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शुक्रवार, 5 अगस्त 2016

रभसल

"धूर भौजी ! अहुँ बड़ रभसल जकाँ किनादन करैत रहै छी ।"
"यौ लाल बाबु रहै दियौ, जँ हम एना रभसल जकाँ नहि करितौँ तँ, ई जे कोरामे भतिजाकेँ लदने रहै छी से मनोरथ अहाँक भैया बुते तँ रहिए गेल रहिते ।"
© जगदानंद झा 'मनु' 

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