मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। एहि ब्लॉग के subscribe करब नहि बिसरब, जाहिसँ समस्त आलेख पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनि के भेटैत रहत।

शुक्रवार, 5 अगस्त 2016

गजल


साँप चलि गेल लाठी पीटे रहल छी
बाप मुइला पछाइत भोजक टहल छी

पानि नै अन्न कहियो जीवैत देबै
गाम नोतब सराधे सबहक कहल छी

आँखिकेँ पानि आइ तँ सगरो मरल अछि
राति दिन हम मुदा ताड़ीमे बहल छी 

कहब ककरा करेजा हम खोलि अप्पन 
नै कियो बूझलक हम धेने जहल छी

सुनि क' हम्मर गजल जग पागल बुझैए
दर्द मुस्कीसँ झपने 'मनु' सब सहल छी 
(बहरे असम, मात्रा क्रम- २१२२-१२२२-२१२२)
© जगदानन्दझा 'मनु' 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें