की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। sadhnajnjha@gmail.com पर e-mail करी Or call to Manish Karn Mo. 91 95600 73336

रविवार, 26 नवंबर 2023

गजल

टोपीमे लगै  बुढ़ा  झक्कास छै
बुढ़िया बिन अछैते मरै  नै आस छै 
  
गामक आइ केहन असल रखबाड़ छै 
एको धुर बचल ओकरा नै चास छै
  
शिक्षा केर घरमें बिकाइ ज्ञान छै
आजुक राजनीतिक कतेक बिनास छै 
 
पूजै लेल  कन्या तकै सब लोक छै
बनबे लेल कनियाँ तकै अरदास छै
 
बाबू माय एने  बजट बिगड़ैत छै
साढ़ू सारि ‘मनु’ बैंक खासम खास छै
 
मात्राक्रम : 2221-2212-2212 सभ पाँतिमे। तेसर शेरकेँ दोसर पाँतिमे दूटा अलग अलग लघुकेँ दिर्घ मानक छूट लेल गेल अछि।
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु

 

बुधवार, 22 नवंबर 2023

रुबाइ

जे घाव अहाँ हमर करेजकेँ देलहुँ

सबटा ओ दर्द दुनियाँसँ नुका लेलहुँ  

मुस्कीसँ हमर नै बुझू जे हम खुश छी

खूनक घुट अहाँक खुशीमे पी गेलहुँ

              ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

 

 


मंगलवार, 21 नवंबर 2023

रुबाइ

 हे कृष्ण गोविंद मुरारी मिता हमर 

सगरो दुनिया केर मालिक पिता हमर

गेलअ छोरि किएक तू ‘मनु’क करेजा

घुरि आबअ नहि तँ सजत आब चिता हमर

                    ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

 


गुरुवार, 16 नवंबर 2023

रुबाइ

सिस्टम आइकेँ किए बबाल बनल अछि 

नेता सभ तँ  एकटा जपाल बनल अछि 

बड़ बड़ बागर बिल्ला राज चलबैए

जनताक प्राणेपर सबाल बनल अछि  

                 ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

 


मंगलवार, 14 नवंबर 2023

रुबाइ

मीरा केर हरने अहाँ कते दुख छी

खा साग विदुर केर भेल बड्ड सुख छी

हे माधव ‘मनु’ केर अपन भक्ति दय दिअ

दुनियामे सबसँ सुन्नर अहाँक मुख छी 

                  ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’


गुरुवार, 26 अक्टूबर 2023

रुबाइ

पाथर करेजा हमर प्रभु कोमल करु

एतअ रहि अहाँ एहेन सिनेहल करु

संसारक जंजालसँ मुक्ति दय ‘मनु’केँ

अपने चाकरीमे  सदिखन राखल करु 

              ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

बुधवार, 25 अक्टूबर 2023

पोथी चर्चा, बीहनि कथा संग्रह - तोहर कतेक रंग


पोथीक नाम : तोहर कतेक रंग 
विधा : बीहनि कथा संग्रह 
भाषा : मैथिली 
बीहनिकार/ कथाकार / लेखक : जगदानन्द झा ‘मनु’
पोथी परिचय: बीहनि कथा संग्रह "तोहर कतेक रंक",  एहि ठाम तोहर माने स्त्री, नारी । स्त्रीक विभिन्न रूपक चित्रकें चित्रण करैत ई बीहनि कथा संग्रह बहुत रूचिगर अछि। एकसँ एक नीक नीक बीहनि सभ सम्पूर्ण पोथीकेँ एक्केँ संगे पढ़ै केर लेल मोनमे कोताहल व उत्सुकता जगेने रहैत अछि।  जगदानन्द झा ‘मनु’ पिछला डेढ़ दसकसँ मैथिलीमे लगातार बीहनि कथा लिख रहल छथि आ हुनक गिनती मैथिली बीहनि कथाकारमे एकटा सम्मानकेँ संग केएल जाइ छनि। 
मूल्य: 200 भा ₹ (संपूर्ण भारतमे डाक खर्च सहित, भारतसँ बाहर डाक खर्च अतिरिक्त)
पोथी प्राप्ति लेल: अपन पूर्ण पता, मोबाइल नम्बर, पिन कोड सहित +91 92124 61006 पर वाट्सअप करी

सोमवार, 23 अक्टूबर 2023

गजल

खड़ाम पैरमे नहि  अकास मोनमे छल

कुहास बहुत बाहर  इजोत टोनमे छल 

 

टएरकेँ चलाबी गरीब तेँ बुझू नहि 

हमर अपन सगर धन अहाँक लोनमे छल 

 

किएक आनके दुख  बुझत चलाक नेता

हुनक सगर बुढ़ापा तँ   सेफ जोनमे छल 

 

सिनेह शांति  सबटा जगतसँ  गेल हेरा

अखनसँ नीक बेसी मनुष्य बोनमे छल 

 

पतंग  पाछु  भागैत   मनुक  हर्ख देखू

पुतौह केर जेना  बहिनसँ  फोनमे छल 

(मात्राक्रम 121-2122-121-2122, सभ पाँतिमे)

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

शनिवार, 12 अगस्त 2023

गजल

भहरल भीत नै उठाउ यौ पाहुन 
जर्जर टाट  नै सटाउ यौ पाहुन 
 
खाली छाड़बै  उछेहबै भरि दिन 
चार चुबैत  नै बचाउ यौ पाहुन
 
 
पाकल काँच जेहने धरे भरिमे 
बाहर नाक नै कटाउ यौ पाहुन 
 
धधकै आगि खड़ खड़ेल पजरल छै
पाइन ढारि नै जराउ यौ पाहुन
 


सगरो खाम   गेल सड़ि  हबेलीके 
‘मनु’केँ हँसि क  नै बजाउ यौ पाहुन
 
(मात्राक्रम 2221-212-1222, सभ पाँतिमे। दोसर शेरकेँ, दोसर पाँतिमे दू टा लघुकेँ दिर्घ मानक छूट लेल गेल अछि)
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

गुरुवार, 15 जून 2023

गजल

अहाँ सुनबै जँ नहि  हम केकरा कहबै

पिया जुलमी हमर दुख हम कते सहबै 

 

सखी बहिना  अहाँके प्रेममे छूटल 

पिया हम आब कोना असगरे रहबै

 

निहोड़ा आब करु हम कोन विधि सजना 

सगर उसरैग एही भक्त पर ढहबै

 

विरहके आगिमे जरि मरि रहल छी हम

अहाँ आइब करेजामे कखन गहबै

 

रहत नेहक वचन नै यादि ‘मनु’ जा दिन

जहर माहुर अछैते पानिमे बहबै 

(बहरे हजज, मात्रा क्रम 1222-1222-1222)

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

 

बुधवार, 1 मार्च 2023

गजल

जँ हम मरि जाइ कनिको नै अहाँ कानब 
बितल जे संग ओ सगरो  खुशी गानब 
 
करेजामे नुकोने छी कतेको दुख 
हमर सामर्थ जे मुँहपर हँसी आनब
 
जहर पी दर्द के हम चिन्हलौ दुनियाँ
नदीमे ठेल सिखने लोक अछि छानब 
 
द कर्जा मांगि देखू एक दिन ककरो 
सगर दुनियाँक माया छन्नमे जानब 
 
सिनेह प्रेम दोस्ती नाम मतलबकेँ 
कपट ‘मनु’ भेषमे सब एतए दानब
(बहरे हजज, मात्राक्रम : 1222-1222-1222)
 ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

शनिवार, 18 फ़रवरी 2023

भक्ति गजल

आई महाशिवरात्रि केर शुभ अवसर पर श्रीशिव जीकेँ कृपासँ प्रस्तुत अछि एकटा शिव गजल, भक्ति गजल 

गजल 

चलू देखब हे बहीना शिवकेँ 

अपन गौरीकेँ सजनमा शिवकेँ 

 

सभक ई खाली भरै छथि झोली 

सरण आइब जे सुमरला शिवकेँ 

 

गरीबोकेँ छथि इहे सुननाहर 

दियौ जल भरि एक लोटा शिवकेँ 

 

मनुख दानव देव भूत प्रेतो 

सगर दुनिया मिल मनेला शिवकेँ 

 

सिया रामोकृष्ण हुनके पुजलनि 

बनेलनि सगरो अराध्या शिवकेँ 

 

कृपानिधि कैलाशवासी जय भव

चरण वंदन जग रचैता शिवकेँ 

 

मनोरथ सब पूर्ण करता शम्भू 

कहल ‘मनु’ जे मनसँ भजता शिवकेँ 

(मात्राक्रम- 1222-2/ 1222-2)

सुझाव, मार्गदर्शन व आलोचना सादर आमंत्रित अछि। 

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

रविवार, 5 फ़रवरी 2023

गजल

जखन कखनो जे सोचब हमरा

अपन लअगेमे पायब हमरा

 

गजल हमर शव्द बनि तनमनमे 
कचोटत तँ अहाँ ताकब हमरा 

 

बहुत दुर छी कोनो बाते नै

अपन मोनेमे देखब हमरा


दुनू दू तन  एक्के जिनगी छी

अहाँ कखनो नै बिसरब हमरा


अहाँकेँ हम छी कहलौं जे ‘मनु’

कि मुइला बादो मानब हमरा 

(बहरे गोविंद, मात्राक्रम : 12 22 22 22 2, सभ पाँतिमे। दोसर शेरकेँ दोसर पाँतिमे दूटा अलग-अलग लघुकेँ दिर्ध मानक छुट लेल गेल अछि)

 ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

रविवार, 29 जनवरी 2023

गजल

दर्द देखायब करेजाक मानब की

काल्हि सपनोमे हँसी छोरि कानब की 

 

प्रेम पुरुषक छैक गोबर अहाँ कहलौं

चीर देखायब करेजा तँ गानब की

 

दोख सभमे नै कतउ एकमे हेते

संग हमरा ओहिमे सभक सानब की 

 

आइ छै अन्हार सगरो अहाँ कहलौं

आँखि मुनि लाइटसँ अन्हार आनब की

 

कनिक हमरोपर भरोसा क कय देखू

प्रेम ककरा छै कहै  'मनु'सँ जानब की

(बहरे कलीब, मात्राक्रम : 2122-2122-1222)

 ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

शनिवार, 14 जनवरी 2023

जगदानन्द झा ‘मनु’क पच्चीस टा रुबाइ एक्केठाम

रुबाइ १
आँचर नहि उठाबू आँखिसँ पीबय दिअ
हम जन्मसँ पियासल करेज जुड़बय दिअ

ताड़ीसँ  बेसी निसा  अहाँक  हँसीमे

प्रेमक निसामे अपन कनी जीबय दिअ

 

 

रुबाइ २

पीलौं हम तँ लोक कहलक शराबी अछि 

एतअ के नहि कहु बहसल कबाबी अछि

बुझलौं अहाँ सभ   दुनियाक ठेकेदार 

हमरो  आँखिसँ देखू की खराबी अछि  

 

 

रुबाइ 

नै पीब शराब तँ हम जीब कोना कय

फाटल करेजकेँ हम सीब कोना कय

सगरो जमाना भेल दुश्मन शराबक

सबहक सोंझा तँ आब पीब कोना कय

 

 

रुबाइ ४

पीलौं शराब तँ दुनियाँ कहलक बताह 

बिन पीने ई दुनियाँ भेल अछि कटाह

जे नहि पीलक कहाँ अछि ओकरो महल

पीबिए क' किएक नहि बनि जाइ घताह

 

 

रुबाइ ५

भेटल नहि सिनेह   तेँ शराबे पीलौं

दर्शन हुनक हरदम गिलासमे केलौं 

के अछि कहैत शराब छैक खराब ‘मनु’

बिन रहितौं हुनक शराबेसँ हम जीलौं

 

 

रुबाइ 

पीलौं नहि तँ की छै शराब बूझब की 

बिन पीने दुनियाँमे करब तँ करब की 

सभ अछि एक दोसरकेँ खून पीबैत 

खून छोड़ि शराबे पी कय देखब की 

 

 

रुबाइ  

एतेक नेहमे लीबैत किएक छी

दुनिया पुछलनि हम जीवैत किएक छी 

सभ बुझला उत्तर ‘मनु’ अहूँ इ जुनि पूछू 

दिन राति एतेक पीबैत किएक छी 

 

 

 

रुबाइ

कर्जा कय क जीवन हम जीव रहल छी 

फाटल अपनकेँ कहुना सीब रहल छी 

सभ किछु लूटा कय ‘मनु’ अपन जीवनकेँ

निर्लज जकाँ हम ताड़ी पीब रहल छी   

 

 

 

रुबाइ ९

गोरी तोहर काजर जान मारैए 
छौंरा सभ सगर हाय तान मारैए 
पेएलक बड़ भाग काजर विधातासँ 

तोहर आँखिमे कते शान मारैए 

 

 

रुबाइ १०

लाली मानि कय अहाँ ठोरसँ लगा लिअ

आँखिक अपन  करीया काजर बना लिअ

एना जुनि अहाँ   कनखी नजरिसँ देखू
प्रियतम बना ‘मनु’केँ करेजसँ लगा लिअ

 

रुबाइ ११

फूसियो जँ कनी अहाँ इशारा करितहुँ

भरि जीवन हम अहीँक बाटमे रहितहुँ

मुस्कीमे अहाँक अपन मोन लूटा क’

तरहत्थीपर जान लेने  हम अबितहुँ

 

 

रुबाइ १२

साँवरिया पिया अहाँ की कएलहुँ   

साउन चढ़ल छोड़ि चलि कोना गएलहुँ

शीतल हवा बहल सिहरैए हमर तन

कोना रहब बिनु अहाँ बुझि नै पएलहुँ  

 

 

रुबाइ १३

गोरी तोर मुस्कीमे छौ जहर भरल 

नै एना मुँह खोल कते घायल परल 

तोहर फुलझड़ी सन मारुक हँसी सुनि क

भेटत बाटपर कतेको छौंड़ा मरल 

 

 

रुबाइ १४

तोरा देख सुन्नरी सीटी बजैए

धरकन बंद ई कतेकोकेँ करैए

परमाणु बम दुनिया फालतू बनेलक

तोहर कनखीसँ मनुख लाखो मरैए

 

 

रुबाइ १५

जे घाव अहाँ हमर करेजकेँ देलहुँ

सबटा ओ दर्द दुनियाँसँ नुका लेलहुँ  

मुस्कीसँ हमर नै बुझू जे हम खुश छी

खूनक घुट अहाँक खुशीमे पी गेलहुँ

 

 

रुबाइ १६

घुमि कनखीसँ कनि जे अहाँ ताकि देलहुँ

तन मन अपन एहिपर हम हारि देलहुँ

नहि आब बैकुंठकेँ रहि गेल इच्छा

सगरो अहाँकेँ लेल ‘मनु’ बारि देलहुँ

 

 

रुबाइ १७

नाथक पजारल नेह धधैक रहल अछि

असगर करेजा हमर तड़ैप रहल अछि 

लगने कोन अहाँसँ हम नेह लगेलौं

प्रेमक गरमीसँ देह बरैक रहल अछि

 

 

रुबाइ १८

दुनिया जँ नै पुछलक तँ कोनो बात नहि

राखू मोन अहाँ इ तेहनो बात नहि

चिन्है सगर समाज आइ धनीकेकेँ

‘मनु’केँ जँ जाइ बिसरि एहनो बात नहि

 

रुबाइ १९

तोरा नहि हम छोड़लौं नहि हम बेवफा

तोरा बिन नहि मरलौं नहि हम बेवफा

तोहर प्राण गेल बुझि नहि जीवैत ‘मनु’

बिन काठीए जरलौं  नहि हम बेवफा

 

 

रुबाइ २०

आपस दे हमरा  हमर बितल दिन

किरया तोरा दे   ओ सगर बितल दिन

रहि जाएब आब असगरे तोरा बिन

नै यादि करब संगे तोहर बितल दिन

 

 

रुबाइ २१

छी हम जरैत   की अहाँ प्रकाशित रही

सुख लेल अहाँक खुशीसँ हम आँच सही 

बातीकेँ जरैत   ई दुनिया देखलक

बनि तेल हम तँ जरलौं दुख कतेक कही

 

 

रुबाइ २२

पागल हम दुनियामे पियार तकै छी

भलमानुस सब सगर वेपार तकै छी

नै कोनो दाम मनुख मनुखताकेँ

स्वार्थी लोकसँ ‘मनु’ सरोकार तकै छी

 

 

 

रुबाइ २३

बाबूजीक करेजमे  सदिखन रहलहुँ

तन मन धन हुनक सगरो हम पेएलहुँ 
दाही पानि रौदसँ सदिखन बचेलन्हि

सेबाक बेड़मे हम परदेश भगलहुँ 

 

 

रुबाइ २४

बाबूजी देह जान सबटा  देलन्हि 
जे किछु छी एखन बाबूजी केलन्हि
भूखे रहि अपने   हमर पेट भरलन्हि
सुधि बिसरि अपन हमरा मनुख बनेलन्हि

 

 

रुबाइ २५

फगुआ अहाँक बिनु कतेक बेरंग अछि 

बाँकी बस अहाँक यादेटा संग अछि

एही दुनियासँ जहन अहाँ चलि गेलौं 

बुझलौं कतेक कठिन जीवनक जंग अछि

                  ✍🏻जगदानन्द झा ‘मनु’