मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। कृपया एहि ब्लॉगकेँ subscribe/ फ़ॉलो करब नहि बिसरब, जाहिसँ नव पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनिकेँ भेटैत रहत।

शुक्रवार, 14 नवंबर 2014

गजल

अपन मोनक कहल मारि बैसल छी
छलै खिस्सा लिखल फाडि बैसल छी

हँसी हुनकर हमर मोनमे गाडल
करेजा अपन हम हारि बैसल छी

पढू भाषा नजरि बाजि रहलै जे
किए हमरा अहाँ बारि बैसल छी

सिनेहक बूझलौं मोल नै कहियो
अहाँ गर्दा जकाँ झारि बैसल छी

जमाना कहल मानैत छी सदिखन
कहल "ओम"क अहाँ टारि बैसल छी
- ओम प्रकाश
मफाईलुन-फऊलुन-मफाईलुन (प्रत्येक पाँतिमे एक बेर)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें