की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। sadhnajnjha@gmail.com पर e-mail करी Or call to Manish Karn Mo. 91 95600 73336

गुरुवार, 12 सितंबर 2013

गजल

आइ किछु मोन पडलै फेरसँ किए
भाव मोनक ससरलै फेरसँ किए

टाल लागल लहासक खरिहानमे
गाम ककरो उजडलै फेरसँ किए

आँखि खोलू, किए छी आन्हर बनल
नोर देशक झहरलै फेरसँ किए

चान शोभा बनै छै गगनक सदति
चान नीचा उतरलै फेरसँ किए

"ओम" जिनगी अन्हारक जीबै छलै
प्राण-बाती पजरलै फेरसँ किए
(दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ)-(ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ)-(दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ)
(फाइलातुन-फऊलुन-मुस्तफइलुन) - १ बेर प्रत्येक पाँतिमे

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें