मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित
ढोलक धम-धमा-धम बजैत किएक छै
घुंघरू खन-खना-खन नचैत किएक छै
भीतरसँ छैक दुनू एक्केसन खाली
संजोग इ दुनू नहि बुझैत किएक छै
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
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