की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

बुधवार, 23 अक्तूबर 2013

गजल

लदने नै अनेरे लाश छी कान्हपर
जीवन केर सबटा आश छी कान्हपर

दिन भरि जे कमेलौं ओकरे दाम अछि
ढाकीमे बुझू नै घास छी कान्हपर

खूजल उक जकाँ  कोना फरफराइ छी
नै रखने मनुक्खक भाष छी कान्हपर

भैया भेल नेता आब नै हम डरब
रखने हाथ सदिखन खास छी कान्हपर

कुक्कुर पोसि नव-नव साहबी केर ‘मनु’
दू कट्ठा बचेने चास छी कान्हपर 

(बहरे कबीर, मात्रा क्रम – २२२१-२२२१-२२१२)
जगदानन्द झा ‘मनु’  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें