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शनिवार, 18 जनवरी 2025

हाइकू

सब होएत

भवसागर पार

कृष्ण नामसँ

 

कृपा सदति

बना कय राखब

हे भगवान

 

वृंदावनके

कन-कनमे कृष्ण

वास करैत

 

नंदगाममे

सबतरि देवता

गोपीभेषमे

 

निधिवनमे

गोपाल गोपी संग

रास रचैत

 

 

धर्मक संगे

सगरो छथि कृष्ण

कुरूक्षेत्रमे

 

नारीमे सारी

की सारीमे नारी छै

जानथि कृष्ण

 

मथुरा एलौं

कृष्णमय भेलहुँ

अहीँक कृपा

 

राखब कृपा

सबपर माधव

सुनूँ विनती

 

१०

बसि जाउ हे

हमर राधा रानी

मन मनमे 

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’


शुक्रवार, 10 जनवरी 2025

हाइकू की छैक वा हाइकू कोना लिखल जाइ छैक ?


हाइकू

हाइकू मुलत: जापानी काव्य विधा रहितो अपन लोक प्रियता आओर सहजता केर कारण आन आन भाषा होइत आब मैथिलीमे सेहो खूब लिखाएल जा रहल अछि।

हाइकू एकटा वार्णिक छंद रचना छैक, जे कुल तिन पाँतिमे लिखल जाइ छै। एकर वार्णिक संरचना छैक पाँच-सात-पाँच, अर्थात एंकर पहिल आ तेसर पाँतिमें पाँच-पाँच टा आखर (अक्षर) आ दोसर पाँतिमे सातटा आखर होइत छै। हाइकूमे तुकबंदी वा कोनो विशेष छंदक पालन नहि होइत छैक। आ नहि विराम चिन्हक प्रयोग कएल जाइत छैक। हाइकू लिखैक लेल शब्द चयनमे विशेष ध्यान देबाक चाही।

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’



गुरुवार, 9 जनवरी 2025

गजल

अनलौं करेजा अपन स्वीकार करु

हमरासँ एना   अहाँ नै   बेपार करु

  

गरदनि उठा कनिक हमरा नहि देखबै

हम आब एतेक कोना सिंगार करु

 

सस्ता महग बाढ़ि रौदी सगरो भरल

सोइच गरीबक अहाँ किछु सरकार करु

 

हरलौं कते युगसँ तन मन धन बनि अपन

ऐ आतमा  पर हमर नहि अधिकार करु

 

झूठक बटोरल अहाँकेँ बहुमत रहल

‘मनु’ नहि सड़ल बाँटि जनता बेमार करु

 

(बहरे सगीर, मात्राक्रम - 2212-2122-2212)

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’