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सोमवार, 16 जून 2014

गजल

एहि ठाम साट हेराए गेलै रामा
फेर आइ बलम बौराए गेलै रामा

चढ़ल साइठक जबानी केहन बुढ़बापर
चुलहाक नार चोराए गेलै  रामा

गाममे बसल घरे घर छै कंठी धारी
साँझ परल माँछ झोराए गेलै रामा

देख ढंग पुतक करनी आजुक आँगनमे
बाप केर आँखि नोराए गेलै रामा

‘मनु’ समाजमे सगर मोदी जीकेँ अबिते
माल संग चोर पकराए गेलै रामा 

(मात्रा क्रम : २१२१२१-२२२२-२२२)
©जगदानन्द झा ‘मनु’

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