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शुक्रवार, 26 सितंबर 2025

गजल

करेजमे बसा हमरो तँ कनी  पिआर करु

अपन बना क हमरा प्रिय अहाँ दुलार करु 

 

नुका क छी अहीँकेँ हम रखने हिया त’रे

पुजा करैत छी दिनराति किए पसार करु

 

मनक तरंग सबटा छोरि अहीँक छी बनल

विचारु नै इना जल्दीसँ अहाँ कहार करु

 

सिनेह होइ की छै आबु  तँ हम कहैत छी

जिवू खुशीसँ जीवन नै अकरा पहार करू

 

दुलार नै जतय धन केर बिना कियो करै

सिनेह ओइ ‘मनु’ दुनियासँ किना उधार करु

 

(मात्रा क्रम 12-12-12-221-12-12-12 सभ पाँतिमे)

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’


सोमवार, 1 सितंबर 2025

गजल

नुका कय मुँह अपन सगरो कनै छी हम 

विरहकेँ आगिमे  सदिखन जरै छी हम 


लगा नेहक किए ई आँच चलि गेलौं

करेजक दर्द सहियो नहि सकै छी हम

 

लगन एतेक सतबै छै बुझल नहि छल
विछोहे राति दिन घुटि-घुटि मरै छी हम 

 

नजरिमे छी सभक हारल बताहे टा

बुझत की आन आनंदे रहै छी हम

 

पिया ओता हमर ई सोचि जीबै छी

लगोने आश ‘मनु’ रस्ता तकै छी हम 

 
(बहरे हजज, मात्रा क्रम : 1222-1222-1222)

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’