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शनिवार, 3 दिसंबर 2011

मैथिलिक विकासक बाधा



मैथिलीक  विकाशक  बाधा थिक
आजुक युवाशक्ति मिथिलाक
पढि लिख कए बनि  जाईछथि
डाक्टर आ कलक्टर
मुदा नहि पढि-लिख सकैत छथि
मिथिलाक दू अक्षर

घरसँ निकलैत
ओ कहथिन "चलो स्टेशन"
लागैत छनि संकोच
कहैमे की "चलु स्टेशन"
जेता जखन गामक चौक पर
लागत जेना
बैस रहला मैथिलीक  कोखिपर

शैद्खन दुगोत समभाषी
बाजत अपने भाषा
परन्च दूगोत मैथिल
जतबैलेल अपन प्रशनेल्टी
मैथिली  तियागि कए
बजए लगता सिसत्मेती
अपन माएक भाषासँ
प्रेस्टीज पर लागैत छनि  बट्टा
लोग की कहतनि 
संस्कारीसँ भए गेला मर्चत्ता
संस्कारीसँ भए गेला मर्चत्ता |
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 जगदानन्द झा 'मनु' 


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