की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

शनिवार, 10 दिसंबर 2022

हमरा तँ चिन्हते होएब ?

आइ भोरे भोर एकटा अजोध वयोवृद्ध मैथिली साहित्यकार, गीतकार सो कॉल ग़ज़लकारकेँ फ़ोन आएल- “ट्रीन ट्रीन ट्रीन….”
हम- “हेलो”
उम्हरसँ- “के ? मनु।”
हम– “जी”
उम्हरसँ खूब खिसीयाति- “ई की अहाँ सभ फ़ेसबुकपर उल्टासिधा लिखैत रहै छी ? एक दू, एक दू। हम सब तँ भरि ज़िंदगी घास छिललौं।”
हम – “अपने के ?”
उम्हरसँ- “हम सा रे गा मा, हमरा तँ चिन्हते होएब ?”
हम – “हाँ”
उम्हरसँ- “कतेक ?”
हम – “जतेक अहाँ हमरा चिन्है छी।”
की ओ झट फोन राखि देला।
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें