लगभग ८०-८५ किमीकेँ गतिसँ चलैत ट्रेनकेँ बॉगीमे बैसल एकटा पूर्ण परिवार। ओहिमे सँ एकटा तीन बरखक नेना जेकी शाइद पहिल बेर अपन ज्ञानमे ट्रेनक यात्रा कए रहल छल । खिड़कीसँ बाहर देखते देरी खुशीसँ चहैक बाजल, "पापा यौ पापा, देखियौ गाछो सभ गाम जाइ छै ।"
मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित Maithiliputra- Dedicated to Maithili Literature and Language
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