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बुधवार, 14 दिसंबर 2022

गजल

जखन सगरो दर्द भेटल 

अपन सीलौं ठोर रेतल 

 

द’बल अपने हाथ गरदनि 

तखन के ई नोर मेटल 

 

घरक बन्हन छोरि दुनिया

सटल जतए नोट गेटल 

 

भरोसा करु आब कोना 

लखन भेषे चोर फेटल 

 

दहेजक ‘मनु’ चारिचक्का  

बियाहक पहिनेसँ सेटल 

(बहरे मजरिअ, मात्राक्रम 1222-2122)

जगदानन्द झा ‘मनु’

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