हिन्दी साहित्यमे पहील कहानी किछु गोटे "रानी केतकी की कहानी" केर मानै छथि। ई कथा सैयद इंशाअल्लाह खान द्वारा 1803 या 1808 मे लिखल गेल छल । ई कहानी मध्यकालीन भारतक प्रेमकथा अछि । कथामे रानी केतकी आ राजकुमार वीरसेनक प्रेम कहानी कहल गेल अछि । ओतए किछु गोटे किशोरी लालक इन्दुमती केर तँ आओर किछु गोटे माधवराव केर “एक टोकरी मिट्टी” केर। मुदा हिन्दी कहानीक असली विकास प्रेमचंदक कहानी आ हुनक समयसँ भेल ।
प्रेमचंदक जीवन काल - 1880 सँ 1936 छल, 1803 सँ पहिने कहानी शब्दक प्रयोग कियो नहि केलक। तँ की 1803 वा प्रेमचंद केर युगसँ पहिने कोनो कहानी नहि छल ? वेद, उपनिषद, पुराणमे हजारो कहानीक वर्णन अछि, मुदा ओकरा कथा कहल जाइत छल। जेना पंचतंत्रक कथा जे की 300 ई.पू. पहिने लिखल गेल छल।
वर्तमानक हिन्दी साहित्यमे कहानीक अर्थ अंग्रेज़ी केर Sort story सँ लेल जाइ छैक। मुदा हिन्दी साहित्यमे आइ-काल्हि हिन्दी साहित्यक कहानीसँ अलग, छोट छोट कहानी क़रीब तीन चारि सय शब्दमे खूब लिखल जा रहल अछि तेकर नामकरण हिन्दी साहित्यमे लघु कथा केर नामसँ भेल अछि। आ एहि लघु कथाकेँ ज्ञानी लोकनि सभ मैथिली केर बीहनि कथासँ तुलना करै लेल आतुर छथि। ज़खन कि मैथिलीमे बीहनि कथा आ लघु कथा दुनू स्वतंत्र रूपसँ लिखल जा रहल अछि।
आब मैथिली कथाक वर्गीकरण केर हम एना देख सकैत छी-
बीहनि कथा : कथ्य वा संवाद जेकर मुख्य अंग छैक, एक दृश्यमे संपूर्ण कथा होइ, शब्द सीमा अधिकतम एकसय तक करीब हुए तँ उत्तम।
लघु कथा : संवाद संगे भुमिका अथवा बिना संवादों, एकसँ दूँ दृश्यमे संपन्न होबा चाही, शब्द सीमा क़रीब पाँच सय तक।
कथा : जकरा हिन्दी साहित्यमे कहानी कहल गेल छैक। मैथिली साहित्यमे कथा वा कथाक संग्रह केर खूब रचना भेल अछि।
दीर्घ कथा : अर्थात नमहर कथा। जाहि ठाम विस्तारसँ व्याख्या कय क रचना केएल गेल हुए। एतेक नमहर जे चारि-पाँच टा कथासँ एकटा पोथीक निर्माण भ सकेए।
आब कने गप्प करै छी, बीहनि कथा केर मादे -
बीहनि कथा नव विधा होइतो, आइ ई कोनो तरहक परिचय लेल मोहताज नहि अछि। मैथिलीमे नित्य नव-नव बीहनि कथा आ बीहनि कथाक पोथी लिखल जा रहल अछि। हम एकर इतिहास आ उत्पतिकेँ मादे एखन नहि कहब मुदा एतवा कहबामे कोनो हर्ज नहि जे बीहनि कथाक स्थापना आ विकास लेल मुन्नाजीक (मनोज कर्ण) भगरथि योगदानकें नहि बिसरल जा सकैत अछि। हमरो हुनके मार्गदर्शन आ सहयोगे बीहनि कथा लेखनमे उदय भेल। मुन्नी कामतजी, डॉ. आभा झाजी, सात्वना मिश्राजी, कल्पना झाजी, गजेन्द्र ठाकुरजी, घनश्याम घनेरोजी, विद्याचन्द झा 'बंमबंम' जी, डॉ. प्रमोद कुमारजी, ओमप्रकाश झाजी, डॉ. उमेश मण्डलजी, कपिलेश्वर राउतजी आदिक बीहनि कथा लेखनमे जतेक प्रशंसा कएल जे से कम। वर्तमान समयमे मैथिलीक बीहनि कथाकार सभ दुनियाँक बड़का-बड़का भाषाकेँ एहि दिस सोचै लेल बिबस कए देलखिन्ह। अंग्रेजीमे एकर नामकरण अथवा भाषांतर “सीड स्टोरी” कहि भेल। हिंदी अंग्रेजीमे जकर कोनो स्थान नहि ओहेन एकटा नव विधाक अग्रज मैथिली साहित्य आ ओ विधा थिक “बीहनि कथा”।
किछु लोक बीहनि कथा आ लघु कथामे फराक नहि कय पबैत छथि मुदा दुनूमे बहुत फराक अछि। बीहनि अर्थात बीआ। तेनाहिते मोनक बिचारक बीआ जे कखनो कतौ फूटि सकैए, बीहनि कथा। विचारक एकटा एहेन बीहनि, बीआ, सीड जे लोकक करेजाकेँ स्पर्श करैत, मस्तिष्ककेँ सोचै लेल विवस क दै।
बीहनि कथाक आवश्यकता समयक संग जरुरी अछि, जेना एक समयमे पाँच दिनक क्रिकेट मैचक प्रचलन छल ओकर बाद आएल वन डे क्रिकेट आजुक समयक माँग अछि ट्वेन्टी ट्वेन्टी। तेनाहिते एखुनका समय अछि बीहनि कथाक।
बीहनि कथा कोना लिखबा चाही आओर एकरामे की-की गुण होइत छैक ? शंक्षेप्तमे कही तँ एक गोट श्रेष्ठ बीहनि कथामे निचाँ लिखल गुणँ होबाक चाही –
▪️सम्पूर्ण कथा मात्र एकटा दृश्यमे होबाक चाही। जेना नाटकक मंचन मंचपर होइत छैक आ ओहिमे कतेको बेसी दृश्य भऽ सकैत छैक मुदा बीहनि कथाक कथ्य आ कथा दुनू एके दृश्यमे सम्पन्न भए जेबा चाही।
▪️बीहनि कथाक मुख्य अंग संवाद अछि। जतेक सटीक आ नीक संबाद होएत ओतेक नीक। शव्द चयन एहेन हेबा चाही जे पाठककेँ अर्थ बुझैक लेल सोचय नहि परनि। तुरन्त आ जे हम कहै चाहै छी ओ पाठकक मानस पटलपर जेए।
▪️कथाक गप्प पाठकक करेजाकेँ छूबि लनि आ पढ़ला बादो करेजामे दस्तक दैत रहनि ओकर परिणाम वा समाप्तिक फरिछौँटमे नहि परि कय पाठकपर छोरि दी।
▪️जँ कथा कोनो सार्थक उदेश्य वा गप्पकेँ प्रस्तुत करैमे सफल अछि, समाजकेँ कोनो नीक बेजए पक्षकेँ दखा रहल अछि तँ सर्वोतम।
▪️पढ़ैक कालमे पाठकक मोनमे मनोरजन संगे-संगे रूचि आ कौतुहल जगा सकेए। एना नहि बुझना पड़े जे कोनो प्रवचन सुनि रहल छी।
▪️जँ सम्भव हुए तँ इतिहास बनि गेल पात्र आ घटनासँ बचबाक चाही।
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’