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बुधवार, 1 मार्च 2023

गजल - जँ हम मरि जाइ

जँ हम मरि जाइ कनिको नै अहाँ कानब 
बितल जे संग ओ सगरो  खुशी गानब 
 
करेजामे नुकोने छी कतेको दुख 
हमर सामर्थ जे मुँहपर हँसी आनब
 
जहर पी दर्द के हम चिन्हलौ दुनियाँ
नदीमे ठेल सिखने लोक अछि छानब 
 
द कर्जा मांगि देखू एक दिन ककरो 
सगर दुनियाँक माया छन्नमे जानब 
 
सिनेह प्रेम दोस्ती नाम मतलबकेँ 
कपट ‘मनु’ भेषमे सब एतए दानब
(बहरे हजज, मात्राक्रम : 1222-1222-1222)
 ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’