कारक घोषणा हएत।

श्री जगदीश प्रसाद मण्डल जीक "गामक जिनगी" मैथिली साहित्यक इतिहासक सर्वश्रेष्ठ लघु कथा संग्रह अछि। जगदीश प्रसाद मण्डल जीकेँ बधाइ।

सूचना (स्रोत समदिया): जगदीश प्रसाद मण्डल जी केँ हुनकर मैथिली लघुकथा संग्रह "गामक जिनगी" लेल टैगोर साहित्य पुरस्कार २०११ देबाक घोषणा। कार्यक्रम १२ जून २०१२ ई. केँ कोच्चि (केरल) मे। ई पुरस्कार दक्षिण कोरियाक एम्बैसी (स्पॉन्सर सैमसंग इण्डिया लिमिटेड) क आग्रहपर साहित्य अकादेमी द्वारा शुरू कएल गेल अछि। टैगोर साहित्य पुरस्कार गुरुदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुरक १५०म जयन्तीक उपलक्ष्यमे शुरू भेल छल। सभ साल ८ टा भाषा आ तीन सालमे साहित्य अकादेमी द्वारा मान्यता प्राप्त सभटा २४ भाषाकेँ ऐमे पुरस्कृत कएल जाइत अछि। मैथिली लेल ई पुरस्कार पहिल बेर देल जा रहल अछि।
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुरक १५०म जयन्तीक उपलक्ष्यमे साहित्य अकादेमी आ सैमसंग इडिया (सैमसंग होप प्रोजेक्ट) द्वारा २००९ ई. मे स्थापित कएल गेल छल टैगोर साहित्य पुरस्कार। २४ भाषाक श्रेष्ठ पोथीकेँ तीन सालमे पुरस्कार (सभ साल आठ-आठ भाषाक सर्वश्रेष्ठ पोथीकेँ एक सालमे पुरस्कार) देल जाएत। पुरस्कारमे प्रत्येककेँ ९१ हजार टाका आ प्रशस्ति-पत्र देल जाएत। चारिम साल पहिल सालक आठ भाषाक समूहक फेरसँ बेर आएत। टैगोर जयन्तीक लगाति अवसरपर ई पुरस्कार देल जाइत अछि।

टैगोर साहित्य पुरस्कार २००९  बांग्ला, गुजराती, हिन्दी, कन्नड, काश्मीरी, पंजाबी, तेलुगु आ बोडो भाषामे २००५ सँ २००७ मध्य प्रकाशित पोथीपर देल गेल।
-बांग्ला (आलोक सरकार, अपापभूमि, कविता)
-गुजराती ( भगवान दास पटेल, मारी लोकयात्रा)
-हिन्दी (राजी सेठ, गमे हयात ने मारा, कथा संग्रह)
-कन्नड (चन्द्रशेखर कांबर, शिकारा सूर्य, उपन्यास)
-काश्मीरी (नसीम सफाइ, ना थसे ना आकास, कविता)
-पंजाबी (जसवन्त सिंह कँवल, पुण्य दा चानन, आत्मकथा)
-तेलुगु (कोवेला सुप्रसन्नाचार्य, अंतरंगम, निबन्ध)
-बोडो (ब्रजेन्द्र कुमार ब्रह्मा, रैथाइ हाला, निबन्ध)

टैगोर साहित्य पुरस्कार २०१० असमी, डोगरी, मराठी, ओड़िया, राजस्थानी, संथाली, तमिल आ उर्दू भाषामे २००६ सँ २००८ मध्य प्रकाशित पोथीपर देल गेल।

-असमी (देवव्रत दास, निर्वाचित गल्प)
-डोगरी (संतोष खजूरिया, बडलोनदियन बहारां)
-मराठी (आर. जी. जाधव, निवादक समीक्षा)
-ओड़िया (ब्रजनाथ रथ, सामान्य असामान्य)
-राजस्थानी (विजय दान देथा, बातां री फुलवारी)
-संथाली (सोमाइ किस्कू, नमालिया)
-तमिल (एस. रामकृष्णन, यामम)
-उर्दू (चन्दर भान खयाल, सुबह-ए-मश्रिक-की अजान)


टैगोर साहित्य पुरस्कार २०११ मैथिली, अंग्रेजी, कोंकणी, मलयालम, मणीपुरी, नेपाली आ सिंधी लेल २००७ सँ २००९ मध्य प्रकाशित पोथीपर देल गेल। संस्कृत लेल पुरस्कार नै देल जा सकल।

-मैथिली (जगदीश प्रसाद मण्डल, "गामक जिनगी")

-अंग्रेजी (अमिताव घोष, "सी ऑफ पॉपीज")

-कोंकणी (शीला कोलाम्बकर, "गीरा")

-मलयालम (अकितम अचुतम नम्बूदरी, "अंतिमहक्कलम")

-मणीपुरी (एन. कुंजामोहन सिंह, "एना केंगे केनबा नट्टे")

-नेपाली (इन्द्रमणि दरनाल, "कृष्णा-कृष्णा")

-संस्कृत-

-सिंधी (अर्जुन हसीद, "ना इएन ना")



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REPORT AND PHOTOS BY DURGANAND MANDAL

 दुर्गानन्‍द मण्‍डल

टैगोर साहि‍त्‍य पुरस्‍कारक बहन्ने



तारीख 10/6/2012 दि‍न रवि‍, ि‍नरमलीसँ पटना जेबाक हेतु, स्‍थानि‍य मि‍लानपथसँ संध्‍या 8 बजे सरकारी बस द्वारा गोसाइ-पीतरकेँ सुमरि‍, आरक्षि‍त जगहपर बैसल। मनमे सदि‍खन देव-पीतरक यादि‍, ताकि‍ यात्रा शुभ हुअए। ि‍नर्धारि‍त समैसँ बस खुजल। भुतहा, नरहि‍या, फुलपरास होइत चनौरागंजमे काका (श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल) केँ गोर लागि‍ आदरक संग बैसाओल। हुनका छोड़क हेतु बेरमा गामक कतौक लोक जेना कपि‍लेश्वर राउत, लक्ष्‍मी दास, शि‍वकुमार मि‍श्रा, अखि‍लेश, सुरेश, मि‍थि‍लेश आदि‍ आएल छलन्‍हि‍। राति‍ भरि‍ देव-पीतरकेँ सुमरैत तीन बजे भोरमे दुनू बापुत पटना पहुँचलौं। बससँ उतरि‍ पलेटफार्मकेँ गमछासँ झारि‍ बैसलौं। ओंघीसँ आँखि‍ डोका सन-सन आ रंग अरहुल सन। जाकि‍ आँखि‍ मुनलौं आकि‍ काका उठौलन्‍हि‍ जे उठु-उठु प्रात भऽ गेल। से ने तँ नदी-तदी तरगरे फीर लि‍अ। फरीच्‍छ भेलासँ सुलभ शौचालाइयोमे नम्‍मर लगाबए पड़त। सएह कएल। आँखि‍ मि‍ड़ैत डेग शौचालय दि‍सि‍ बढ़ौल। बेरी-बेरी दुनू बापुत नदी फि‍रलौं। गामक बनाओल दतमनि‍, जेकर अगि‍ला मुँह थकुचल आ पछि‍ला भाग चीरल। मुँहमे दऽ चारि‍ये घुस्‍सा ऐ कातसँ आेइ कात धरि‍ दऽ कुरूर-आचमनि‍ कऽ आगू बढ़लौं। एम्‍हर काका अखि‍यासै छलाह जे चाहक दोकान केम्‍हर छैक। जे पहि‍ने एक-हक गि‍लास चाह पीब लैतौं तखन जे होइतै से होइतै। गाँधीमैदानक उत्तरवारि‍ कातमे धुआँ होइत देखलि‍ऐ। तखन भरोस भेल। सहटि‍ कऽ लग गेलौं। चुल्‍हि‍ पजारनहि‍ छल। ब्रेंचपर बैसेत दू गि‍लास चाहक आग्रह केलौं। समए साफ भऽ गेल रहैक। काका कहलनि‍ जे से नै तँ कोनो टेक्‍सीबलाकेँ ताबत भाँजि‍ ने लि‍अ, जे ओ हवाइ अड्डा जाएत जौं जाएत तँ पाइ कत्ते लेत? एकटा मुँहसच्‍च आदमीकेँ देखि‍ हाक देलि‍ऐ। आबि‍ गछलक। भाड़ा एक साए लेत सेहो कहलक। चाह पीब दुनू बापूत टेक्‍सीमे बैसलौं, बैसि‍ते वि‍दा भेल। दुनू बापूत अनभ्‍ाुआरे रही। नै जानि‍ हमरा कहैमे गलती भेल आकि‍ ओकरा सुनैमे। ओ तँ हवाइ अड्डाक बदला मि‍ठापुर बस अड्डा लऽ अनलक। आब तँ भेल तीतम्‍हा, ओ कहए जे नै सर हमरा तँ अहाँ बस अड्डा कहलौं, हवाइ अड्डा नै। से ने तँ हमरा भाड़ा दि‍अ आ हम जाएब। कनी काल तँ केनादन लागल, मुदा फेर ओकरे कहलि‍ऐ बरनी जे लेबह से लि‍हह मुदा हमरा सभकेँ हवाइ अड्डा उतारह। ओ कहलक ओतए जेबइ तँ और एक साए टाका लेब। ऐ तरहेँ दू साए रूपैआमे हवाइ अड्डा पहुँचलौं।

हवाइ अड्डामे जइठाम परम सि‍नेही श्रीमान् गजेन्‍द्र बाबूसँ साक्षात्‍ दर्शन भेल। नमस्‍कार पाती भेलाक बाद बहुत बेसी उत्‍साहक संग हमरा लोकनि‍केँ अपना गाड़ीसँ हवाइ अड्डाक भीतर लऽ गेलाह। लऽ जाइत जनौलन्‍हि‍ जे हवाइ जहाजक यात्राक की केना नि‍अम होइत छैक। गाड़ीसँ उतरलाक बाद गजेन्‍द्र बाबू हमरा दुनू बापुतक पाँच-सात गोट फोटो खिचलन्‍हि‍। हमहूँ हुनक फोटो अपना कैमरामे लेलौं।

मोबाइलक घड़ीमे सात बाजि‍ गेल छल। हमरा लोकनि‍ एक-दोसरासँ फराक होबक स्‍थि‍ति‍मे आबि‍.....। गजेन्‍द्र बाबू अपना बासापर गेलाह आ हम दुनू बापूत अपन-अपन पहि‍चान पत्र लऽ नीक लोक जकाँ लाइनमे ठाढ़ भऽ गेलौं। जनीजाति‍ जकाँ मोटरी-चोंटरी तँ बेसी छल नै आ ने पंजबि‍या (पंजाब कमाइबला) जकाँ गरमि‍यो मासमे कम्‍मलक मोटा। तँए कोनो दि‍क्‍कतो नहि‍ये भेल। जाँच-परताल करा लेलाक बाद प्रतीक्षालय जा आरामसँ बैसि‍लौं। काकाकेँ कने चाहक खगता बूझि‍ आग्रह करैत अपनो सुतारलौं। ओना आदति‍ भलहि‍ं काकाकेँ छन्‍हि‍ आ से नि‍त्‍य दू बजे स्‍वयं बना कऽ पीबक, मुदा हमरा से नै, पहि‍नहि‍ कहि‍ आएल छी जे भरि‍ रातुक जगरना छल। तँए प्रति‍ कप चालि‍स टाका देबामे अखरल नै। ऐ तरहेँ कि‍छु कालक पछाति‍ पुन: घोषणा भेल आ फेर दुनू बापूत लाइनमे लागि‍ हवाइ अड्डाक भीतर मैदानमे गेलौं। दुइयो डेग तँ ने होइतै तइले अनेरे एकटा बड़का बस छल। जइपर चढ़ि‍ हवाइ-जहाज लग गेलौं। पहि‍ले भरि‍ मन नि‍गहारि‍-नि‍गहारि‍ कऽ देखलौं। पुन: अपना देवता-पीतरकेँ सुमरि‍ हवा-जहाजक सीढ़ीपर चढ़ि‍ भीतर गेलौं। मुँहेपर सि‍लेब रंगक चारि‍टा बच्‍चि‍या नाक-भौह चमका-चमका स्‍वागतमे हाथ जोड़ि‍ अंग्रेजीमे कहलक- वेल्‍कम सर। आ भभा कऽ हँसि‍ देलक जेना पढ़ौल सुगा हुअए। हवाइ जहाजमे सीट दुनू बापूतक एक्केठाम छल। सीट हेरि‍ दुनू बापूत पहि‍ने हबा-जहाजक भीतरक वातावरणक अवलोकन कएल। एना लगए जेना भरि‍ जहाजमे बरफ खसि‍ रहल होइ आ तइपरसँ गम-गम से करैत। बाहरमे जत्ते गर्मी भीतर ओतबए ठंढा कनि‍ये कालक बाद मन एकदम्म शान्‍त भऽ गेल। तेकर बाद दूटा वयस्‍क बालक आबि‍ अंग्रेजीमे कि‍दैन-कहाँदन कहि‍ हि‍न्‍दीमे दोहरौलक। जेकर भाव छल जे हमरा लोकनि‍सँ आग्रह करैत कहल गेल जे आब ई हाबा-जहाज अपना स्‍थानसँ ससमए मुम्‍बइ लेल उड़ान भरत। कुल तीन घंटा तीस मि‍नटक भीतर अपना स्‍थानपर पहुँचत। तँए अपने अपने लोकनि‍ अपना-अपना सीटपर राखल बेल्‍टसँ डाँढ़ बान्‍हि‍ ली। सएह करइ गेलौं। हवाइ-जहाज गुड़कए लगल। करीब बीघा दसे गुड़कलाक बाद वाया मुँहे घूमि‍ अपन दि‍शा आ दशा बना बड़ी जोरसँ गुड़कए लगल। गुड़कैत-गुड़कैत एक्केबर हबा-जहाज साफे कऽ धरतीकेँ छोड़ि‍ अकासमे उड़ए लगल। जी तँ सन् रहि‍ गेल। मुदा कि‍छु कालक बाद स्‍थि‍र भेल। खिड़कीसँ नि‍च्‍चाँ तकलौं। आहि‍रे बल्‍लैया ई तँ कि‍छु कतौ ने देखि‍ऐ। सौंसे उज्जर-उज्जर बादलेटा। बादलक संग हबा-जहाज उड़ल जा रहल छल।



हबा-जहाजक भीतर टेम-टेमपर चाह-जलखै भेटैत रहल मुदा बड़ मगह..। खएर छोड़ू। नअ पाँचमे जे हबा-जहाज खुलल ओ एक-पैंति‍समे मुम्‍बइ हवाइ-अड्डापर पहुँचलौं। करीब पनरह मि‍नटक बाद लोक सभ उतरए लगलाह। पाछू-पाछू हमहूँ दुनू बापूत उतरलौं। उतरि‍ते मुम्‍बइ हवाइ-अड्डा देखि‍ चकबि‍दोर लगि‍ गेल। सभटा तँ देखलो सुनलो नहि‍ये। काकाक सह पाबि‍ कल्‍लौ करबाक लेल एकटा होटल पहुँचलौं। भोजन-साजन कऽ पुन: घूमि‍ हवाइ-अड्डापर आबि‍ लाइनमे लागि‍ सामान चेक-चाक करा टीकट लऽ भीतर प्रवेश कएलौं। काकाक चाह पीबाक समए सेहो भऽ गेल रहनि‍। ई हमरा बूझल छल जे गाममे अपनेसँ बना साढ़े तीन बजेक लबधब पीबै छथि‍न। जहाज तँ चारि‍ चालि‍समे छल। हाथमे एक घंटा समए देखि‍ एक-कप काैफी चारि‍ बीस दस टाकामे कि‍न दुनू बापूत पीबलौं। कनि‍ये कालक पछाति‍ घोषणा भेल पटने जकाँ लाइनमे लागि‍ मुम्‍बइसँ कोच्‍चि‍ लेल भीतर जा बैसलौं। बैसि‍ते अपन घरक गोसाइ आ देव-पीतरकेँ सुमरब सहजहि‍ मनमे आबए लगल। पहुलके जकाँ सभ अनुभव करैत कोच्‍चि‍ पहुँचलौं समए होइत रहै छह चालि‍स। मोबाइलक सुइच ऑन केलौं होइते एकटा संदेश अाएल जे अंग्रेजीमे छल जेकर मैथि‍ली रहए- हम प्रवीन कुमार सहयोगी मोहि‍त रावत दि‍ल्‍ली, उज्जर आ नील रंगक कमीज पहि‍र निकास द्वार लग ठाढ़ छी। हमरा दुनू बापूतकेँ धोती-कुर्ता देखि‍ ओ पुछलनि‍- “अपने जगदीश प्रसाद मण्‍डल? हम प्रवीण कुमार। आउ अपनेक लोकनि‍क गाड़ी ठाढ़ अछि‍ जे होटल छोड़ि‍ देत।”

गाड़ीक चालक आगू बढ़ि‍ दुनू बैंग लऽ सम्‍हारि‍ कऽ रखलनि‍। दुनू बापूत गाड़ीमे बैसलौं आ गाड़ी आगाँ ससरल। करीब चालि‍स मि‍नटक उपरान्‍त एकटा दस मंजि‍ला मकान पूर्णत: वातानुकुलि‍त, गोकुलम पार्क होटल कोच्‍चि‍, लग रूकल। यूनीफार्ममे सजल दरमान होटलक दरबज्‍जा खोलि‍ ठाढ़ छल। गाड़ीक ड्राइवर बाहरक दरबज्‍जा खोललक। दुनू बापूत बहर भेलौं। दरमान झुकि‍ कऽ स्‍वागत केलनि‍। भीतर गेलौं आकि‍ नजरि‍ एकटा अठारह बर्खक नवयौवना अति‍ वि‍लक्षण स्‍वभाववाली हि‍न्‍दी आ अंग्रेजीमे नीपुण अपन परि‍चए अंग्रेजीमे देलक। जेकर भाव छल, हम पूर्णिमा सैमसंग कम्‍पनीक तरफसँ सेवामे ठाढ़ छी। कहू हम अपनेक की मदति‍ कऽ सकैत छी? पूर्णिमाक दुनू हाथ जोड़ब, नि‍च्‍चा उज्‍जर तंग जीन्‍स आ ऊपर सुगापाखि‍ रंगक टीसर्ट, नम्‍हर-नम्‍हर कारी भौर केशक कि‍छु लट दहि‍ना कातक छातीपर खसल। ति‍लकोरक फड़ सनक दुनू ठोर लाल टुहटुह। भरि‍ आँखि‍ काजर। खूब नम्‍हर-नम्‍हर हाथ आ पोरगर-पोरगर ओगरी सभ जे कोनो नीक कम्‍पनीक चमकीबला नहरंगासँ रँगल। दुनू हाथ जोड़ि‍ मूर्ति जकाँ ठाढ़ छल। देखि‍ते मन गद्गद् भऽ गेल। जे एहि‍ वयस्‍क वालि‍का एतेक शालीन! हमरा अपनो भाग्‍यपर गौरव भेल जे धनि‍ हमर मि‍थि‍ला, धनि‍ हम मैथि‍ल आ धन्‍य हमर मैथि‍ली। जइ प्रतापे हम दुनू बापूत टैगोर साहि‍त्‍य पुरस्‍कार प्राप्‍त करबाक हेतु मि‍थि‍लाक गाम बेरमा, भाया तमुरि‍या, जि‍ला मधुबनीसँ चलि‍ कोच्‍चि‍ पहुँचलौं।



रि‍सेप्‍सनपर उचि‍त आदर-भावोपरान्‍त रूममे नम्‍बर चारि‍ साए छह केर कुंजी जे ए.टी.एम कार्ड जकाँ छल। पूर्णिमा हमरा सबहक संग आइ ओइ कुंजीसँ रूम खोलल। संगे ओही कार्ड रूपी कुंजीकेँ एकटा दोसर खोल्हि‍यामे पैसौलक तँ भरि‍ घर इजोत पसरि‍ गेल। दू बेडक रूप। उज्जर धप्-धप् गद्दा-तोसक तकि‍या आदि‍ अत्‍याधुनि‍क छल। सामने टेबुलपर एकटा एल.सी.डी, फोन आ चाह बनेबाक सभ सरमजाम छल। चाहक सरमजान देखि‍ते काका तँ गद्गद् भऽ गेलाह कहलनि‍- “दुर्गानन्‍दजी, सभसँ पहि‍ले एकटा चाह पीबू।” सएह कएल।

चाह पीबैत टीबी खोलि‍ कने काल देखलौं। तात् पूर्णिमा मन पड़लीह हुनकासँ हमरा एकटा बेगरतो छल। ओ अपन नम्‍बर देने छलीह डायल केलौं पाँचे मि‍नटक पछाति‍ भीतर एलीह ओही अदाक संग। आग्रहपर बैसलीह। खगता कहलनि‍यनि‍ जे हमर कैमराक बेटरी डॉन भऽ गेल अछि‍ कने चार्ज होइतए। पूर्णिमा हर्षक संग बेटरी लऽ रातुक भोजनक वि‍षयमे सेहो बता देलनि‍। आ ई कहैत बाहर जेबाक अनुमति‍ चाहलनि‍ जे हम अही फ्लोरपर रूप नम्‍बर चारि‍ साए दूमे छी। अपने लोकनि‍केँ कोनो खगता हुअए तँ नि‍:संकोच बजा लेब। हम अहीं सबहक सेवार्थ आएल छी। धन्‍यवाद कहैत दुनू ठोरकेँ वि‍हँुसबैत पूर्णिमा रूमसँ बाहर भेलीह। लागल एना जेना बि‍जली चल गेल हुअए आ रूम अन्‍हार गुज-गुज भऽ गेल हुअए। पछाति‍ थोड़ेकालक, काका मोन पाड़लनि‍ जे भोजनो करबै? हम कहलि‍यनि‍- नि‍श्‍तुकी।

अपन-अपन कुर्ता पहि‍र दुनू बापूत भोजनक लेल द्वि‍तीय तलपर पहुँचलौं। एक नजरि‍ घुमा चारू कात देखलौं। अलग-अलग टेबुल आ कुर्सी लागल। सभ टेबुलपर कनि‍ये टा-टा तोलि‍या, प्‍लेट, उज्‍जर धप्-धप् गि‍लास, पानि‍क बोतल आ काँटा चम्‍मच राखल छल। कने काल धरि‍ दुनू बापूत गुमसुम रहलौं। जे पूछि‍-पूछि‍ परसि‍-परसि‍ खुआओत। मुदा ओतए तँ अपने-अपने परसि‍ खाइबला हि‍साब छल। बड़नी बड़ बेस। एकहक टा प्‍लेट लऽ दुनू बापूत आगाँ बढ़लौं। जे चीज-बौस चि‍न्‍है छेलि‍ऐ ओ एकाधटा टुकड़ी उठा-उठा अपनो प्‍लेटमे राखी आ कक्कोकेँ दि‍यनि‍। मुदा जे अनचि‍‍न्‍हार चीज-वौस छल तइमे पूछए पड़ए। सेहो हि‍न्‍दीमे नै कि‍एक तँ हि‍न्‍दी तँ कि‍यो बुझबे ने करए। मैथि‍ली कथे कोन जे मैथि‍लो आब टाटा-बाइ-बाइ करैए। तखन पूछि‍-पाछि‍ अपन-अपन पसि‍नक सभ सामग्री लऽ भोजन केलौं। भोजनक तँ वि‍न्‍यासे जुनि‍ पूछू, उत्तर भारतसँ लऽ दक्षि‍न भारतक सभ कि‍थुक पूर्ण बेवस्‍था छल। भरि‍ पोख भोजन दऽ दुनू बापूत आगाँ बढ़लौं देखलौं जे एकटा कराहीमे खीर सन कि‍छु खाद्य पदार्थ छलैक। अपना जोगरक लेलौं। खाइते मन गद्गद् भऽ गेल। तत्‍पश्चात आइसक्रीम लऽ भोजन सम्‍पन्न करि‍ते रही ताबत् मोहि‍त रावत जी हमरा लोकनि‍क खोज-पुछाड़ि‍ करैत लग पहुँचलाह। हाल-चाल भेल। आराम करए गेलौं।



भीनसर तरगरे उठि नहा धो कऽ तैयार भेलौं। जलपान केलाक बाद दुनू बापूत होटलक नि‍चला तलपर आबि‍ सामाचार पत्र आदि‍ देखि‍ रहल छलौं तखने रेणुका वातरा जी एलीह। सबहक कुशल-छेम जानि‍ आनन्‍दि‍त भेलीह। एक-दोसरक परि‍चए-पात भेल। आ हमरा लोकनि‍ ए.जे हाॅलक लेल वि‍दा भेलौं। हॉल देखि‍ मन गद्गद् भऽ गेल। ए.जे.हॉल पूर्णत: वातानुकुलि‍त बैस पैघ हॉल। जइमे हजारक-हजार वि‍द्वान लोकनि‍ बैस सकैत छथि‍। बेस ऊँचगर मंच। जइपर दहि‍नासँ चढ़क लेल आ वायसँ उतरक हेतु सीढ़ी बनल छल।



कथाकार-साहि‍त्‍यकार लोकनि‍क बैसैक बेवस्‍था, मि‍डि‍याबलाक आ आमंत्रि‍त अति‍थि‍क सबहक अलग‍-अलग बेवस्‍था छल। दि‍नक तीन बजे पत्रकार लोकनि‍क संग भेँटवार्ता छल। एक कात सातो वि‍द्वान, कथाकार, उपन्‍यासकार आ कवि‍ लोकनि‍ आदि‍क बैसैक बेवस्‍था छल जि‍नका आगाँ नाओं लि‍खल नेमप्‍लेट छल। आही दीर्घामे रेणुका वात्रा सेहो बैसलीह। बेराबरी सभ वि‍द्वान लोकनि‍ अपन-अपन पोथीक एक झलक अंग्रेजीमे रखलनि‍। तकर पछाति‍ काका अपन पोथी संबंधी वि‍चार मातृभाषा मैथि‍लीमे रखलनि‍। पूरा कक्ष वि‍भि‍न्न प्रकारक कैमराक फ्लैशसँ चमकि‍ रहल छल जेना साओन-भादवक बद्रीमे रहि‍-रहि‍ बि‍जलोका चमकैत रहैत। वि‍चार रखलाक बाद सभ वि‍द्वान लोकनि‍सँ वि‍भि‍न्न प्रकारक प्रश्न लऽ लऽ पत्रकार लोकनि‍ लूझि‍ पड़ला। सौभाग्‍यसँ हमहुँ वि‍देह प्रथम ई पाक्षि‍क पत्रि‍काक सह सम्‍पादकक प्रति‍नि‍धि‍त्‍व करबाक हेतु उपस्‍थि‍ति‍ रही। आ पत्रकार लोकनि‍केँ मैथि‍लीसँ हि‍न्‍दी आ अंग्रेजीमे भरि‍ पोख संतोष प्रदान कएल। पाँच केम्‍हर दऽ कऽ बजलै सेहो नै बूझि‍ पेलौं। सभ कि‍यो ए.जे. हॉलक सभाकक्षमे प्रवेश कएल। अपन-अपन स्‍थान ग्रहण केलौं। आ शुरू भेल टैगोर लि‍टरेचर अवार्डक कार्यक्रम। ई तेसर पुरस्‍कार समारोह छल जेकर आयोजन ऐबेर कोच्‍चि‍मे भेल रहए। जइमे वि‍भि‍न्न भाषामे साहि‍त्‍यक योगदान हेतु सातटा भारतीय भाषाकेँ चुनल गेल, अंग्रेजी, कोंकणी, मैथि‍ली, मलयालम, मणि‍पुरी, नेपाली आ सि‍न्‍धी रहए। जे पुरस्‍कृत कएल गेल। कोच्‍चि‍क बारह जूनक संध्‍या सैमसंग इण्‍डि‍या आ साहि‍त्‍य अकादेमी द्वारा साहि‍त्‍यमे स्‍वोत्तम योगदानक लेल सातो भाषाक लेखककेँ पुरस्‍कृत करबाक लेल तैयार छल। जेकर चयन साहि‍त्‍य अकादेमीक पंच-परमेश्वर द्वारा भेल छल। एक झलक ओइ महान वि‍भूति‍क लेल जे क्रमश: ऐ तरहेँ उपस्‍थि‍ति‍ छलाह- 1. श्री अमि‍ताभ घोष, अंग्रेजी, सी ऑफ पॉपि‍ज, 2. श्रीमती शीलाकोलम्‍बकर, कोंकणी गैर्र, 3. श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल, मैथि‍ली, गामक जि‍नगी, 4. श्री अॅकि‍थम अच्‍युतम् नामबुदरी, मलयालम- अंथि‍मानाकालम, 5. श्री एन. कुंजमोहन सि‍ंह, मणि‍पुरी, एना कैंगे केनवा माटे, 6. श्रीमती इंद्रमणि‍ दरनाल, नेपाली, कृष्‍णा–कृष्‍णा आ 7म श्री अर्जन हसीद, सि‍ंधी, ना अएना ना।



एे कार्यक्रमक मुख्‍य अति‍थि‍, डॉ. एम. वि‍रापा मोइली, ओ.एन.भी कुरूप, एम.पी. वि‍रेन्‍द्र कुमार, श्री अग्रहारा कृष्‍णमूर्ति, सचि‍व साहि‍त्‍य अकादेमी दि‍ल्‍ली आ श्री बी.डी. पार्क प्रेसीडेन्‍ट एण्‍ड सी.ई.ओ. साउथ-वेस्‍ट एसि‍या, मुख्‍य कार्यालय एच.क्‍यू, सैमसंग इलेक्‍ट्रॉनि‍क्‍स छलाह। कार्यक्रमक दौरान नोवेल पुरस्‍कारसँ पुरस्‍कृत महाकवि‍ रवि‍न्‍द्रनाथ टैगोर केर संबंधमे अपन-अपन बहुमुल्‍य वि‍चार रखलनि‍। कार्यक्रमक उद्-घोषि‍काक रूपमे साहि‍त्‍य एवं कलाक दुनि‍याँक प्रसि‍द्ध टी.भी. एंकर, मॉडल रजनी हरि‍दास द्वारा जबर्दस्‍त प्रस्‍तुति‍ सबहक मनकेँ मोहि‍ लेलक।



कार्यक्रममे पुरस्‍कार वि‍तरण हेतु उद्घोषणक पछाति‍ वि‍जेता वि‍द्वान लोकनि मंचासीन होथि‍ आ पुरस्‍कृत भऽ अपन-अपन स्‍थानपर आपस आबथि‍। पुरस्‍कारक रूपमे गुरूदेव रवि‍न्‍द्रनाथ टैगोरक एकटा बेस कि‍मती मूर्ति, एकटा चि‍क्कन साल एवं एकानबे हजार रूपैयाक चेक प्रदान कएल गेल। बीच-बीच मि‍डि‍याक कैमरा बि‍जलोका जकाँ लौकैत रहल। पुरस्‍कार पाबि‍ श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डलजी अपन लि‍खल पोथी गामक जि‍नगीक वि‍षयसँ पूर्व पोथी प्रकाशक श्रुति‍ प्रकाशनकेँ धन्‍यवाद दैत वि‍स्‍तारसँ मातृभाषामे अपन वानगी प्रस्‍तुत कऽ मि‍थि‍ला आ मैथि‍लीक मर्यादाकेँ बढ़ौलनि‍।



कार्यक्रमक समापन भरत नाट्यमक प्रसि‍द्ध नरर्तकी, कलाकार पद्मश्री शोभनाचन्‍द्र कुमार द्वारा भयंकर उत्‍साहपूर्ण स्‍तरीय नृत्‍यक संग भेल। पाँच बजे संध्‍यासँ दस बजे राति‍ धरि‍ बूझू जे छओ आंगुर घीऐमे छल जकर सफलताक श्रेय सुश्री रूचि‍का बत्ता, रेणुका भान, सैमसंग इण्‍डि‍या, बी.डी.पार्क आदि‍केँ छन्‍हि‍। जे समस्‍त कार्यक्रमक दौरान काग चेष्‍टा आ बकोध्‍यानम् रूपमे रहला/रहलीह।

ऐ सबहक पश्चात हमरा लोकनि‍ होटल आबि‍ स्‍वरूचि‍‍ भोजन कऽ आराम केलौं। प्रात: भने चारि बजे भोरमे अभि‍वादनक संग हाथ हि‍लबैत गाड़ीमे बैसलौं। मुदा अखनो ओ हमरा मने अछि‍......। ताबत गाड़ी कोच्‍चि‍ हवाइ-अड्डाक लेल प्रस्‍थान‍ कऽ चुकल छल। राति‍ दस-बजैत-बजैत यात्राक सम्‍पूर्ण आनन्‍द लैत दुनू बापूत गाम बेरमा-गोधनपुर आबि‍ गेलौं।










































































































विदेह भाषा सम्मान २०१२-१३ (वैकल्पिक साहित्य अकादेमी पुरस्कारक रूपमे प्रसिद्ध) बाल साहित्य पुरस्कार २०१२- श्री जगदीश प्रसाद मण्डल केँ “तरेगन” बाल प्रेरक विहनि कथा संग्रह लेल


विदेह भाषा सम्मान २०१२-१३ (वैकल्पिक साहित्य अकादेमी पुरस्कारक रूपमे प्रसिद्ध) बाल साहित्य पुरस्कार २०१२- श्री जगदीश प्रसाद मण्डल केँ “तरेगन” बाल प्रेरक विहनि कथा संग्रह लेल देबाक घोषणा भेल अछि।


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VIDEHA BHASHA SAMMAN 2012 FOR CHILDREN LITERATURE
(POPULARLY KNOWN AS ALTERNATIVE SAHITYA AKADEMI AWARDS)
“TAREGAN” MAITHILI CHILDREN SEED STORIES WRITTEN BY SH. JAGDISH PRASAD MANDAL HAS BEEN SELECTED FOR VIDEHA SAMMAN 2012 FOR CHILDREN LITERATURE. The award will be presented during VIDEHA DRAMA FESTIVAL 2013.
Taregan got most number of votes. Three books 1. Taregan by Sh. Jagdish Prasad Mandal, Khikhirak biyari by Sh. Jeevkant and Pilpilha Gachh by Sh. Murlidhar Jha were put for online voting at www.videha.co.in  for this award. As per opinion of experts  Pilpilha Gachh by Sh. Murlidhar Jha was found to contain many normal stories which are not children stories, therefore, this book was removed from the list, as this award is for children literature, otherwise also it got least number of votes. Besides these books other books were not considered for voting as those were not books but booklets.
Sh. Jagdish Prasad Mandal (b. 1947 ) writes exclusively in Maithili and has written numerous seed stories, short stories, long stories, novels, poems and plays. He is being considered best Maithili author of past and present. He was awarded Videha Parallel Sahitya Akademi Award 2011 for his book Gamak Jingi (collection of short stories). He was awarded Tagore Literature Award 2011 also for his book Gamak Jingi (collection of short stories).
Taregan(2010) is a collection of Inspirational Children Seed Stories written by Sh. Jagdish Prasad Mandal.
Congratulations to Sh. Jagdish Prasad Mandal for winning VIDEHA SAMMAN 2012 FOR CHILDREN LITERATURE.
PARALLEL SAHITYA AKADEMI AWARDS 12-13
VIDEHA SAMMAN 2012 FOR CHILDREN LITERATURE (POPULARLY KNOWN AS ALTERNATIVE SAHITYA AKADEMI AWARDS)-  Sh. Jagdish Prasad Mandal for Taregan(2010) - a collection of Inspirational Children Seed Stories.
VIDEHA MOOL SAHITYA PURASKAR 2012,  VIDEHA YUVA PURASKAR 2012 and VIDEHA TRANSLATION AWARD 2013 (POPULARLY KNOWN AS ALTERNATIVE SAHITYA AKADEMI AWARDS) WOULD BE ANNOUNCED IN DUE COURSE.

विदेह भाषा सम्मान २०१२-१३ (वैकल्पिक साहित्य अकादेमी पुरस्कारक रूपमे प्रसिद्ध)
बाल साहित्य पुरस्कार २०१२- श्री जगदीश प्रसाद मण्डल केँ “तरेगन” बाल प्रेरक विहनि कथा संग्रह  
(sd-Gajendra Thakur, editor, videha www.videha.co.in)

विदेह सम्मान
-मैथिली नाटक/ संगीत/ कला/ मूर्तिकला/ फिल्मक समानान्तर दुनियाँक अभिलेखन आ सम्मान सेहो हएत विदेह सम्मानक घोषणा द्वारा

-ई घोषणा दिसम्बरक अन्त वा जनवरी २०१२ मे हएत
-मैथिली नाटक/ संगीत/ कला/ मूर्तिकला/ फिल्मक समानान्तर दुनियाँक अभिलेखन आ सम्मान कएल जाएत
-विदेह नाट्य उत्सव २०१२ क अवसरपर प्रदान कएल जाएत ई सम्मान।"

विदेह सम्मान

["पूनम मंडल आ प्रियंका झाक मैथिली न्यूज पोर्टल।

-अगस्त २०११ सँ सभ मास "ऐ मासक सभसँ नीक समदिया" सम्मानक घोषणा कएल जा रहल अछि

-समदिया- पूनम मंडल आ प्रियंका झाक मैथिली न्यूज पोर्टल। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक-सूचना-सम्पर्क-समाद पूनम मंडल आ प्रियंका झा। - द्वारा "ऐ मासक सभसँ नीक समदिया"क घोषणा सभ मास भऽ रहल अछि

- सालक अन्तमे "सर्वश्रेष्ठ मैथिली पत्रकारिता" लेल ऐ १२ टा देल सम्मानमे सँ सर्वश्रेष्ठकेँ "विदेह पत्रकारिता सम्मान" देल जाएत।

-अगस्त २०१२ मे हएत "विदेह पत्रकारिता सम्मान"क घोषणा।

विदेह सम्मान
समदिया- पूनम मंडल आ प्रियंका झाक मैथिली न्यूज पोर्टल।विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक-सूचना-सम्पर्क-समाद पूनम मंडल आ प्रियंका झा।

अपन इलाकाक कोनो समाचार ऐ अन्तर्जाल (http://esamaad.blogspot.com/)पर देबा लेल , समाचार poonamberma@gmail.com वा priyanka.rachna.jha@gmail.com पर पठाउ वा एतए http://www.facebook.com/groups/samadiya/ फेसबुकपर राखू।"]

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक सदस्यता (नेपाल देशक भाषा-साहित्य,  दर्शन, संस्कृति आ सामाजिक विज्ञानक क्षेत्रमे  सर्वोच्च सम्मान)

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठानक सदस्यता
श्री राम भरोस कापड़ि 'भ्रमर' (2010)
श्री राम दयाल राकेश (1999)
श्री योगेन्द्र प्रसाद यादव (1994)

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान मानद सदस्यता
स्व. सुन्दर झा शास्त्री

नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान आजीवन सदस्यता
श्री योगेन्द्र प्रसाद यादव



फूलकुमारी महतो मेमोरियल ट्रष्ट काठमाण्डू, नेपालक सम्मान
फूलकुमारी महतो मैथिली साधना सम्मान २०६७ - मिथिला नाट्यकला परिषदकेँ
फूलकुमारी महतो मैथिली प्रतिभा पुरस्कार २०६७ - सप्तरी राजविराजनिवासी श्रीमती मीना ठाकुरकेँ
फूलकुमारी महतो मैथिली प्रतिभा पुरस्कार २०६७ -बुधनगर मोरङनिवासी दयानन्द दिग्पाल यदुवंशीकेँ


विद्यापति पुरस्कार कोषक पुरस्कार- मैथिली भाषा, साहित्य, कला संस्कृतिक लेल नेपाल सरकार द्वारा स्थापित नेपालमे सभसँ बड़का राशिक पुरस्कार। 

विद्यापति पुरस्कार कोषक लेल विभिन्न पाँच विद्यामे २०१२ (

२०६८ कातिक १८ गते नेपाल सरकार एक करोड रुपैयाक विद्यापति पुरस्कार कोषक स्थापना कएने छल, तकरा बाद र्इ पुरस्कार पहिल वेर देल जा रहल अछि।)
दु लाखक नेपाल विद्यापति मैथिली भाषा साहित्य पुरस्कार मैथिलीक वरिष्ठ साहित्यकार डा. राजेन्द्र विमलकेँ।
एक लाखक नेपाल विद्यापति मैथिली कला संस्कृति पुरस्कार शहीद रंजु झाकेँ
एक लाखक नेपाल विद्यापति मैथिली अनुसन्धान पुरस्कार डा. रामावतार यादवकेँ
एक लाखक नेपाल विद्यापति मैथिली पाण्डुलिपी पुरस्कार साहित्यकार परमेश्वर कापडिकेँ
एक लाखक नेपाल विद्यापति मैथिली अनुबाद पुरस्कार डा. रामदयाल राकेशकेँ


साहित्य अकादेमी  फेलो- भारत देशक सर्वोच्च साहित्य सम्मान (मैथिली)


           १९९४-नागार्जुन (स्व. श्री वैद्यनाथ मिश्र “यात्री” १९११-१९९८ ) , हिन्दी आ मैथिली कवि।


           २०१०- चन्द्रनाथ मिश्र अमर (१९२५- ) - मैथिली साहित्य लेल।



साहित्य अकादेमी भाषा सम्मान ( क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य आ गएर मान्यताप्राप्त भाषा लेल):-
           
           २०००- डॉ. जयकान्त मिश्र (क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य लेल।)
           २००७- पं. डॉ. शशिनाथ झा (क्लासिकल आ मध्यकालीन साहित्य लेल।)
            पं. श्री उमारमण मिश्र


साहित्य अकादेमीक टैगोर साहित्य पुरस्कार

२०११- जगदीश प्रसाद मण्डल (गामक जिनगी, लघु कथा संग्रह)


साहित्य अकादेमी पुरस्कार- मैथिली


१९६६- यशोधर झा (मिथिला वैभव, दर्शन)

१९६८- यात्री (पत्रहीन नग्न गाछ, पद्य)

१९६९- उपेन्द्रनाथ झा “व्यास” (दू पत्र, उपन्यास)

१९७०- काशीकान्त मिश्र “मधुप” (राधा विरह, महाकाव्य)

१९७१- सुरेन्द्र झा “सुमन” (पयस्विनी, पद्य)

१९७३- ब्रजकिशोर वर्मा “मणिपद्म” (नैका बनिजारा, उपन्यास)

१९७५- गिरीन्द्र मोहन मिश्र (किछु देखल किछु सुनल, संस्मरण)

१९७६- वैद्यनाथ मल्लिक “विधु” (सीतायन, महाकाव्य)

१९७७- राजेश्वर झा (अवहट्ठ: उद्भव ओ विकास, समालोचना)

१९७८- उपेन्द्र ठाकुर “मोहन” (बाजि उठल मुरली, पद्य)

१९७९- तन्त्रनाथ झा (कृष्ण चरित, महाकाव्य)

१९८०- सुधांशु शेखर चौधरी (ई बतहा संसार, उपन्यास)

१९८१- मार्कण्डेय प्रवासी (अगस्त्यायिनी, महाकाव्य)

१९८२- लिली रे (मरीचिका, उपन्यास)

१९८३- चन्द्रनाथ मिश्र “अमर” (मैथिली पत्रकारिताक इतिहास)

१९८४- आरसी प्रसाद सिंह (सूर्यमुखी, पद्य)

१९८५- हरिमोहन झा (जीवन यात्रा, आत्मकथा)

१९८६- सुभद्र झा (नातिक पत्रक उत्तर, निबन्ध)

१९८७- उमानाथ झा (अतीत, कथा)

१९८८- मायानन्द मिश्र (मंत्रपुत्र, उपन्यास)

१९८९- काञ्चीनाथ झा “किरण” (पराशर, महाकाव्य)

१९९०- प्रभास कुमार चौधरी (प्रभासक कथा, कथा)

१९९१- रामदेव झा (पसिझैत पाथर, एकांकी)

१९९२- भीमनाथ झा (विविधा, निबन्ध)

१९९३- गोविन्द झा (सामाक पौती, कथा)

१९९४- गंगेश गुंजन (उचितवक्ता, कथा)

१९९५- जयमन्त मिश्र (कविता कुसुमांजलि, पद्य)

१९९६- राजमोहन झा (आइ काल्हि परसू, कथा संग्रह)

१९९७- कीर्ति नारायण मिश्र (ध्वस्त होइत शान्तिस्तूप, पद्य)

१९९८- जीवकान्त (तकै अछि चिड़ै, पद्य)

१९९९- साकेतानन्द (गणनायक, कथा)

२०००- रमानन्द रेणु (कतेक रास बात, पद्य)

२००१- बबुआजी झा “अज्ञात” (प्रतिज्ञा पाण्डव, महाकाव्य)

२००२- सोमदेव (सहस्रमुखी चौक पर, पद्य)

२००३- नीरजा रेणु (ऋतम्भरा, कथा)

२००४- चन्द्रभानु सिंह (शकुन्तला, महाकाव्य)

२००५- विवेकानन्द ठाकुर (चानन घन गछिया, पद्य)

२००६- विभूति आनन्द (काठ, कथा)

२००७- प्रदीप बिहारी (सरोकार, कथा)

२००८- मत्रेश्वर झा (कतेक डारि पर, आत्मकथा)

२००९- स्व.मनमोहन झा (गंगापुत्र, कथासंग्रह)

२०१०-श्रीमति उषाकिरण खान (भामती, उपन्यास)

२०११- श्री उदयचन्द्र झा "विनोद" (अपक्ष, कविता संग्रह)


साहित्य अकादेमी मैथिली अनुवाद पुरस्कार


१९९२- शैलेन्द्र मोहन झा (शरतचन्द्र व्यक्ति आ कलाकार-सुबोधचन्द्र सेन, अंग्रेजी)

१९९३- गोविन्द झा (नेपाली साहित्यक इतिहास- कुमार प्रधान, अंग्रेजी)

१९९४- रामदेव झा (सगाइ- राजिन्दर सिंह बेदी, उर्दू)

१९९५- सुरेन्द्र झा “सुमन” (रवीन्द्र नाटकावली- रवीन्द्रनाथ टैगोर, बांग्ला)

१९९६- फजलुर रहमान हासमी (अबुलकलाम आजाद- अब्दुलकवी देसनवी, उर्दू)

१९९७- नवीन चौधरी (माटि मंगल- शिवराम कारंत, कन्नड़)

१९९८- चन्द्रनाथ मिश्र “अमर” (परशुरामक बीछल बेरायल कथा- राजशेखर बसु, बांग्ला)

१९९९- मुरारी मधुसूदन ठाकुर (आरोग्य निकेतन- ताराशंकर बंदोपाध्याय, बांग्ला)

२०००- डॉ. अमरेश पाठक, (तमस- भीष्म साहनी, हिन्दी)

२००१- सुरेश्वर झा (अन्तरिक्षमे विस्फोट- जयन्त विष्णु नार्लीकर, मराठी)

२००२- डॉ. प्रबोध नारायण सिंह (पतझड़क स्वर- कुर्तुल ऐन हैदर, उर्दू)

२००३- उपेन्द दोषी (कथा कहिनी- मनोज दास, उड़िया)

२००४- डॉ. प्रफुल्ल कुमार सिंह “मौन” (प्रेमचन्द की कहानी-प्रेमचन्द, हिन्दी)

२००५- डॉ. योगानन्द झा (बिहारक लोककथा- पी.सी.राय चौधरी, अंग्रेजी)

२००६- राजनन्द झा (कालबेला- समरेश मजुमदार, बांग्ला)

२००७- अनन्त बिहारी लाल दास “इन्दु” (युद्ध आ योद्धा-अगम सिंह गिरि, नेपाली)

२००८- ताराकान्त झा (संरचनावाद उत्तर-संरचनावाद एवं प्राच्य काव्यशास्त्र-गोपीचन्द नारंग, उर्दू)

२००९- भालचन्द्र झा (बीछल बेरायल मराठी एकाँकी-  सम्पादक सुधा जोशी आ रत्नाकर मतकरी, मराठी)

२०१०- डॉ. नित्यानन्द लाल दास ( "इग्नाइटेड माइण्ड्स" - मैथिलीमे "प्रज्वलित प्रज्ञा"- डॉ.ए.पी.जे. कलाम, अंग्रेजी)
२०११- श्री खुशीलाल झा (उपरवास कथात्रयी, रघुवीर चौधरीक गुजराती उपन्यास)

साहित्य अकादेमी मैथिली बाल साहित्य पुरस्कार


२०१०-तारानन्द वियोगीकेँ पोथी "ई भेटल तँ की भेटल"  लेल
२०११- ले.क. मायानाथ झा "जकर नारी चतुर होइ" लेल

साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार

२०११- श्री आनन्द कुमार झा (हठात परिवर्तन, नाटक)

प्रबोध सम्मान


प्रबोध सम्मान 2004- श्रीमति लिली रे (1933- )

प्रबोध सम्मान 2005- श्री महेन्द्र मलंगिया (1946- )

प्रबोध सम्मान 2006- श्री गोविन्द झा (1923- )

प्रबोध सम्मान 2007- श्री मायानन्द मिश्र (1934- )

प्रबोध सम्मान 2008- श्री मोहन भारद्वाज (1943- )

प्रबोध सम्मान 2009- श्री राजमोहन झा (1934- )

प्रबोध सम्मान 2010- श्री जीवकान्त (1936- )

प्रबोध सम्मान 2011- श्री सोमदेव (1934- )

प्रबोध सम्मान 2012- श्री चन्द्रभानु सिंह (१९२२- )

                                  श्री रामलोचन ठाकुर (१९४९- )

यात्री-चेतना पुरस्कार



२००० ई.- पं.सुरेन्द्र झा “सुमन”, दरभंगा;

२००१ ई. - श्री सोमदेव, दरभंगा;

२००२ ई.- श्री महेन्द्र मलंगिया, मलंगिया;

२००३ ई.- श्री हंसराज, दरभंगा;

२००४ ई.- डॉ. श्रीमती शेफालिका वर्मा, पटना;

२००५ ई.-श्री उदय चन्द्र झा “विनोद”, रहिका, मधुबनी;

२००६ ई.-श्री गोपालजी झा गोपेश, मेंहथ, मधुबनी;

२००७ ई.-श्री आनन्द मोहन झा, भारद्वाज, नवानी, मधुबनी;

२००८ ई.-श्री मंत्रेश्वर झा, लालगंज,मधुबनी

२००९ ई.-श्री प्रेमशंकर सिंह, जोगियारा, दरभंगा

२०१० ई.- डॉ. तारानन्द वियोगी, महिषी, सहरसा

२०११ ई.-  डॉ. राम भरोस कापड़ि भ्रमर (जनकपुर)


भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता

युवा पुरस्कार (२००९-१०) गौरीनाथ (अनलकांत) केँ मैथिली लेल।


भारतीय भाषा संस्थान (सी.आइ.आइ.एल.) , मैसूर रामलोचन ठाकुर:- अनुवाद लेल भाषा-भारती सम्मान २००३-०४ (सी.आइ.आइ.एल., मैसूर) जा सकै छी, किन्तु किए जाउ- शक्ति चट्टोपाध्यायक बांग्ला कविता-संग्रहक मैथिली अनुवाद लेल प्राप्त।  रमानन्द झा 'रमण':- अनुवाद लेल भाषा-भारती सम्मान २००४-०५ (सी.आइ.आइ.एल., मैसूर) छओ बिगहा आठ कट्ठा- फकीर मोहन सेनापतिक ओड़िया उपन्यासक मैथिली अनुवाद लेल प्राप्त।

विदेह सम्मान

विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी सम्मान

१.विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी फेलो पुरस्कार २०१०-११ 
२०१० श्री गोविन्द झा (समग्र योगदान लेल)
२०११ श्री रमानन्द रेणु (समग्र योगदान लेल)
२.विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी पुरस्कार २०११-१२ 

२०११ मूल पुरस्कार- श्री जगदीश प्रसाद मण्डल (गामक जिनगी, कथा संग्रह)
२०११ बाल साहित्य पुरस्कार- ले.क. मायानाथ झा (जकर नारी चतुर होइ, कथा संग्रह)
२०११ युवा पुरस्कार- आनन्द कुमार झा (कलह, नाटक)
२०१२ अनुवाद पुरस्कार- श्री रामलोचन ठाकुर- (पद्मानदीक माझी, बांग्ला- मानिक बंद्योपाध्याय, उपन्यास बांग्लासँ मैथिली अनुवाद)

नाटक, गीत, संगीत, नृत्य, मूर्तिकला, शिल्प आ चित्रकला क्षेत्रमे विदेह सम्मान २०१२ क घोषणा


नाटक, गीत, संगीत, नृत्य, मूर्तिकला, शिल्प आ चित्रकला क्षेत्रमे विदेह सम्मान २०१२ क घोषणा

अभि‍नय- मुख्य अभिनय ,

सुश्री शि‍ल्‍पी कुमारी, उम्र- 17 पि‍ता श्री लक्ष्‍मण झा

श्री शोभा कान्‍त महतो, उम्र- 15 पि‍ता- श्री रामअवतार महतो,

हास्‍य-अभिनय

सुश्री प्रि‍यंका कुमारी, उम्र- 16, पि‍ता- श्री वैद्यनाथ साह

श्री दुर्गानंद ठाकुर, उम्र- 23, पि‍ता- स्‍व. भरत ठाकुर

नृत्‍य

सुश्री सुलेखा कुमारी, उम्र- 16, पि‍ता- श्री हरेराम यादव

श्री अमीत रंजन, उम्र- 18, पि‍ता- नागेश्वर कामत

चि‍त्रकला
श्री पनकलाल मण्डल, उमेर- ३५, पिता- स्व. सुन्दर मण्डल, गाम छजना
श्री रमेश कुमार भारती, उम्र- 23, पि‍ता- श्री मोती मण्‍डल

संगीत (हारमोनियम)

श्री परमानन्‍द ठाकुर, उम्र- 30, पि‍ता- श्री नथुनी ठाकुर

संगीत (ढोलक)

श्री बुलन राउत, उम्र- 45, पि‍ता- स्‍व. चि‍ल्‍टू राउत

संगीत (रसनचौकी)

   श्री बहादुर राम, उम्र- 55, पि‍ता- स्‍व. सरजुग राम

शिल्पी-वस्तुकला

    श्री जगदीश मल्लिक,५० गाम- चनौरागंज

मूर्ति-मृत्तिका कला

श्री यदुनंदन पंडि‍त, उम्र- 45, पि‍ता- अशर्फी पंडि‍त


काष्ठ-कला

श्री झमेली मुखिया,पिता स्व. मूंगालाल मुखिया, ५५, गाम- छजना


किसानी-आत्मनिर्भर संस्कृति

श्री लछमी दास, उमेर- ५०, पिता स्व. श्री फणी दास, गाम वेरमा

अनचिन्हार आखर ( http://anchinharakharkolkata.blogspot.com ) द्वारा प्रायोजित "गजल कमला-कोसी-बगमती-महानंदा सम्मान" बर्ख 2011 लेल ओस्ताद सदरे आलम गौहर जीकेँ प्रदान कएल गेलैन्ह। एहि बेरुक मुख्यचयनकर्ता ओस्ताद सियाराम झा"सरस" छलखिन्ह।..

कलन्किया कथा ई व्यंग पूर्णतः काल्पनिक अछि। एकर पात्र, घटना वा परिस्थितिसँ कोनो लेना-देना नै अछि। जँ कोनो पात्र वा घटना किनकोसँ मिलैत छन्हि तँ एकरा मात्र संयोग बूझल जाए। एहि अपीलकेँ बाबजूदो जँ केओ एहि व्यंगक घटनाकेँ अपनासँ जोड़ैत छथि तँ ओ महाशय " स्वामी चूतियानंद" क उपाधि पेबाक जोगर छथि।........ अथ श्री-श्री 108 स्वामी अनचिन्हारानन्द विरचित कलन्किया कथा प्रथमोध्याय प्रारम्भ:------ ओकर धूर्ताक खिस्सा सगरो पसरल छल। प्रवाद तँ एहन छलै जे कलंकिया नामक जंतु अपनो सर-समांगकेँ नै छोड़ै छै। मुदा ई बात सत्य छै जे खराप काज बेसी दिन नै चलै छै। आ ताहूमे कलंकियाक पापक घैल भरि गेल छलै। कलंकिया जखन बुढ़ारी दिस जा रहल छल तखने एकटा महिला संग भेल अनाचारक भंडाफोर भए गेलै। सगरो सनकपुरमे हाहाकार मचि गेलै। आ अंतमे सभ मीलि कलंकियाकेँ निर्वासन दंड सुना देलकै। किछु सुयोग्य व्यक्ति द्वारा कलंकियाकेँ मूँहमे हरदि-चून-कारी लगा नग्रक दक्षिण दिशामे भगा देल गेलै।भागैत-भागैत कलंकिया दक्षिण-पश्चिम दिशाक सिल्ली नामक जगहकेँ अपन कुकर्मक अड्डा बनौलक। प्रथमोध्याय समाप्तम। अथ श्री-श्री 108 स्वामी अनचिन्हारानन्द विरचित कलन्किया कथा द्वितीयध्याय प्रारम्भ: ऐ दुनियाँमे बहुत तरहँक लोक होइत छै। कलंकिया सिल्ली तँ आबि गेल। मुदा ओकर मोन लगिते नै छलै।मुदा एकटा कहबी छै जे ब्रम्हाण्ड असीम छै सभ प्रश्न आ ओकर उत्तर एहीठाम प्राप्त भए जाइत छै। तखन कलंकियाकेँ संगी-संघाती कोना नै भेटौक। आ एहने समयमे कलंकियाकेँ अन्हार झासँ भेँट भेलै। अन्हार झाक पछिला रिकार्ड तँ अन्हारेमे छै मुदा वर्तमान इजोतमे कारण कलंकिया एहन सुयोग्य गुरूक प्रशिक्षणमे अन्हार झा कुकर्मक सभ सफलता अपना नाम कए लेलक। आ अन्हार झा आब अपने गुरु जकाँ महिला सभकेँ बहला-फुसला यथा योग्य काज करैत अछि। आ एहि काज सभमे अन्हारक संगी छै बुड़िलेश झा। किछु दिनक बाद कुकर्म करबामे ई सभ तेहन "प्रवीण" भए गेल जे हिनक नाम सगरो 'रोशन" भए गेल। आ हिनकर काजमे बड़का-बड़का गुरूघंटाल जेना की " दानव-चंकर-पुरान' आ " घृणित फसाद" सभ सेहो सहयोग देबए लागल। द्वितीयध्याय समाप्तम। अथ श्री-श्री 108 स्वामी अनचिन्हारानन्द विरचित कलन्किया कथा तृतीयध्याय प्रारम्भ: अन्हार झा अपन कुकर्मसँ जगत-विदित भए गेल। हरेक दिन किछु ने किछु उक्ठ्ठी बला काज करिते छल। आ एहन काज करबामे ओकरा " आनंद" अबै छलै। जाहि दिन किछु नै कए पाबैत छल ताहि दिन ओ अपन घरेमे कए लैत छल। अपन घरक जनानी धरिकेँ नै बखसैत छल। मारि-पीटसँ लए कए गारि धरि ओ अपन घरक जनानी सभकेँ दैत छल। नाना प्रकारक "ललित"गर गारि ओकरा मूँहसँ "रिषी" महर्षि जकाँ निकलैत छल। धीरे-धीरे अन्हार झा नारी-उत्पीरणमे " प्रवीण" भए गेल। आ सेहो एहन प्रवीण जे ओकर संगी सभ ओहने होबए चाहै छल। ओहि कलाकेँ अपन घरमे प्रयोग कए रीवीजन करए लागल। एक दिन जखन अन्हार झाकेँ बाहरमे दंद-फंद नै सुतरलै तखन ओ अपन घरमे जा जनानी सभकेँ मारि-गारि देबए लागल। आ ताहि समयमे हुनक किछु संगी सेहो ई सभ देखि रहल छल। ई सभ खत्म होइते अन्हारक संगी सभ अन्हारक प्रशंसा करए लागल जे की संक्षिप्त रुपे एहि ठाम देल जा रहल अछि----- १) टाष्कर झा--------वाह अन्हार जी वाह।बहुत नीक। टेक्नीकसँ भरपूर छल अपनेक ई एक्ट। हस्त-चालनक संग अहाँक मूँहसँ जे गारि निकलैए से अद्भुत। आजुक जमानामे एहने मल्टी-टेलेन्टेड लोककेँ जरूरति छै। हमहूँ अहाँसँ सीखए चाहैत छी आ सीखि अपन घरमे प्रयोग करए चाहैत छी। हमरा अहाँक आशीर्वाद चाही। २) बुड़िलेश झा------वाह गुरू जी। आब हमहूँ एहने करब। 3) सौतन तृष्णा----- वाह की बात छै। काश हमहूव एना कए पबितहुँ। 4) छिनार मगन----- वाह। एहनाहिते एक बेर फेर अपन जनानी सभ पर लात-पत्रकेँ प्रयोग करू।what a unique style of slang word... 5) लाष्कर लष्ट------वाह अन्हार जी वाह। उत्तम। अथ श्री-श्री 108 स्वामी अनचिन्हारानन्द विरचित कलन्किया कथा समाप्तम। Umesh Mandal जातिवादी रंगमंचक http://www.facebook.com/prakash.pikkoo आ ओकर संगी साथी http://www.facebook.com/amitesh.monu आ http://www.facebook.com/tesuashish । ऐ मेसँ एकटा आशीष झा जे एकटा कृष्ण (नाम बदलल) केँ ढेर रास टाका देलकै कनियाँकेँ प्राइज दियाबै ले आ डाइरेक्टर बनै ले, से लात जुत्ता खा कऽ मृत्युक कगार पर पहुँचि गेल जखन ओ कृष्ण (नाम बदलल) ओकरा पिटलकै। तखन ई शेर (कागजी) प्रकाश झा एक कदम पाछू हटलै। फेर ई आशीष झा हॉस्पीटलमे भर्ती भेल, तखन ओ शेर (कागजी) प्रकाश झा घुमि गेल आ पड़ा गेल। आ ई अमितेश कुमार ..नीचाँमे देखू Prakash Jha Like · · Share · about an hour ago · Vinit Utpal likes this. 1 share Umesh Mandal Amitesh Kumar this is theatre forum. plz mind it and post only thetre related news.. 29 minutes ago Like Requests Umesh Mandal YOU DO NOT HAVE ANY KNOWLEDGE OF THEATRE Mr. Amitesh Kumar, Your comment that this is theatre forum and posts should be only thetre related news.. is ridiculous and casteist. LOOK INTO NEWS Mr. Amitesh Kumar.. the news is about the dramatists getting the award. 23 minutes ago Like Requests Amitesh Kumar then post a title that a dramatist got award..and how it is castist ? mujhe hansane dijiye... after all this is not "theatre" related news...but explain how it is castist...in actually yo are looking and behaving as castist.. 19 minutes ago Like Requests Umesh Mandal Amitesh Kumar then post a title that a dramatist got award..and how it is castist ? mujhe hansane dijiye... after all this is not "theatre" related news...but explain how it is castist...in actually yo are looking and behaving as castist.. 17 minutes ago Like Requests Umesh Mandal .,,but casteist theatre personnel- anti-woman like you won't understand it 17 minutes ago Like Requests Umesh Mandal ANTI WOMAN..Ashish Jha इंद्र मोहन जी, कोर्ट क धमकी हमर मित्र कए नहि दे जाए। विनीत हमर मित्र छथि ओ अनीता जी (बदलल नाम) क संबंध में बहुत रास गप हमरो कहने छथि। पार्क मे घंटा घंटा ओ सब संग बैसेत छलथि। अनीता जी कए वेव साइट लेल त विनीत एकटा मैथिल... See More 15 minutes ago Like Requests Umesh Mandal CASTEIST THEATRE..पूनमजी सावधान !!! by Prakash Jha on Wednesday, June 6, 2012 at 4:57pm Requests पूनम जी नमस्कार ! एक बेर फेर अहाँ मोन पड़लहुँ अछि. शंका व्याप्त भेल जे अहाँ एकबेर फेर अपन रीपोर्टिंगमे किछु गलती नै क’ बैसी. दिल्ली वा कि कतौ भ’ रहल मै... See More 14 minutes ago Like Requests Umesh Mandal CASTEIST..Amitesh Kumar poonam ji ke o repoer ke link diyuaa aita

सब केँ सुधि अहाँ लय छी हे अम्बे - रजनी पल्लवी


कविता - नहि नारि बिना कल्याण

नारी अपनेके पाओल,कै रूप आ बानगी में!
देखल कै रूप अहाँ केर,अहि छोट छिन जिन्नगी में!

पहिल रूप माय केर देखल,त्याग आ अटूट स्नेह केर!
भेटल निशिदिन एकहिं टा,मूरत निश्छल नेह केर!!

भेटल दोसर रूप बहिन केर,बिना आस किछु पाबय के!
संग रहथि बा दूर जाय क,सब दिन संबंध निभाबय के!!

फेर ऐली भार्या बनि कै,सदिखन प्रेम-सुधा बरसाबय लेल!
बिना चाह अपना लेल कोनो,घर-संसार चलाबय लेल!!

तकर बाद बेटी बनि ऐली,सुन्न आँगन-द्वारि चहकाबय लेल!
सब रूपे सम्हारि जीवन के,चलि गेली सासुर गमकाबय लेल!!

भेटल आरो रूप जतेक भी,सेहो छल,बस त्याग आर ममता केर!
मुदा नहिं जानि,कतौ नहि देखल,जीवन अधिकार आ समता केर!!

नहि जानि मोन ई खिन्न रहति अछि,देखि आब ई कत्लेआम!
आबु ज्ञानी भ सोची-समझी आ ली मोन सँ ई शपथ संज्ञान!! 

नारि बिना नहि मान पुरुष केर,नारि थिक पुरुषार्थक शान!
बंद करी कन्या भ्रूण-हत्या,नहि नारि बिना कल्याण!!


राजीव रंजन मिश्र

सोमवार, 25 जून 2012

कविता - तस्वीर बदलबा के अछि


सरल भाव संचेतन मोन में,
फुटि रहल अछि  चिनगारी!
आंखि सुन्न भय देखि रहल अछि ,
मरजादा आर हया केर लाचारी!
मोन में दृढ संकल्पित भ कय,
तस्वीर बदलबा के  अछि !
नहि चाही आब ओ समाज,
जाहि में नारी कानति होईति!
जग में सुन्नर रूप दया केर,
स्नेहपूर्ण आ दुखियारी !
ममता केर दरिया सन बहि क,
किया सुखायल होइथि नारी!
निश्चल भ मानी एहि अटल सत्य के,
नारि सकल जगतक सृजनकारी!
तिरस्कृत,अपमानित आ प्रतारित भ,
लेती रूप संहारकारी!
बदलल दुनिया आ सोच बदलि गेल,
पुरुशहूँ टा जरुर बदलतय!
नारियो सबतरि सम्मानित होइथी,
हुन्कहूँ दशा सुधरते!
पर ध्यान रहै माता आ बहिन,
बदलै नहि नारि सुलभ लज्जा आ चिर-मर्यादित नारी!
बदलल जुग केर एहि परिपाटी में,ई जुग पुरान सच रहै जारी!
---राजीव रंजन मिश्र

रुबाइ

गोरी तोहर काजर जान मारैए 
छौंरा सभ सगर हाय तान मारैए 
पेएलक बड़ भाग काजर विधातासँ 

तोहर आँखिमे कते शान मारैए 

                    ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

रुबाइ

काजर बुझि क अपन आँखिमे बसा लि
मित बना क कनीक करेजसँ लगा लि
ऐना जुनि अहाँ   कनखी नजरि घुमाऊ
आँखिक अपन  करीया काजर बना लिअ

                      ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

प्रभाकर बाबा और सुंदर कनियाँ

मिथलांचल में ओना तऽ बाबा सब के बहुत आदर- सत्कार कैल जायत अछि, हम एहने एक प्रभाकर बाबा के हंसी भरल घटना सुना रहल छी,

प्रभाकर बाबा भाल्पट्टी गाम के रहनिहार छिया, इ झार-फुक सेहो करेत छथि ताहि लक् ई बहुत बिख्यात भऽ गेला
प्रभाकर बाबा एक दिन कोनो कारन बस बम्बई सऽ हवाई जहाज में आबि रहल छला, हुनका बगल में एक सुंदर कनियाँ के शीट छल कनियाँ सेहो आबि क हुनका बगल में बैसी गेलैन,

सुंदर कनियाँ जहाज में सफर करैत काल प्रभाकर बाबा सऽ कहलखिन बाबा आहा हमरा पर एक कृपा कऽ सकेत छी ?
प्रभाकर बाबा सुंदर कनियाँ कहलखिन आहा कहू तऽ सही हम आहा के कि मदद करू ?
कनियाँ बजली बाबा हम नै एक बहुमूल्य चीज़ लिपिस्टिकखरिद्लो हन् लेकिन ओ कस्टम के लिमिट के ऊपर भ गेल हन्
हमरा डर या जे कस्टम वला ओकरा जब्त नै कऽ लिये, आहा जे लिपिस्टिकके अपना चोंगा के अंदर नुका कऽ ल चलितो !

प्रभाकर बाबा बजला ओना तऽ आहाक मदद करे में हमरा खुशी मिलतै, मगर आहाके कही दी जे हम झूठ नहीं बाजे छी !
बाबा जी आहॅक मासूम मुह के वजह स आहाके कियो पकरत नहीं, त झूठ बाजे के सवाले नहीं उठत !
प्रभाकर बाबा कहलैथ ठीक या आहाक जे विचार .

जखन हवाई जहाज आकाश स निचा उतरल त सब कस्टम स जय लागल, कनियाँ बाबा के आगा जय देलखिन और अपने पीछा-पीछा बीदा भ गेली

कस्टम के ऑफीसर सब सवारी के जेना पुछलक ओनाही प्रभाकर बाबा स सेहो पुछलक, बाबा जी आहा गैरकानुनी तरीका स किछु छुपेलो हन् त नहीं?

प्रभाकर बाबा बजला हमरा कापर सऽ निचा ड़ाऽर (कमर) तक किछु गैरकानुनी तौर किछु नहीं छुपेलो हन् .
ऑफीसर के इ प्रभाकर बाबा जबाब किछु अजीब सन् लगले, ताहि दुआरे फेर स पुछलक, और ड़ाऽर सऽ निचा जमीन तक आहा गैरकानुनी तौर पर किछु नुकेलो हाँ कि ?

प्रभाकर बाबा बजला हां एक छोट सुंदर चीज छुपेलो हन्.... जेकर इस्तेमाल औरते टाऽ करैत अछि...लेकिन हमरा 
पास जे या ओकर इस्तेमाल अखन तक नहीं भेल हन् बुझलो कस्टम बाबु !

जोर सऽ ठहाका लगाबैत ऑफीसर कहलक, ठीक या बाबा जी आहा जा सकेऽ छी, ....दोसर आगा आबु !


*****
अजय ठाकुर (मोहन जी)