मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। कृपया एहि ब्लॉगकेँ subscribe/ फ़ॉलो करब नहि बिसरब, जाहिसँ नव पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनिकेँ भेटैत रहत।

गुरुवार, 16 अक्टूबर 2014

गजल


करेजामे हमर साजन आबि गेलै
मनक सभ तार बटगबनी गाबि गेलै

हुनक मुस्कीसँ सगरो दुनियाक सम्पति
करेजा जानि नै कोना पाबि गेलै

बलमकेँ दर्द जानि कए मोन कनिको
कतेक दुख अपन चट्टे दाबि गेलै

बनेलहुँ अपन जखनसँ संगी बलमकेँ
जिला भरि केर लोकक मुँह बाबि गेलै

बसने छलहुँ मन मंदिरमे जिनक छबि
दया भगवानकेँ ‘मनु’ ओ पाबि गेलै

(बहरे करीब, मात्रा क्रम : १२२२-१२२२-२१२२)
© जगदानन्द झा ‘मनु’

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें