गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014
स्वाभिमान
लेबल:
कविता,
गणेश कुमार झा "बावरा"
रविवार, 23 फ़रवरी 2014
सगर राति दीप जरए , आन्दोलन आ बभनभोज- अतुलेश्वर
कथा साहित्यक प्रकाशन करए वला पत्र-पत्रिका अभावक कारण एकटा प्रश्न ठाढ़ भेल कि यदि मैथिलीक रचनाकारकें अपन रचनाक लेल कोनो मंच नहि भेटत तँ मैथिली आबयवला समयमे रचनाकारक अभाव सँ गुजरि सकैत अछि। आ मैथिली भाषा आ साहियक क्रान्तिकारी पुरुष डा.काञ्चीनाथ झा किरणक जन्म दिवसक अवसर पर लोहना गाममे जे समारोह आयोजन भेल छल ओहिमे पंजाबी भाषामे जहिना भरि रातिक कथा गोष्ठी कयल जा रहल छल ओहिना मैथिली भाषामे आरम्भ कयल जाए। आ कथा साहित्यक पुरोधा आ युवा साहित्यकारक पथपर्दशक स्व. प्रभाष कुमार चौधरीक नेतृत्वमे ई आन्दोलन प्रारम्भ भेल । कहल जा सकैछ जे काल सापेक्ष ई आन्दोलन मैथिली साहित्य लेल वरदान साबित भेल,कारण कतेको कथाकार, आलोचक एहि आन्दोलन सँ मैथिली साहित्य मध्य उपस्थित भेलाह तँ दोसर दिश एक नव आलोचनाक बाट फूजल। मुदा आइ काल्हि तँ एहि मे कथाक चर्चा सँ बेशी मानकीकरण,कखनो जातिवाद,कखनो भत्ताक गप्प होइत अछि। एतेक धरि जे कथाक गोष्ठीक अस्मिता पर कुठाराघात करैत किछु मैथिली अहित सेवी लोकनि ओकरा सरकारी संस्थाक कार्यक्रमसँ जोड़ि ओकर अस्मिता आ स्वतंत्रताक नष्ट करबाक प्रयास क’ रहल छथि। कारण जखनहिं साहित्य अकादेमी आ सरकारी संस्था सभसँ जोड़ल जाएत तँ एहि गोष्ठी सँ जनसहभागिता कम भेल जाएत आ कथा गोष्ठी अपन उद्देश्यक बाटसँ भटकि जाएत ई षडयंत्र हमरा जनैत एहि कारणेँ कएल जा रहल अछि , जे मैथिलीमे नव-नव रचनाकारक अभाव हुअए आ मैथिली साहित्य किछु वर्ग धरि सिमटि जाए। एहि तरहेँ बहुतों गोटा एहि बेरक कथा गोष्ठीकेँ सगर राति दीप जरएक श्रृंखला सँ नहि जोड़बाक आग्रह कयलन्हि अछि समर्थन हमरो अछि,कारण यदि हम सभ विरोध नहि करब तखनि ई लोकनि हमर सभक अस्मिता पर एहिना आघात कयल करताह आ जेकरा रोकब आवश्यक अछि, एहि लेल एकजूट होयब जरूरी अछि।नहि तँ एकटा आन्दोलन षडयंत्रक फाँसमे समाप्त भ’ जाएत।
हँ एहि गोष्ठी मे एकटा बात उठल छल जे बभनभोज। गोष्ठी कथा गोष्छी नहि भ’ बभनभोज भ’ गेल , ई सगर राति दीप जरए लेल एकटा आर आघात भेल । आशा करब आदरणीया विभा रानी सँ जे एहि आन्दोलनक दीपकेँ उद्देश्य सँ नहि भटकय देथि पुनः माँ जानकीक भाषा मैथिलीक आन्दोलन अपन उद्देश्य मे लागि जाए। आ सगर राति दीप जरए मैथिली कथा साहित्यक दीपकेँ मात्र जरौने टा नहि रहए ओ सम्पूर्ण विश्वमे मैथिली कथा साहित्यक दीप जगमगबैत रहए । एहि कामनाक संग हम सभ पुनः अपन आन्दोलनक नेतृत्व स्वयं करी आ घुसपैठिया लोकनिकेँ एहि आन्दोलन सँ भगाबी । एहि उद्देश्य संग दक्षिण भारत आबि आ माँ जानकीकेँ मोन पाड़ि।
शनिवार, 22 फ़रवरी 2014
कथा मिलन सदाय-सगर राति दीप जरय केर 80म गोष्ठी (निर्मलीमे आयोजित)-80म सगर राति दीप जरय'' निर्मलीमे 45 गोट पोथीक लोकार्पण-रिपोर्ट उमेश मण्डल
80म सगर राति दीप जरय'' निर्मलीमे 45 गोट पोथीक लोकार्पण-
बाल निबंध-
1. देवीजी (ज्योती झा चौधरी) कवि राजदेव मण्डल
विविधा-
1. कुरुक्षेत्रम अन्तर्मनक- (गजेन्द्र ठाकुर) डॉ. बचेश्वर झा
शब्द.कोष-
1. अंग्रजी-मैथिली शब्दकोष- (गजेन्द्र ठाकुर) डॉ. रामाशीष सिंह
2. मैथिली-अंग्रेजी शब्दकोष- (गजेन्द्र ठाकुर) डॉ. अशोक अविचल
विहनि कथा संग्रह-
1. बजन्ता-बुझन्ता (जगदीश प्रसाद मण्डाल) अनुमण्डलाधिकारी अरूण कुमार सिंह
2. तरेगन- दोसर संस्करण (जगदीश प्रसाद मण्डल)- विधायक सतीश साह
लघु कथा संग्रह-
1. सखारी-पेटारी (नन्द विलास राय) डॉ. शिवकुमार प्रसाद
2. उलबा चाउर (जगदीश प्रसाद मण्डल) विनोद कुमार ‘विकल’
3. अर्द्धांगिनी (जगदीश प्रसाद मण्डल) दुर्गानन्द मण्डल
4. सतभैंया पोखरि (जगदीश प्रसाद मण्डल) प्रो. जयप्रकाश साह
5. भकमोड़ (जगदीश प्रसाद मण्डल) फागुलाल साहु
दीर्घ कथा संग्रह-
1. शंभुदास (जगदीश प्रसाद मण्डल) सदरे आलम गौहर
कविता संग्रह-
1. बसुन्धरा (राजदेव मण्डल) गजलकार ओम प्रकाश झा
2. राति-दिन (जगदीश प्रसाद मण्डल) रामजी प्रसाद मण्डल
3. रथक चक्का उलटि चलै बाट (रामविलास साहु) नाटककार बेचन ठाकुर
4. निश्तुकी दोसर संस्करण (उमेश मण्डल) जनकवि रामदेव प्रसाद मण्डल ‘झारूदार’
5. इन्द्र्धनुषी अकास (जगदीश प्रसाद मण्डल) पत्रकार राम लखन यादव
6. प्रतीक (मनोज कुमार कर्ण मुन्नाजी) अधिवक्ता वीरेन्द्र कुमार यादव
गजल संग्रह-
1. क्यो जानि नै सकल हमरा (ओम प्रकाश झा) साहित्यकार जगदीश प्रसाद मण्डल
2. माझ आंगनमे कतियाएल छी (मनोज कुमार कर्ण मुन्नाजी) गायक रामविलास यादव
3. मोनक बात (चन्दन कुमार झा) डॉ. शिवकुमार प्रसाद
4. अंशु (अमित मिश्र) कथाकार कपिलेश्वर राउत
गीत संग्रह-
1. गीतांजलि (जगदीश प्रसाद मण्डल) अमीत मिश्र
2. तीन जेठ एगारहम माघ (जगदीश प्रसाद मण्डल) चन्दन कुमार झा
3. सरिता (जगदीश प्रसाद मण्डल) बालमुकुन्द
4. सुखाएल पोखरिक जाइठ (जगदीश प्रसाद मण्डल) बिपीन कुमार कर्ण
5. हमरा बिनु जगत सुन्ना छै (रामदेव प्रसाद मण्डल ‘झारूदार’) अधिवक्ता मनोज कुमार बिहारी
6. क्षणप्रभा- (शिव कुमार झा ‘टिल्लू‘’) राजाराम यादव
अनुवाद साहित्य-
1. पाखलो (उपन्यास (कोंकणीसँ हिन्दी सेवी फर्णांडिस एवं शंभु कुमार सिंह तथा हिन्दीसँ मैथिली शंभु कुमार सिंह- कवि शंभु सौरभ
नाटक-
1. रिहलसल (रवि भूषण पाठक) कवि राम विलास साफी
2. बिसवासघात (बेचन ठाकुर) बाल गोविन्द यादव ‘गोविन्दाचार्य’
3. बाप भेल पित्ती आ अधिकार (बेचन ठाकुर) कवि रामविलास साहु
4. रत्नाकार डकैत (जगदीश प्रसाद मण्डल) किशलय कृष्ण
5. स्वयंवर (जगदीश प्रसाद मण्डल) कवि शंभु सौरभ
6. पंचवटी एकांकी संचयन- (जगदीश प्रसाद मण्डल) उपन्यासकार राजदेव मण्डल
7. कम्प्रोमाइज- (जगदीश प्रसाद मण्डल) कथाकार राम प्रवेश मण्डल
8. झमेलिया बिआह (जगदीश प्रसाद मण्डल) अधिवक्ता वीरेन्द्र् कुमार यादव
उपन्यास
1. हमर टोल (राजदेव मण्डल) कवि हेम नारायण साहु
2. जीवन संघर्ष (दोसर संस्करण) जगदीश प्रसाद मण्डाल) नारायण यादव
3. बड़की बहिन (जगदीश प्रसाद मण्डल) कवि शारदा नन्द सिंह
4. जीवन-मरण (दोसर संस्करण) (जगदीश प्रसाद मण्डल) डाकबाबू छजना
5. नै धाड़ैए (बाल उपन्यास, जगदीश प्रसाद मण्डल) गुरुदयाल भ्रमर
सह्त्रबाढ़नि (ब्रेल लिपि) गजेन्द्र ठाकुर) शिक्षक मनोज कुमार राम
वायोग्राफी-
1. जगदीश प्रसाद मण्डल एकटा वायोग्राफी- (गजेन्द्र ठाकुर) कवि उमेश पासवान
संस्मरण साहित्य-
मध्य प्रदेशक यात्रा (ज्योति झा चौधरी) कथाकार नन्द विलास राय
80म कथा गोष्ठी “कथा मिलन सदाय-सगर राति दीप जरय” निर्मलीमे पठित कथा एवं कथाकारक नाओं-
1. जीवपर दया करी- पल्लवी कुमारी
2. स्पेशल परमीट- ओम प्रकश झा
3. ढेपमारा गोसाँइ- ओम प्रकाश झा
4. ओ स्त्री - सदरे आलम गौहर
5. बाल अधिकार- नारायण झा
6. मांग- अमित मिश्र
7. नवतुरिया- अमित मिश्र
8. जनता लेल- अमित मिश्र
9. थ्रीजी- मुकुन्द मयंक
10. पढ़ाइ आ खेती- बिपीन कुमार कर्ण
11. बदरिया मूसक घर- उमेश पासवान
12. अपन घर- लक्ष्मी दास
13. मित्र- नारायण यादव
14. प्रेम एगो अचम्भा - बाल मुकुन्द पाठक
15. भगवानक पूजा- संजय कुमार मण्डल
16. विपन्नता- पंकज सत्यम
17. गौतमक अहिल्या-- दुखन प्रसाद यादव
18. तरकारीक चोर- ललन कुमार कामत
19. व्यंग्य- मिथिलेश कुमार व्यास
20. खेनिहारक लेखा- चंदन कुमार झा
21. चाहबला- कपिलेश्वर राउत
22. बिलाइ रस्ता काटि देलक- राम विलास साहु
23. भैरवी- रौशन कुमार झा
24. संदेह- शारदा नन्द सिंह
25. अंधविश्वास- शम्भू सौरभ
26. डीजे ट्रोली- बेचन ठाकुर
27. मुखियाजी सँ मंत्री धरि एक्के रंग- दुर्गा नन्द ठाकुर
28. कारागार- किशलय कृष्ण
29. पैघ लोक के?- नन्द विलास राय
30. पेंच-पाँच- शिव कुमार मिश्र
31. महेशबाबूक चौकपर एकदिन- गौड़ी शंकर साह
32. परिवर्त्तन- राजदेव मण्डल
33. एकघाप जमीन- जगदीश प्रसाद मण्डल
34. गइ बुढ़िया हम बड़ बिहर छी- डॉ. शिव कुमार प्रसाद
35. भीखमंगा- डॉ. अशोक अविचल
मिथिलांचलक प्रसिद्ध साहित्यिक मंच “सगर राति दीप जरय” केर 80म आयोजन जे निर्मली (सुपौल)मे स्थानीय कलाकार स्व. मिलन सदाय केर नाओंपर आयोजित छल तइ कथा गोष्ठीमे जे समीक्षक-आलोचक सभ पठित कथापर समीक्षा केने रहथि, आलोचना केने रहथि से सूची निम्न अछि-
डॉ. शिव कुमार प्रसाद
ओम प्रकाश झा
राजदेव मण्डल
जगदीश प्रसाद मण्डल
डॉ. अशोक अविचल
डॉ. रामाशीष सिंह
उमेश पासवान
चन्दन कुमार झा
राम विलास साहु
फागुलाल साहु
पंकज सत्यम्
किशलय कृष्ण
शंभु सौरभ
कपिलेश्वर राउत
बाल गोविन्द यादव गोविन्दाचार्य
वीरेन्द्र कुमार यादव
राम विलास साफी
शिव कुमार मिश्र
दुर्गानन्द मण्डल
नारायण यादव
संजय कुमार मण्डल
राम प्रवेश मण्डल
नारायण यादव
बालमुकुन्द पाठक
बेचन ठाकुर
दुर्गानन्द ठाकुर
शारदा नन्द सिंह
![]() |
हिन्दुस्तान (सुपौल एवं मधुबनी संस्करण) दैनिकमे प्रकाशित |
बुधवार, 12 फ़रवरी 2014
अन्हार
अहाँ सोचैत की रहैत छी ?
हऽम !
हम सोचैत नहि छी
हम देखैत छी
हम दुनीयाँकेँ बुझैक प्रयत्न कए रहल छी
कि हमहूँ एहि दुनीयाँक हिस्सा छी?
कि हम देशक हिस्सा छी ?
कि हम एहि राजक हिस्सा छी ?
कि हम एहि समाजक हिस्सा छी ?
कि हम अपन परिवारक हिस्सा छी ?
नहि ! नहि ! नहि ! नहि !
तँ फेर हमर अस्तित्व की अछि ?
हम एहिठाम किएक एलहुँ ?
हम एहिठाम किएक छी ?
हम एहिठाम की कए रहल छी?
किछु नहि
पत्ता नहि
नहि जनैत छी
किछु नहि
नहि ! नहि ! नहि ! नहि !
किछु नहि
किछु नहि अर्थात शून्य
शून्य
अन्हार
नाकामयाबी
अलगाव ।
एहि जिनगीक कोन मोल
जकर किछु सार्थकता नहि
जन्म लेनाइ
अभाबमे पोसेनाइ
सपनाक गरदैन घोटनाइ
माथपर जिमेदारी आ चिन्ताक बोझ
असफलता
शून्यता
फेर एक दिन
सभ चिन्तासँ मुक्त भऽ
लुप्त भऽ जेनाइ
काल्हि
जाहिखन एकटा नव भोर होएत
केकरो मोनमे इआद नहि
केकरो मुँहमे नाम नहि
इतिहासक पन्नामे कथा नहि
फेर एकटा शून्य
घोर अन्हार
अपार अन्हारक साम्राज्य
जाहिठाम
आन कि अपनो सभ इआद नहि राखत ।
की इहे जिनगी छी ?
एकरे नाम जीवन अछि ?
इहे मनुक्खक जीवन पाबैक हेतु
चौरासी लाख योनी पार करए परैक छैक
एहिठाम की भेटल
खाली शून्य
घोर अपार अन्हार
यदि हाँ
इहे जीवन अछि
इहे जीवनक सार अछि
तँ, हे भगवती
हमरापर दया करू
हमरापर कृपा करू
हमरा अहाँक ई जीवन नहि चाही
हमरासँ नीक तँ कीड़ा मकोड़ा
मानलहुँ कि ओकरो लग बड्ड शून्य छैक
घोर अन्हार छैक
मुदा
अभाब नहि छै
असफलता नहि छै
निराशा नहि छै
चिन्ता नहि छै
माथपर बोझ नहि छै
ओ अपनाकेँ तुक्ष नहि बुझै छै
आर
फेर ओकरा
एकटा नव उच्च जीवन पाबैक आशो तँ छैक ।
हमरा लग की अछि ?
किछु नहि
खाली आर खाली घोर अन्हार
हम जन्म लै छी
आ ओकरा तियाइग कए
एकटा अनन्तमे हरा जाइ छी
काल्हि
हमर नामो धरि नहि रहि जाइए
हे भगवती
कि हमरा सभकेँ
एहने जीवन भोगैक लेल
जीवन देने छी
तँ कृपा कऽ अपन जीवन लए लिअ
हमरा सभकेँ एहेन जीवन नहि चाही
कमसँ कम
हमरा तँ बिल्कुल नहि
हमरापर दया करू भगवती
अपन ई जीवन लऽ लिअ ।
@ जगदानन्द झा ‘मनु’
सोमवार, 10 फ़रवरी 2014
चलू मिथिला
घुइर चलू घुइर चलू मैथिल
अपन मिथिला देश
बाट जोहै छथि माए मिथिला,
आँचर मे लऽ स्नेहक सनेश।
उजइर पुजइर गेल छै ओकर
सभटा खेत पथार
गाम घर सभ भक्क पड़ल छै
डिबिया बाती नै जरै छै
देख ई दशा
माए मिथिला के फाटै छै कुहेश ।...
जाहि धरा पर बहैत अछि
सात सात धार
आई ओहि धरा के छाती अछि सुखाएल
खाए लेल काइन रहल अछि नेन्ना भुटका
माइर रहल छथि माए मिथिला चित्कार ।
देखू देखू हे मिथिलावाशी केहन आएल काल
देब भूमि तपोभूमि
आई बनल आतंकक अड्डा
जतऽ कहियो पशु पंछियोँ वाचैत छल शास्त्र
आई ओहि धरा सँ सुना रहल अछि बम बारुदक राग ।
हे मैथिल!
दोसरक नगरी रौशन केलौँ
छोइड़ अपन देश
आबो जँ नै आएब मिथिला
तऽ भऽ जाएत मिथिला डीह
कुहैर कुहैर क कहैथ माए मिथिला ई..
चलू चलू यौ मैथिल अपन मिथिला देश
फेर सँ बनेबै ओहने मिथिला
देखतै देश विदेश..जय मिथिला
बाट जोहै छथि माए मिथिला,
आँचर मे लऽ स्नेहक सनेश।
उजइर पुजइर गेल छै ओकर
सभटा खेत पथार
गाम घर सभ भक्क पड़ल छै
डिबिया बाती नै जरै छै
देख ई दशा
माए मिथिला के फाटै छै कुहेश ।...
जाहि धरा पर बहैत अछि
सात सात धार
आई ओहि धरा के छाती अछि सुखाएल
खाए लेल काइन रहल अछि नेन्ना भुटका
माइर रहल छथि माए मिथिला चित्कार ।
देखू देखू हे मिथिलावाशी केहन आएल काल
देब भूमि तपोभूमि
आई बनल आतंकक अड्डा
जतऽ कहियो पशु पंछियोँ वाचैत छल शास्त्र
आई ओहि धरा सँ सुना रहल अछि बम बारुदक राग ।
हे मैथिल!
दोसरक नगरी रौशन केलौँ
छोइड़ अपन देश
आबो जँ नै आएब मिथिला
तऽ भऽ जाएत मिथिला डीह
कुहैर कुहैर क कहैथ माए मिथिला ई..
चलू चलू यौ मैथिल अपन मिथिला देश
फेर सँ बनेबै ओहने मिथिला
देखतै देश विदेश..जय मिथिला
:गणेश कुमार झा "बावरा"
लेबल:
कविता,
गणेश कुमार झा "बावरा"
गुरुवार, 6 फ़रवरी 2014
हकार (ओमप्रकाश झा) ८१म सगर राति दीप जरय कथा गोष्ठीक
हकार (ओमप्रकाश झा)
८१म सगर राति दीप जरय कथा गोष्ठीक आयोजन देवघरमे २२ मार्च २०१४ शनि दिन भऽ रहल अछि। ई आयोजन देवघरमे बमपास टाउन स्थित "बिजली कोठी" नम्बर ३ मे संध्या ५ बजे सँ २२ मार्च २०१४ केँ शुरू भऽ कऽ २३ मार्चक भोर धरि हएत। अहाँ सभ कथाकार लोकनि सादर आमंत्रित छी।
८१म सगर राति दीप जरय कथा गोष्ठीक आयोजन देवघरमे २२ मार्च २०१४ शनि दिन भऽ रहल अछि। ई आयोजन देवघरमे बमपास टाउन स्थित "बिजली कोठी" नम्बर ३ मे संध्या ५ बजे सँ २२ मार्च २०१४ केँ शुरू भऽ कऽ २३ मार्चक भोर धरि हएत। अहाँ सभ कथाकार लोकनि सादर आमंत्रित छी।
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