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बुधवार, 26 मार्च 2025

पोथी चर्चा, कविता आ गीत संग्रह- व्यथा




पोथीक नाम : व्यथा

विधा : कविता गीत संग्रह 

भाषा : मैथिली 

कवि/ लेखक: जगदानन्द झामनु

पोथी परिचय:  ‘व्यथाशीर्षक कविता-संग्रह जगदनानन्द झामनुद्वारा रचित कुल 34 गोट कविता 16 टा गीतक संकलन थिक। अधिकांश कविता मिथिलाक गौरव-गाथासँ लए कए महिलाक दशा धरिक चित्रणसँ पाठक केर हृदयपर अमिट छाप छोडैमे सफल भेल अछि। किछु कविता विविध विषयपर कविक भावोद्गार व्यक्त करैत अछि। संगहि गीतमे कविक अर्चनाक स्वर मुखरित भेल अछि। मिथिलाक गुणगान एकर अतीत आओर वर्तमानक बीच विरोधाभास विषयपर पहिल 14 टा कविता सुन्दर सुमधुर स्वरमे सजाओल गेल अछि।

मूल्य: 290 भा ₹ (संपूर्ण भारतमे डाक खर्च सहित, भारतसँ बाहर डाक खर्च अतिरिक्त)

पोथी प्राप्ति लेल: अपन पूर्ण पता, मोबाइल नम्बर, पिन कोड सहित +91 92124 61006 पर वाट्सअप करी

 


मंगलवार, 11 फ़रवरी 2025

पोथी चर्चा, गजल संग्रह- नढ़िया भुकैए हमर घराड़ीपर

 




पोथीक नाम : नढ़िया भुकैए हमर घराड़ीपर 
विधा : गजल संग्रह (बहरयुक्त)
भाषा : मैथिली 
गजलकार/ गजलगोहि/ लेखक : जगदानन्द झा ‘मनु’
पोथी परिचय: अपन माटी पानिसँ दूर होबैक दर्दकेँ करेजामे समेटने, एक सय एकटा बहर युक्त गजलक संग्रह, पाठककेँ मनोरंजनक संगे संग हुनक मोनमे अपन माटि पानिेक यादि आ सिनेहकेँ तरोताजा व ओतप्रोत करैमे सफल प्रयास अछि। गजलकार जगदानन्द झा ‘मनु’ पिछला डेढ़ दसकसँ मैथिलीमे लगातार बहर युक्त गजल लिख रहल छथि आ हुनक गिनती मैथिली गजलमे एकटा सम्मानकेँ संग केएल जाइ छनि। 
मूल्य: 200 भा ₹ (संपूर्ण भारतमे डाक खर्च सहित, भारतसँ बाहर डाक खर्च अतिरिक्त)
पोथी प्राप्ति लेल: अपन पूर्ण पता, मोबाइल नम्बर, पिन कोड सहित +91 92124 61006 पर वाट्सअप करी


शनिवार, 18 जनवरी 2025

जगदानन्द झा ‘मनु’ केर हाइकू (कड़ी- २)

सब होएत

भवसागर पार

कृष्ण नामसँ

 

कृपा सदति

बना कय राखब

हे भगवान

 

वृंदावनके

कन-कनमे कृष्ण

वास करैत

 

नंदगाममे

सबतरि देवता

गोपीभेषमे

 

निधिवनमे

गोपाल गोपी संग

रास रचैत

 

 

धर्मक संगे

सगरो छथि कृष्ण

कुरूक्षेत्रमे

 

नारीमे सारी

की सारीमे नारी छै

जानथि कृष्ण

 

मथुरा एलौं

कृष्णमय भेलहुँ

अहीँक कृपा

 

राखब कृपा

सबपर माधव

सुनूँ विनती

 

१०

बसि जाउ हे

हमर राधा रानी

मन मनमे 

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’


शुक्रवार, 10 जनवरी 2025

हाइकू की छैक वा हाइकू कोना लिखल जाइ छैक ? (कड़ी-१)

हाइकू मुलत: जापानी काव्य विधा छैक। हाइकूकेँ जन्म, पालनपोषण विकास जापानमे, जापानी संस्कृती जापानी माटि पानिमे सनि कय भेल छैक। सत्रहवीं शताब्दीक मध्यमे हाइकूकेँ एकटा स्वतंत्र काव्य विधाकेँ रुपमे स्थापित करैमे मात्सुओ बाशो केर सराहनीय काजकेँ सदति यादि राखल जाएत। हाइकू अपन लोक प्रियता आओर सहजता केर कारण जापानसँ निकलि आन-आन भाषा होइत आइ मैथिलीमे सेहो खूब लिखाएल जा रहल अछि।

हाइकू एकटा वार्णिक छंद रचना छैक, जे कुल तिन पाँतिमे लिखल जाइ छै। एकर वार्णिक संरचना छैक पाँच-सात-पाँच, अर्थात एकर पहिल आ तेसर पाँतिमें पाँच-पाँच टा आखर (अक्षर) आ दोसर पाँतिमे सातटा आखर होइत छै। हाइकूमे तुकबंदी वा कोनो विशेष छंदक पालन नहि होइत छैक। आ नहि विराम चिन्हक प्रयोग कएल जाइत छैक। हाइकू लिखैक लेल शब्द चयनमे विशेष ध्यान देबाक चाही। पूर्वमे हाइकू केर मुख्य विषय प्रकृति आ मौसम रहलै मुदा आब एहेन गप नहि रहि गेलैए, आब मानव प्रवृति, ईश्वर महिमा सहित आन आन विषय क्षेत्रमे एकर निरन्तर विस्तार भय रहल छैक।

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’



गुरुवार, 9 जनवरी 2025

गजल

अनलौं करेजा अपन स्वीकार करु

हमरासँ एना   अहाँ नै   बेपार करु

  

गरदनि उठा कनिक हमरा नहि देखबै

हम आब एतेक कोना सिंगार करु

 

सस्ता महग बाढ़ि रौदी सगरो भरल

सोइच गरीबक अहाँ किछु सरकार करु

 

हरलौं कते युगसँ तन मन धन बनि अपन

ऐ आतमा  पर हमर नहि अधिकार करु

 

झूठक बटोरल अहाँकेँ बहुमत रहल

‘मनु’ नहि सड़ल बाँटि जनता बेमार करु

 

(बहरे सगीर, मात्राक्रम - 2212-2122-2212)

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’


शुक्रवार, 27 दिसंबर 2024

गजल

प्रेममे हुनकर जहर चिखने जाइ छी 
सब बुझैए  हम निशा केने जाइ छी
 
जे मजूरक पैँख  पेलौं उपहारमे
प्राण बुझि संगे सगर नेने जाइ छी
 
रोशनाई नै कलममे  बड़ अछि कहब
चीर छाती सोणितसँ लिखने जाइ छी
 
मानतै के देख मुँह पर मुस्की हमर
की करेजाकेँ अहाँ खुनने जाइ छी 
 
बहुत लागल जीवनक ठोकर चारुदिस
सुमरि ‘मनु’केँ चोट सब सहने जाइ छी
 
(बहरे जदीद, मात्राक्रम- 2122-2122-2212)
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

रविवार, 8 दिसंबर 2024

रुबाइ

आइ हमहूँ खेत बोटीकेँ रोपलौं

पेट पोसै लेल झूठक हर जोतलौं

कारी कोटसँ कोटमे निसाफ ककरा

आँखि बान्हि टाका टक दफ़ा जोखलौं

                ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’