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गुरुवार, 22 नवंबर 2012

दुर्गाक अर्थ


शक्तिक अवतारिणी, पापी सभहक़ संहारिणी, महाविद्या, महामाया, महामेधा, महामायास्वरूप, कालरात्रि, महारात्रि, मोहरात्रि, अम्बे, अम्बिका जगतमाता अधिष्ठात्री माँ भगवती तीनु लोकक माता माँ भगवती सम्पूर्ण संसार के रचयिता आ पापीक संहारक छथि | माँ भगवती सम्पूर्ण संसारकें स्फूर्ति प्रदान करैत छथि आ सम्पूर्ण संसार ओहि सँ उत्पन्न भए ओहिमे पुनः प्रवेश कए जाइत छैक |
या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेणसंस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
संस्कृत में दुर्गाक अर्थ होइत छैक --- वो जे कि बुझैसँ अथवा ओतय जाहि ठाम पंहुचय में असंभव होय | माँ भगवती शक्तिक अवतारिणी के संगे-संगे नारी शक्तिक के पर्याय सेहो मानल जाइत रहलखिन अछि | वस्तुतः माँ भगवतीक कृपामयी आओर वरदायिनी महिमा सदिखनसँ, कहल जाय अनादिकालसँ एक टा रहस्ये रहल अछि | एहि कारणसँ हिनका कतेक रास नामसँ जानल जाइत छन्हि-- हिनका काली, तारा पार्वती, अम्बिका, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुरभैरवी, कमला आदि विभिन्न आस्थाक नाम छैन्हि | माँ दुर्गाक अवतार के कतेक कथा प्रचलित अछि मुदा शिवपूराणक एक कथाकें अनुसारे एहन मानल जाइत छैक प्राचीन समयमे एक दुर्गम नामक असुर बड्ड शक्तिशाली छल जेकरा ब्रह्माक अजेय वरदान प्राप्त छलैक | कथा अनुसारे दुर्गमासुर आ माँ भगवती के बीच भयंकर युद्ध भेल | एहि युद्धमे माँ भगवतींक देहसँ काली, तारा, भुवनेश्वरी आदि दशो महाविद्या प्रगट भेलखिन आ एहिसभ महाविद्याक पराक्रमसँ दुर्गमासुर के वध भेल | आ ओहि समयसँ माँ भगवतीके दुर्गा के रूप में जानय जा लागल |`कथा तs ओना आर छय जेकर चर्चा बाद में कायल जैतक |

गुरुवार, 24 मई 2012

नाकाम

हर दम दुःख अपन भुलाबै चाहलौं

एकरा आन सँ हमेशा बचाबै चाहलौं

वोहे किस्सा हमरा दिस बढ़ि रहल अछि अखनिधरि

वोहे आगि सीना में धधकि रहल अछि अखनिधरि

वोहे व्यर्थ के चुभन अछि छाती में अखनिधरि

वोहे बेकार इच्छा हमर बनल अछि अखनिधरि

दुःख बढैत गेल मुदा इलाज नहि भए सकल

हमर बेचैन हालात के आराम कहाँ भेटल

मोन दुनिया के हर दर्द के अपना त' लेलक

व्याकुल आत्मा के उन्मादक ढंग नहि भेटल

हमर कल्पना के बिखरल क्रम अछि वहै

हमर बुझैत अहसास के स्तिथि अछि वहै

वोहे बेजान इरादा आ वोहे बेरंग सवाल

वोहे बेकार खींचातानि आर बेचैन ख्याल

आह ! ई रोजक कश्मकश्क के अंजाम

हमहुं नाकाम, हमर  कोशिशो नाकाम !!!!!!!!!!!!!