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गुरुवार, 6 मार्च 2014

आउ मनाबी महिला दिवस



आन बेरक जकां फेर महिला दिवस आबि गेल। आब ई तँ बुझले अछि जे लोग बाग महिला सबकेँ बधाइ दए  जेथिन  कोनों संस्थाक तरफसँ विशिष्ट महिलागनकेँ पुरस्कार, गुलदस्ताक आदान प्रदान  कयल जेतैक। बस, समाज अपन कर्तव्यक इतिश्री मानि जाइत  अछि।
दरअसल महिला दिवस कोनों एक दिन अथवा एक वर्ष मनाबय वला पर्व नही अछि ई तँ सतत चलय वला एकटा विचार -व्यवहार होबाक चाही। हम सब एक दिनक लेल महिला दिवस मना तँ  लैत छी मुदा दोसरे दिनसँ बल्कि ओहो दिन ओहिना महिला सब  प्रताड़ित  होइत  छथि दहेज, हत्या, बलात्कार, वैश्यावृतिमे कोनो कमी नहि देखल गेल अछि  बल्कि दिनो दिन महिलाक प्रति अपराध बढ़ले जा रहल अछि। तखन उपाय की ?
अपन देशक कानून महिला सबकेँ बराबरिक  अधिकार देने छैक मुदा ओहि  कानूनकेँ व्यवहारमे लाबएक  प्रयास  केरब तँ हमरे सभक कर्तव्य थिक। समाजमे  एखनो महिलाकेँ  दोयम दर्जा देल जाइत अछि। बेटीकेँ नेनपनेसँ  सिखाएल जाइत  अछि  जे ओ पुरुखसँ हीन अछि। बुच्ची दाई पढाईमे कतबो कुशाग्र किये ने  होथि, अंग्रेजी  स्कूलमे बुचनेकेँ नाम लिखाओल जाइत छैक। घरमे जँ माछ रान्हल गेल तँ माछक मूडा हुनके परसाई छनि,  बेचारी बुच्ची दाई केँ पूछीयेसँ  संतोष करय पड़ईत छनि 
ई शोधक विषय होबाक चाही जे  पैघ भेलापर ओहे बुच्ची दाई, अप्पन बेटी संगे ओहने व्यवहार किएक करैत छथि।एखनो युवा लड़कीकेँ सबसँ अधिक संघर्ष अपने घरसँ  करए  पडैत छैक। माए  ,पितियाईन  दादी, सब ओकर पहिरब ओढब, बात -विचार, कत्तौ गेनाई-एनाई, सबपर आपत्ति करैत छथिन किएक ने हम महिला सब अप्पन बेटी सब के एहन माहौल दी ,जाहिमे ओ अप्पन व्यक्तित्वकेँ सर्वांगीन विकास कए  सकए, अप्पन भविष्यक सपना साकार कए सके सही मायनेमे महिला दिवस तखने सार्थक होयत।

नीता झा  , भागलपुर
        म० 08051824576

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