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गुरुवार, 5 जनवरी 2023

गजल

भगवती जकर माए ओ टुगर कहल कोना 

हाथ छै दुनू भेटल रंक ओ रहल कोना

  

माथ पर हमर सदिखन जखन हाथ मैयाकेँ

एहिठाम रहलै कोनो  कठिन टहल कोना 

 

लेब छोरि कखनो देबाक बात कनि सोचू

सगर गाम देखू सुख शांति नहि बहल कोना

 

शेरकेँ घरे बैसल   नहि शिकार भेटै छै

घरसँ जे निकलबै नहि घर बनत महल कोना

 

काज नहि अपन हिस्सा केर ‘मनु’ करी हम सब

ई सहज सगर दुनिया नहि  बनत जहल कोना

(मात्राक्रम : 212-1222/ 212-1222 सभ पाँतिमे)

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

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