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शनिवार, 19 मई 2012

गजल आ गीत मे अंतर की छै?

गजल आ गीत मे अंतर की छै?

गजल आ गीत मे अंतर की छै? मात्र एक अक्षर के । गीत आ गजल दूनू गाओल जाइ छै । जँ ध्वनीक तुक {राइम्स } सभ पाँति मे मिलैत रहत त' गीत वा गजल दूनू सुनै मेँ बेशी नीक लागै छै । मुदा गीत मे राइम्स नहियो हेतै त' चलतै मुदा गजल मेँ प्राय: पाँति संख्याँ 1 ,2,आ तकरा वाद 4 ,6 , 8 , 10 . . . मे हेवाक चाही । गीत मे कतेको पाँति के बाद फेर सँ मुखरा दोहराओल जाइ छै मुदा गजल मे प्राय: तुकान्त वाला पाँति बाद कहल जाइ छै । गजल कम सँ कम 10 टा पाँतिक होइ छै जकरा 2-2 पाँति के रूप मे बाँटि क शेर कहल जाइ छै । । जहिना गीतक शास्त्र व्याकरण होइ छै{सा रे ग . . .} तहिना गजलक व्याकरण होइ छै । जहिना शास्त्रीय गायण मे राग होइ छै तहिना गजल मे बहर होइ छै । जहिना गीत कोनो ने कोनो ताल . राग . मे होइ छै तहिना गजल कोनो ने कोनो बहर मे होइ छै । । आब कहू गीत आ गजल मे अंतर की?

नवका गायक त' गीतक टाँग -हाथ तोड़ि क' गाबै छथि । दू तीन टा शब्द के एकै साथ जोड़ि क' गाबैत छथि बूझू जे फेविकाँल सँ साटि देने होइ । जहिना गीत मे कोनो तरहक चिन्हक {कोमा ,फूल स्टाँप , आदि} के मोजरे नै दै छथि । ओहिना
गजल मे कोना पाँति मे कोनो चिन्ह{. , ? आदि} नै देल जाइ छै ।मात्र अपन नामक आगू पिछू {" "} चिन्ह लगा सकै छी । 
आब एना किए कैएल जाइ छै से नै पूछू ? अपने सोचू ने गीते जकाँ गजलो के त' गाओल जाइ छै ।
आ आब कहू गीत आ गजल मे अंतर की?

har ekta mitr gjalak bare me puchhlani t ham kahaliyani

गजलक मे आबै वला किछु शब्द के देखू ।

1} शेर- शेर दू पाँतिक होइत अछि आ अपना आप मे सदिखन पूर्ण भाव दै अछि आ आन पाँति सँ स्वतंत्र रहैत अछि ।

2} गजल- कम सँ कम पाँच टा शेरके जँ किछु तुकान्तक सँग एक ठाम राखल जाए त' ओ गजल बनै छै । एकटा गजल मे एकै रंग तुकान्त हेवाक चाही ।

3} रदीफ- गजल पहिल शेर के अंतीम सँ देखू जँ कोनो एहन शब्द जे शेरक दूनु पाँति मे काँमन होइ त' ओकरा गजलक रदीफ कहबै ।

आइ चलू संगे प्रेम गीत गेबै प्रिय
एकटा प्रेमक महल बनेबै प्रिय

एहि शेर मे "प्रिय "दुनू पाँति मे अछि तेँए एकर रदीफ भेल" प्रिय" । 
आब गजलक सब शेरक दोसर पाँति मे इ रदीफ रहबाक चाही इ अनिवार्य अछि ।

4} काफिया - काफिया मने मोटा मोटी तुकान्त{राइम्स} बूझू । जँ बाजै मे एकै रंग ध्वनी बूझना जाइ यै त' ओ भेल काफिया । काफियाक तुक ओहि शब्दक अंतीम सँ पता लागै छै । जे तुकान्त गजलक पहिल पाँति मे अछि सेह आन सब पाँति मे हेवाक चाही । मतलब जे गजलक पहिल शेरक दुनू पाँति मे आ आन शेरक दोसर पाँति मेँ ।

काफिया-
जेना - जेबै . खेबै . नहेबै { ऐ मे "एबै" तुकान्त भेल 
गमला . राधा . चेरा . केरा {एहि मे तुकान्त "आ" भेल}

हेतै , खेबै . झेलै {ऐ मे तुकान्त"ऐ" भेल}

रोटी , हाथी . रेती{ऐ मे "ई" भेल} 

झोरी . बोरी {ऐ मे"ओरी" भेल} 
एनाहिते और सब मे काफिया {तुकान्त }बनत ।

गजल पहिल शेर मे रदीफ आ काफिया क्रमश: पाँतिक अंतीम सँ अनिवार्य रूप सँ हेबाक चाही । आ आन शेरक दोस पाँति मे सेहो रदीफ आ काफिया क्रमश: अंतीम सँ हेएत ।

5} मतला- गजल पहिल शेर जेकर दूनू पाँति मे रदीफ आ काफिया क्रमश: अंतीम सँ होइ एकरा मतला कहल जेतै ।

चाँद देखलौ त' सितारा की देखब
अन्हारक रूप दोबारा की देखब

प्रेमक सागर मे बड नीक लागै
डुब' चाहै छी त' किनारा की देखब

एहि मे पहिल शेरक दुनू पाँति मे काँमन "की देखब" अछि तेँए इ एहि गजलक रदीफ भेल आ रदीफक पहिले देखू , दूनू पाँति मे "सितारा "आ "दोबारा " छै एकर तुकान्त भेल "आरा" तेँए इ भेल काफिया । आब दोसर शेरक दोसर पाँति मे देखू । रदीफ "की देखब" आ तुकान्त "आरा " के संग शब्द "किनारा " अछि । । आब एहि गजलक सब शेरक दोसर पाँति मे अंत सँ रदीफ "की देखब "
आ काफिया "आरा"
तुकान्तक संग हेबाक चाही । 

तुकान्तक पाता शब्दक अंत सँ चलै छै ।

6} मकता-- गजल अंतीम शेर जै मे शाइर अपन नामक प्रयोग करै छथि ओहि गजलक मकता कहल जाइ छै ।

मेघक डरे चान नै बहरायल
नै औता "अमित" नजारा की देखब

इ भेल मकता ।
शाइर अपन सब शेर मे अपन एकै टा नामक प्रयोग करैथ । जेना हम पहिल गजल सँ"अमित" लिखै छी त' आब कतौ "मिश्र " नै लिख सकै छी ।

वेश त' एते देखू आ लिखू । और कनेटा बात छुटल अछि जे अहाँ सब जानैत छी । वर्ण वला बात । त ' आब लिखू किछ नीक गजल 

किछु दिन पूर्व हमरे सन एकटा बिन पढ़ल लिखल गीतकार सँ भेट भेल ।हमरे जकाँ हुनको रचना लोकक माँथ पर द निकैल जाइ छलै । खैर ओ हमरा बतेलनि जे गीत लिखैत बेर जँ वर्ण गानि क लिखब त' गाबै मे सुविधा हेतै । आ ओ वर्ण गानब सिखेलनि । तै पर हम कहलयनि जे एना वर्ण गानि क' हम सब "गजल "लिखै छी
आ तेकर नाम दै छी
"सरल वार्णिक बहर" 

आ एकर वर्ण एना गानल जाइत अछि ।
हिन्दी वर्णमाला के जतेक वर्ण अछि{अ .आ सँ ल' क' य , र . . . धरि} के एकटा वर्ण मानै छी ।
जतेक हलन्त रहै अछि तकरा मोजर नै दै छी अर्थात शुन्य{0} मानै छी ।
संयुक्ताक्षरमे संयुक्त अक्षर के एक {1} मानै छी ।
जेना की " भक्त" एहि मे 2 टा वर्ण भेल । एकटा "भ"आ एकटा "क्त" ।

एकर बाद एकटा शेर कहलौँ ।

भाग्य मे जे लिखल अछि तेँ विरह मे मरै छी
आशा केने छी कहियो त' मान नोरक धरबै

एहि शेरक दुनू पाँति मे 17 वर्ण अछि । एहि बहर मे जँ गजल लिखब त' सब पाँति मे पहिल पाँति एते वर्ण हेबाक चाही ।

ओ गीतकार कहलनि जे अहाँके वर्ण गान' आबै यै तेँए अहाँ नीक गीतकार बनब आ हमहूँ आब गजल लिखब । । गीत आ गजल मे एते समानता अछि त' आब कहू गीत आ गजल मे अंतर की ?

शुक्रवार, 18 मई 2012

गजल

मन सुरभित छल आस मिलन के, प्यास नयन मे तृषित नयन के
बाजल हिरदय धक धक धक धक, सुनितहिं धुन पायल छन छन के


दशा पूर्व के पहिल मिलन सँ, कहब कठिन ई सब जानय छी
साल एक, पल एक लगय छल, बढ़ल कुतुहल छन छन मन के


कोना बात शुरू करबय हम, सोचि सोचिकय मन थाकल छल
भेटल छल हमरा नहि तखनहुँ, समाधान की, एहि उलझन के


बाहर हँसी ठहाका सभहक, सुनैत छलहुँ बस हम कोहबर सँ
चित चंचल मुदा सोचलहुँ बाँचल, चारि दिना एखनहुँ बन्धन के


धीर धरू अपने सँ कहिकय, कहुना अप्पन मोन बुझेलहुँ
वाक-हरण बस आँखि बजय छल, हाथ पकड़लहुँ जखन सुमन के

गुरुवार, 17 मई 2012

एक करोड़क दहेज



संजना आ संजयकेँ ब्याहक तैयारीमे जोर-सोरसँ संजनाक  बाबूजी  आ हुनक सभ परिबार तन-मन-धनसँ लागल संजना आ संजय दुनू  एक्के संगे मेडिकलमे पढ़ै छल ओहि बिच दुनूमे पिआर भेलै आ आब सभक बिचारसँ ब्याह भए  रहल छैक । चूकी संजयकेँ  पिताजी अप्पन  ऑफिसक काजसँ युएसए गेल रहथि आ एहि ठाम हुनक सभटा काज हुनक छोट भेए  अर्थात संजयकेँ कक्का कएलनि
आब  काइल्ह ब्याह तँ  आइ  गाम एलथि  गाम परहक सभ तैयारी देख ओ प्रशन्न भेला बाते बातमे हुनका ज्ञात भेलनि जे कन्यागत दिससँ पंद्रह लाख रुपैया दहेज सेहो संजयकेँ  कक्का ठीक  केने छथि आ कन्यागत देबैक लेल सेहो मानि गेल छथि मानितथिन  किएक नहि उच्च कुल-खनदान, वर डॉक्टर,वरक बाबू बड्डका डॉक्टर, गाममे सए  बीघा खेत, बेनीपट्टीमे शहरक बीचो-बिच चारि बीघाक घड़ाड़ी 
मुदा  संजयक बाबूकेँ ई बातसँ किएक नहि जानि खुशी  नहि भेलन्हि  ओ तुरंत ड्रायबरकेँ  कहि गाड़ी निकलबा कन्यागत ओहिठाम पहुँचलाह काइल्ह ब्याह आ आइ  वरक बाबू उपस्थीत, मोनक संकाकेँ  नुकबैत कन्यागत दिससँ कन्याँक बाबू सहीत सभ दासोदास उपस्थीत पानि, चाह शरबत, नास्ता, पंखा सभ  प्रस्तुत कएल गेल संजयक बाबू ओहि  सभकेँ  नकारैत दू टूक बात संजनाक बाबूसँ बजलाह,  " समधि कनी हमरा अपनेसँ एकांतमे गप्प करैक अछि "
हुनक  संकेत पाबि सभ गोते ओहि ठामसँ हटि गेलाह, मुदा सभक मोनमे अंदेसा भरल, कतेको गोटा दलानक कोंटासँ सुनैक चेष्टामे सेहो सभकेँ गेला बाद संजयक बाबू संजनाक बाबूसँ,  "समधि ! हम तँ  एखने दू घंटा पहिने युएसएसँ एलहुँ क्षमा करब पहिने समाय नहि निकालि पएलहुँ, मुदा ई की सुनलहुँ अपने पन्द्रह लाख रुपैया दहेजमे दए  रहल छी "
संजनाक बाबू  दुनू  हाथ जोरने,  "हाँ समधि जतेक अपनेक सभक मांग रहनि हम अबस्य पूरा करबनि "
संजयक बाबू,  "जखन मांगेक गप्प छैक तँ  हमरा एक करोड़  रुपैया चाही "
सुनिते संजनाक बाबूक आँखिक आँगा अन्हार भए  गेलनि, आ आनो जे सुनलक सेहो दांते आँगुर कटलक संजनाक बाबू पुर्बबत दुनू हाथ जोड़ने,  "एहेन बात नहि कहु समधि पंद्रह लाख जोड़ैमे तँ  असमर्थ छलहुँ आ ई एक करोड़ तँ  हम अपनों बीका कए  नहि आनि सकै छी |"
कहैत निचा झुकलनि शाइद संजयक बाबूक पएर छुबैक चेष्टामे मुदा निचा झुकैसँ पहिले संजयक बाबू हुनका उठा अपन करेजासँ लगा,  "ई की पाप दए  रहल छी, पएर तँ  हमरा अपनेक पकरबा चाही जे अपने अपन बेटी दए रहल छी  आ रहल पाइ  तँ  हमरा एक्को रुपैया नहि चाही भगबानक कृपासँ हुनक देल सभ किछु अछि रहल एक करोड़क बात तकरा क्षमा करब ओ छ्नीक ठीठोली छल, जखन मांगने पंद्रह लाख भेटत तँ  एक करोड़ किएक नहि जे आगू  कोनो काजो नहि कर परेए आ की अपनेक बेटी आ हमर पुतौह एक करोड़सँ कमकेँ छथि हा हा हा .... ।“ 
एका एक चारू कात नोराएल आँखिसँ ड़बड़बेल खुशीक ठहाका पसरए लागल   
*****
जगदानन्द झा 'मनु'

बुधवार, 16 मई 2012

की हौऊ तों कमजोर भ गेलह

की हौऊ तों कमजोर भ गेलह 
नांगरी कटा क गाम बिसरलह
अप्पन भाषा आ ठाम बिसरलह
मिथिला के पहिचान बिसरलह
बैमानी पोरी पोर भ गेलह
की ............................................

तिलकोर के पाठ बिसरलह
मिथिला के ठाठ बाट बिसरलह
पेंट शर्ट आ हेट फेट में
धोती कुरता पाग बिसरलह
बिन मुद्दा के शोर भ गेलह
की.....................................
अनका लेल भरी दिन खटई  छः
बाल आ बच्चा किहरी कटयी छः
बाबु छोरी क मोम आ पोप बजय छः
तों सुनी सुनी क खूब नचय छः 
बिन बुझने तूं चोर भ गेलह
की ..........................................
कनिया मनिया जॉब करय छः
अपना पर पेटो नै भरय छः
अपने हाथे करम कुटय छः
बात बात में झगरी परई छः
एहन कोना धकलोल भ गेलह
की ..........................................
गामक शान के कतय नुकेलह
बिन सोचने सब किछ हेरेलह
बाप माय के कोना बिसरी क
अपन "आनंद" में घोर भ गेलह
की हउ.........................आनंद
एही रचना के किओ व्यक्ति अपना जीवन स नहीं जोरी इ मात्र एक टा रचना थीक| एही रचना के रचना कार आनंद झा हम स्वं छी | बिना पूछने एकर उयोग नहीं करी
जय मिथिला जय मैथिलि   

आब हम जबान भ गेलहुँ (हास्य कथा)

आब हम जबान भ गेलहुँ   
              (हास्य कथा)
समाचार पढ़ि के स्टूडियो सँ निकलले रही कि मोबाइलक घंटी बाजल हम धरफरा के फोन उठेलहुँ की ओम्हर सँ अवाज आयल हौ कारीगर आब हम जवान भ गेलहुँ। ई सुनि त हमरा किछु ने फुरा रहल छल मुदा तइयो हम सहास कए के बजलहुँ अहाँ के बाजि रहल छी। ओम्हर सँ फेर अवाज आयल हौ कारीगर एना किएक बताह जेंका बजैत छह अवाजो ने चिन्हैत छहक। कहअ त इहे गप ज कोनो बचिया तोरो फोन कए के कहने रहितह त तोरो मोन धनकुटिया मशिन जेंका धक-धक करितह। मुदा हम कहैत छियह त तों बहन्ना बतियाअैत छह।
              हम बजलहुँ से गप त ठीके मुदा अहाँ के बाजि रहल छी से कहू ने तखने चिन्हब ने कि ओम्हर सँ फेर अवाज आएल हौ बच्चा हम बाबा भोलेनाथ बाजि रहल छी तोरे स भेंट करैए लेल आएल छलहुँ। ई सुनि हम बाबा के प्रणाम कए पुछलियैन यौ बाबा अहाँ कतेए छी। ओ खिसियाअैत बजलाह हौ बच्चा हम यूनिवार्ता लक ठाढ़ भेल छी तोहर आकाशवाणीबला सभ कहलक जे बसहा बरद लए के भीतर नहि जाए देब। तहि दुआरे  हम यूनिवार्ता चलि अएलहुँ अहि ठाम कोनो रोक टोक नहि बसहो बरद मगन स घास खा रहल अछि आ हमहूँ रौद मे बैसल छी। तूं जल्दी आबह देखैत छहक सस्पेन महक चाह उधिया-उधिया कहि रहल अछि जे आब हम जवान भ गेलहु। दुनू गोटे चाहो पीअब आ गपो नाद करब।हम बजलहुँ ठीक छै बाबा अहाँ ओतए रहू हम 5 मिनट मे आबि रहल छी।
बाबा सँ भेंट करबाक लेल हम आकाशवाणी के गेट न0-2 स बाहर निकैलि रोड टपि के पीटीआई बिल्डिंग लक आएले रहि कि फेर फोनक घंटी बाजल। कान मे हेडफोन लगले रहैए बिना नम्बर देखनहियै हम फोन उठेलहुँ कि ओम्हर सँ अवाज आयल यौ किशन बौआ अहाँ कहिया गाम आबि रहल छी आब हम जवान भ गेलहुँ। हम धरफराइत बजलहुँ ग ग गोर लगैत छि काकी। ओम्हर सँ फेर कोनो महिलाक अवाज आयल अई यौ बौआ अहाँ सभ दिन बकलेले रहबैह भौजी के लोक कहूं काकी कहलकैए ओ खिखिया के हँसैत बजलीह अप्पन सप्पत कहैत छी यौ बौआ आब हम जवान भ गेलहुँ। अहाँ त साफे हमरा बिसैर गेलहुँ कहियो मोनो ने पड़ैत छी। ई सुनि त एक बेर फेर हमरा किछु ने फुरा रहल छल मुदा तइओ हम बजलहुँ अहाँ कतए स बाजि रहल छि यै काकी। महिलाक अवाज आयल यौ बौआ हम भराम वाली भाउजी बाजि रहल छी। एक्को रति मोन पड़ल ।हम अपसियाँत भेल हकमैत बजलहुँ ह ह भाउजी मोन पड़ल अच्छा त अहाँ छि भराम वाली। भाउजीक गप सुनि त हँसि स हमरा रहल नहि गेल हा हा क हँसैत हम बजलहुँ अई यै भाउजी अहाँक चिल्का बच्चा नमहर भ गेल आ तइयो अहाँ कहैत छी जे आब हम जवान भ गेलहुँ ठीके मे की मजाक कए रहल छी।
भाउजी खिखिया क हँसैत बजलीह अप्पन सप्पत कहैत छि यौ बौआ अहाँ एक बेर गाम आबि देखू हमरा देखि त बुढ़बो सबहक धोति निचा माथे ससैर जायत छैक। आ तहू स बेसी हाल त मैटिक वला विद्यार्थी सभहक हाल त और बेहाल छैक। टीशन पढै जायत काल हमरे घूरि घूरि क देखैत रहैत छैक आ सबटा सुध बुध बिसैर के धरफड़ा के साइकिलो पर स खसि पड़ैत छैक। सबटा गप कि कहू यौ बौआ गाम-गमाइत जेनिहार अनठिया लोक सभ त मोटरसाइकिल पर सँ ओंघरा पोंघरा के खसि पडैत छैक आ मुँहो कान चिक्कन भए जायत छैक।हम बजलहुँ अई यौ भाउजी भैया नहि किछु कहैत छथि हुनका ने किछु होइत छैन्हि। भाउजी बजलीह धू जी महराज की कहू आनहरो लोक अहाँ भैया स बेसी देखैत हेतै। पामर वला चश्मा मे एक्को रति कि अहाँ भैया के देखाइए। सबटा गप कि कहू अहाँ भैया के हकैम-हकैम के कहैत कहैत हम थाकि गेलहुँ जे आब हम जवान भ गेलहुँ। मुदा तइयो अहाँ भैया के वैहए गउलहे गीत इस्कूल पर सँ गाम आ गाम पर सँ इस्कूल सेहो आखि मुनने जाउ आ आउ। रस्ता पेरा कि सभ भेलै सेहो ने बुझबाक काज। ई गप सुनि त हँसि स हमरा रहल नहि गेल हा हा क हँसैत हम बजलहुँ आहि रे बा एहेन जुलुम त देखल नहि।
हमर गप सुनि भाउजि खूब जोर स खिखिया क हँसैत बजलीह जुलुम की महाजुलुम कहियोअ। ओना अहूँ कि अपना भैया स एक्को रति कम छी। अहाँ त हरदम समाचार बनबै-सुनबै मे बेहाल रहैत छी हमर हाल के पुछैए। आई काल्हि त आनहरो लोक ईशारा स गप बुझि जायत छैक मुदा अहुँक हाल त निछटे आनहर वला अछि ने गबैए जोकर ने सुनैए जोकर। अहाँ स नीक त कोनो अनठिया के कहने रैहतियै जे आब हम जवान भ गेलहुँ त निछोहे पराएल ओ गाम चलि आएल रहितैह मुदा अहाँ त गाम अएबाक नामे नहि लैत छी। हम बजलहुँ भाउजी अहाँ जुनि खिसियाउ अहि बेर नहि त अगिला बेर हम जरूर आएब आ दुनू दिअर भाउज उला ला उ ला ला मदमस्त होरी खेलाएब। एखन हम फोन राखि रहल छी केकरो फोन आबि रहल छैक। भाउजी बजलीह मारे मुँह ध के  अहूँ के मोबाइल हरदम टनटनाइते रहैए भरि मोन गप करब सेहो आफद। जहिना जवान लोक फेनाइते रहैए तहिना अहाक फोन टनटनाइते रहैए बड्ड बढ़िया त राखू।
              भाउजीक फोन डिसकनेक्ट करैते मातर फेर कोनो अनठिया नम्बर सँ फेर फोनक घंटी बाजल अवाज सुनि हमर मोन धकधकाएल जे आब फेर के अछि। हम हेल्लो बजलहुँ कि ओम्हर स अवाज आएल एकटा गप बुझहलियै अहाँ । हम बजलहुँ बिना कहनहिए अपनेमने अन्तरयामी केना बुझि जेबैए ओना कोन एहेन जुलुम भए गेलैए से जल्दीए कहू। कोनो महिलाक अवाज आयल यौ पाहुन हम कोना क कहू हमरा त लाज होइए। हम बजलहुँ अहाँ के लाजो होइए आ उल्टे हमरा पाहुनो कहैत छी। ओम्हर स फेर अवाज आयल चुपु ने अनठिया अनठा-अनठा के बजैत छी जेना अहाँ के बुझहले ने हुएअ ।हम बजलहुँ सत्ते कहैत छी हमरा त एक्को मिसीया ने बुझहल अछि जल्दी कहू। एतबाक मे फेर अवाज आयल अहा कहैत छी त हयैए लियअ सुनू आब हम जवान भ गेलहुँ। एतबाक बाजि ओ हा हा के खूब जोर स हँसैए लगलीह। हुनकर गप सुनि त हँसि स हमरा रहल नहि गेल मुदा तइयो हम बजलहुँ जबान भ गेलहुँ त अपना माए बाप के कहियौअ अहि मे हम कि करू। ओ बजलीह अई यौ बुढ़बा पाहुन अहूँ बरि खान्हे बुझहैत छियैक। कहू त इहो गप केकरो कहैए पड़तैह लोक अपने मने नहि बुझतैह जे घोरि घोरि के कहैए पड़तैह जे आब हम जबान भ गेलहुँ। एतबका बाजि ओ खूब जोर स हाँ हाँ के हसैए लगलीह। ओइ महिलाक हँसि सुनि त बुझहु हमर मोन धनकुटिया मशिन जेंका धक-धक करैए लागल। हकमैत हकमैत अपसियात भेल हम बजलहुँ अईं यै मैडम अहाँ जबान नहि भेलहुँ कि बुढ़ारि मे हमरा जहल टा कराएब। ओ बजलीह अईं यौ पाहुन अहाँ के डर किएक होइए एतेक काल त कोनो अनठिया गाम चलि आएल रहैतैए आ अहाँ के त होरी मे गाम अबैत बड्ड माश्चर्ज लगैए अहाँ होरी खेलाए लेल गाम आएब कि नहि। हम बजलहुँ अहाँक पाहुन से कहिया स त ओ बजलीह अईं यौ  पाहुन हम जवान भेलहु आ हमरा अहा साफे बिसैर गेलहु। हम नीलू बाजि रहल छी एक्को रति मोन पड़ल कि नहि।
  हम बजलहुँ अच्छा त अहाँ छी बड्ड जल्दी जबान भ गेलहुँ। ओ महिला बजलीह त अहाँ मने कि अगिला कोजगरा तक अहाँक बाट तकितहुँ कि अपन जबान भ गेलहुँ। आब बुढ़ लोकक जमाना गेलैए आई काल्हि त जबान लोकक जमाना एलैए बुढ़ारी मे अहाँ भसिया गेलहुँ की। हमरे छोटकी सारि नीलू छलीह। हुनकर एहेन सुनर बचन सुनि त  हम अपना देह मे अपने मने बिट्ठू काटैए लगलहु खुशि सँ मोन मयूर जेंका नाचए लागल। भेल जे सासुरे मे तिलकोरक तरूआ खा रहल छी मुदा फोन दिसि देखि इ भ्रम टूटल जे हम त संसंद मार्ग दिल्ली मे छी आ फोन पर गप कए रहल छी।  हम बजलहुँ यै नीलू ठीक छैक ई बुझहु जे अगिला होरी मे हम एब्बे टा करब एतबाक कहि हम फोन राखि देलियै।
    फोन पर गप करैते करैते हम चाह दोकान लक चलि आएल रहि सेहो नहि बुझहलियै। हमरा देखैत मातर  बाबा बजलाह अईं हौ कारीगर तोहर गप सधलहे नहि देखैत छहक तोरा फेरी मे चाहो ठंढ़ा गेल तहि दुआरे चाहो वला हमरे पर मुँह फुलेने अछि। बाबाक गप सुनि हुनका हम प्रणाम कए पुछलियैन से किएक यौ बाबा। त ओ बजलाह चाहवला के कहब छैक जे अहि दारही वला बाब दुआरे कएक टा न्यू कपल्स माने जबान छौड़ा-छौंड़ी बिना चाह पीने आपिस चलि गेलैह। आब तोंही कहअ त कारीगर छौंड़ा-छौंड़ी त अपना फेरी मे गेल चाह नहि बिकेलै त एहि मे हमर कोन दोष। चाहवला अपने मिथिला के रहैए ओकरा हम कहलियै हौ भाए दू कप चाह बनाबह  बाबा सेहो पिथहिन। हम बाबा के कहलियैन बड्ड दिन बाद अपने दिल्ली अएलहुँ त गाम घरक हाल समाचार कहू। बाबा बजलाह हौ बच्चा जुनि पुछह गाम घरक हाल बुझहक छौंड़ा छौंड़ी अगिया बेताल। हम बजलहुँ से किएक यौ बाबा त ओ बजलाह  हौ बच्चा गामो घर  रहबा जोग नहि रहि गेल। आई काल्हिक छौंड़ा छौंड़ी एकदम निरलज भए गेल एक्को रति लाज धाक नहि रहि गेलैए आब त मंदिरो मे रहब परले काल भए गेल।
हम बजलहुँ से किएक यौ बाबा त ओ बजलाह हौ बच्चा सबटा गप तोरा कि कहियअ आब त छौंड़ा मारेर सभ पूजा करैत काल  उला ला उला ला गबैत अछि एतबाक सुनैते मातर छौंड़ियो सभ कुदि-कुदि के कहतह छुबू ने छुबू हमरा आब हम जवान भ गेलहुँ। कह त के जबान के बुढ़ पुरान से त पूरा गौंआ बुझैत छैक एहि मे हल्ला करबाक कोन काज जे आब हम जबान भ गेलहुँ। देखैत छहक इ गप सुनि त बुढ़बो सबहक धोति निच्चा माथे ससैर जाएत छैक। ई भागेसर पंडा हमरा सुखचेन स नहि रहैए देत। एतबाक मे चाह वला 2 गिलास चाह देलक दुनू गोटे चाह पिबअ लगलहुँ एक घोंट चाह पिनैहे रहि कि हम पुछलियैन भागेसर कि केलक यौ बाबा। ओ बजलाह हौ कारीगर की कहियअ भागेसर पंडा त आब निरलज भ गेल। एतेक दिन ओम नमः शिवाय के जाप करैत छल आब उला ला उला ला गबै मे मगन रहैए हम जे किछु कहैत छियैक हौ भागेसर एना किएक अगिया बेताल भेल छह। त ओ हमरा कहैत अछि यौ बाबा किछु कहू ने हमरा आब हम जबान भ गेलहुँ।
 

मंगलवार, 15 मई 2012

गजल

हम त' छी कनेक नादान ताहि लेल चुप छी
ई जग अछि बेसी सियान ताहि लेल चुप छी

कतेक नुकाएल अन्देख में निर्मम निर्दय
अखनो अछि बड़ हेवान ताहि लेल चुप छी

नित मार काट  खून  खुनामय  होएत  रहै
मांगे अछि  दुष्ट वरदान  ताहि  लेल चुप छी

सभदिन होए अछि गर्भे में बेटी केर हत्या
मुदा बनलि सब अंजान ताहि लेल चुप छी 

जौं कहूना मैर क' बांचल जे बेटी समाज में
दहेज प्रथा लेतेन जान ताहि लेल चुप छी

कहवाक हिम्मत बहुते राखने छैक ''रूबी''
किन्नो भ्रष्ट नै होय सम्मान ताहि लेल चुप छी

--------सरल वार्णिक बहर वर्ण --१७----------
[रूबी झा ]