की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। sadhnajnjha@gmail.com पर e-mail करी Or call to Manish Karn Mo. 91 95600 73336

बुधवार, 23 अप्रैल 2014

नेनाक छवि

दिनानाथ बाबूक बहरीया बेटा पुतहु अपन १२ बरखक पोती संगे बहुत बरखक बाद कोनो विशेष अबसरपर  गाम एलाह दलानपर, अपन पारम्परिक पोषाकमे  दिनानाथजी हुनक बेटा जीन्स पेंट टीशर्ट पहीर बैशल। ताबतेमे  एकटा बयोवृद्ध, गामक सम्बन्धमे दिनानाथ जीक काकाक आगमन भेलनि हुनका बैसक उचित स्थान देला बाद दिनानाथ जीक पुत्र हुनक पएर छूबैत,  "गोर लगै छी बाबा।"
" खूब नीके रहू।"
"कतए रहै छी?"
"दिल्लीमे "
"हमरा तँ अहाँ सभकेँ देखलो कतेको बरख भए गेल।" कनीक काल चूप रहला बाद, "ब्याह  भए गेल की ?"
प्रश्न बाबा हुनक वस्त्र कि  हुनक नहि बुझाइत बएसकेँ कारण पुछलखिन। अपन चॉकलेटी शरीर ड्रेससँ एखनो २५ बरखसँ बेसीक नहि बुझाई छला।
"सृष्टी, सृष्टी……" बाबाक प्रश्न सुनिते, कोनो उत्तर देबैक  जगह   सृष्टी, सृष्टी केर अबाज दिनानाथजी देलनि। अबाज सुनि आँगनसँ हुनक १२ बरखक चंचल पोती 'सृष्टीदौरते आएल।
दिनानाथजी   सृष्टीसँ बाबा दिस इसरा कए, "बाबाकेँ  गोर लगियौन्ह।"
सृष्टी चट्टे झुकि, बाबाकेँ गोर लागि आशीर्वाद लेलनि। दिनानाथजी, बाबासँ, " हिनक बेटी भेलखीन।"
बाबा, सभ गाममे रहथि तहन ने, हमर नजरिमे तँ एखनो ओहे १८-२० बर्ख पहिने देखल नेनाक छवि बसल अछि। केखन समयक संग जबान भेल, ब्याह भेलै, बेटी सेहो एतेकटा भए गेलै। मुदा हमर सबहक आँखिक छवि……"
कहैत बाबा मौन भ’ गेला। 
*****

जगदानन्द झा ‘मनु’ 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें